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Solan News: पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन के नौवीं बार भी नहीं खुले टेंडर, अब 13 जनवरी पर नजर
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चार माह में आठ बार टली तारीख, लोगों में भारी रोष
670 करोड़ रुपये पहुंची फोरलेन निर्माण की पूरी लागत
संवाद न्यूज एजेंसी
बद्दी (सोलन)। बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़
(बीबीएन) को जोड़ने वाले पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन का काम सियासी गड्ढों में फंसता नजर आ रहा है। मंगलवार को खुलने वाले टेंडर एक बार फिर रद्द हो गए हैं। यह नौवां मौका है जब एनएचएआई ने टेंडर खोलने की तिथि को आगे खिसकाया है। विभाग का तर्क है कि कार्यकारी समिति की बैठक न होने के कारण यह देरी हुई है, लेकिन धरातल पर स्थानीय जनता और उद्यमियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। पिछली कंपनी पटेल इंफ्रास्ट्रक्चर के काम बीच में छोड़ने के बाद नई कंपनी की तलाश सितंबर माह में शुरू हुई थी। 11 सितंबर को टेंडर डाले गए थे, जो सबसे पहले 31 अक्तूबर को खुलने थे। तब से लेकर अब तक 14 नवंबर, 17 नवंबर, 24 नवंबर, 27 नवंबर, 12 दिसंबर, 19 दिसंबर और 30 दिसंबर की तारीखें बीत चुकी हैं। अब नई उम्मीद 13 जनवरी को दी गई है। तीन साल पहले गुजरात की पटेल कंपनी को 469 करोड़ रुपये में यह ठेका दिया गया था। 30 महीने की समय सीमा और एक साल का अतिरिक्त समय मिलने के बावजूद कंपनी केवल 42 फीसदी काम ही पूरा कर पाई। 6 जून को कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए थे। अब इस प्रोजेक्ट की सरकारी लागत बढ़कर 557 करोड़ रुपये पहुंच गई है।
लोगों ने लगाया सियासी खींचतान का आरोप
क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण केंद्र सरकार इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में जानबूझकर देरी कर रही है। बीबीएन के निवासियों का कहना है कि बार-बार तारीखें बदलना जनता के सब्र का इम्तिहान लेने जैसा है। धूल और अधूरे निर्माण के कारण यहां का सफर बदहाल हो चुका है।
कोट
एनएचएआई की कार्यकारी समिति की बैठक न होने की वजह से टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। अब आगामी 13 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है, जिसमें टेंडर खुलने की संभावना है।
-असलम खान, प्रोजेक्ट प्रभारी, एनएचएआई
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670 करोड़ रुपये पहुंची फोरलेन निर्माण की पूरी लागत
संवाद न्यूज एजेंसी
बद्दी (सोलन)। बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़
(बीबीएन) को जोड़ने वाले पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन का काम सियासी गड्ढों में फंसता नजर आ रहा है। मंगलवार को खुलने वाले टेंडर एक बार फिर रद्द हो गए हैं। यह नौवां मौका है जब एनएचएआई ने टेंडर खोलने की तिथि को आगे खिसकाया है। विभाग का तर्क है कि कार्यकारी समिति की बैठक न होने के कारण यह देरी हुई है, लेकिन धरातल पर स्थानीय जनता और उद्यमियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। पिछली कंपनी पटेल इंफ्रास्ट्रक्चर के काम बीच में छोड़ने के बाद नई कंपनी की तलाश सितंबर माह में शुरू हुई थी। 11 सितंबर को टेंडर डाले गए थे, जो सबसे पहले 31 अक्तूबर को खुलने थे। तब से लेकर अब तक 14 नवंबर, 17 नवंबर, 24 नवंबर, 27 नवंबर, 12 दिसंबर, 19 दिसंबर और 30 दिसंबर की तारीखें बीत चुकी हैं। अब नई उम्मीद 13 जनवरी को दी गई है। तीन साल पहले गुजरात की पटेल कंपनी को 469 करोड़ रुपये में यह ठेका दिया गया था। 30 महीने की समय सीमा और एक साल का अतिरिक्त समय मिलने के बावजूद कंपनी केवल 42 फीसदी काम ही पूरा कर पाई। 6 जून को कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए थे। अब इस प्रोजेक्ट की सरकारी लागत बढ़कर 557 करोड़ रुपये पहुंच गई है।
लोगों ने लगाया सियासी खींचतान का आरोप
क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण केंद्र सरकार इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में जानबूझकर देरी कर रही है। बीबीएन के निवासियों का कहना है कि बार-बार तारीखें बदलना जनता के सब्र का इम्तिहान लेने जैसा है। धूल और अधूरे निर्माण के कारण यहां का सफर बदहाल हो चुका है।
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एनएचएआई की कार्यकारी समिति की बैठक न होने की वजह से टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। अब आगामी 13 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है, जिसमें टेंडर खुलने की संभावना है।
-असलम खान, प्रोजेक्ट प्रभारी, एनएचएआई