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Una News: निजी स्कूलों में दोपहिया वाहनों पर पहुंच रहे छात्र
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स्कूल प्रबंधक बच्चों को अनुशासन में रखने में असमर्थ
अधिकतर बच्चे बिना लाइसेंस चला रहे स्कूटी और बाइक
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले के निजी स्कूलों में बड़ी संख्या में विद्यार्थी अपने वाहनों से पहुंच रहे हैं। नाबालिग होने के बावजूद कई बच्चे स्कूटी, बाइक और यहां तक कि बुलेट मोटरसाइकिल चलाकर स्कूल आते-जाते हैं। स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बावजूद विद्यार्थियों को अनुशासन और यातायात नियमों के प्रति सजग नहीं किया जा रहा।
सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन की ओर से यातायात नियमों को लेकर कई सख्त कदम उठाए गए हैं। स्कूलों में भी जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दी जाती है। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति में खास सुधार नजर नहीं आता। प्रतिदिन हर स्कूल में पांच से दस विद्यार्थी स्वयं वाहन चलाकर स्कूल पहुंचते हैं, जिनमें अधिकांश तेज रफ्तार से ड्राइविंग करते हैं, जिससे किसी भी समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है। चिंताजनक बात यह है कि स्कूल प्रशासन और अध्यापक भी ऐसे बच्चों को समझा नहीं पा रहे।
जिले में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में 70 प्रतिशत दोपहिया चालक युवा हैं। इससे बचाव के लिए स्कूलों में प्रति माह दो बार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिस पर पर्याप्त बजट भी खर्च किया जाता है। ऐसे में यदि स्कूल प्रशासन ही बच्चों को यातायात नियमों का महत्व नहीं समझा पा रहा तो सुधार की उम्मीद कम ही है।
उपनिदेशक जिला उच्च शिक्षा विभाग अनिल कुमार ने बताया कि स्कूलों में अध्ययनरत अधिकांश विद्यार्थी नाबालिग होते हैं। केवल कुछ ही 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के होते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन सुनिश्चित करे कि विद्यार्थी स्वयं वाहन चलाकर स्कूल न आएं और इस संबंध में अभिभावकों को भी जागरूक किया जाए। यदि किसी संस्थान में लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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अधिकतर बच्चे बिना लाइसेंस चला रहे स्कूटी और बाइक
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले के निजी स्कूलों में बड़ी संख्या में विद्यार्थी अपने वाहनों से पहुंच रहे हैं। नाबालिग होने के बावजूद कई बच्चे स्कूटी, बाइक और यहां तक कि बुलेट मोटरसाइकिल चलाकर स्कूल आते-जाते हैं। स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बावजूद विद्यार्थियों को अनुशासन और यातायात नियमों के प्रति सजग नहीं किया जा रहा।
सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन की ओर से यातायात नियमों को लेकर कई सख्त कदम उठाए गए हैं। स्कूलों में भी जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दी जाती है। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति में खास सुधार नजर नहीं आता। प्रतिदिन हर स्कूल में पांच से दस विद्यार्थी स्वयं वाहन चलाकर स्कूल पहुंचते हैं, जिनमें अधिकांश तेज रफ्तार से ड्राइविंग करते हैं, जिससे किसी भी समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है। चिंताजनक बात यह है कि स्कूल प्रशासन और अध्यापक भी ऐसे बच्चों को समझा नहीं पा रहे।
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जिले में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में 70 प्रतिशत दोपहिया चालक युवा हैं। इससे बचाव के लिए स्कूलों में प्रति माह दो बार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिस पर पर्याप्त बजट भी खर्च किया जाता है। ऐसे में यदि स्कूल प्रशासन ही बच्चों को यातायात नियमों का महत्व नहीं समझा पा रहा तो सुधार की उम्मीद कम ही है।
उपनिदेशक जिला उच्च शिक्षा विभाग अनिल कुमार ने बताया कि स्कूलों में अध्ययनरत अधिकांश विद्यार्थी नाबालिग होते हैं। केवल कुछ ही 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के होते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन सुनिश्चित करे कि विद्यार्थी स्वयं वाहन चलाकर स्कूल न आएं और इस संबंध में अभिभावकों को भी जागरूक किया जाए। यदि किसी संस्थान में लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।