सब्सक्राइब करें

SIR: 'बंगाल में चार बार दिया वोट', अवैध बांग्लादेशियों के चौंकाने वाले कबूलनामे; हाकिमपुर बॉर्डर पर उमड़ी भीड़

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उत्तर 24 परगना Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 23 Nov 2025 04:52 PM IST
सार

एसआईआर को लेकर बंगाल में सियासत जोरों पर है। भाजपा का आरोप है कि टीएमसी सरकार ने वोट के लिए बड़े पैमाने पर घुसपैठ होने दी। वहीं टीएमसी ने कहा कि- केंद्र असुरक्षित समुदायों को डरा रही है और एसआईआर को हथियार बना रहा है। लेकिन हाकिमपुर बॉर्डर से लौट रहे अवैध बांग्लादेशी खुद सच्चाई बता रहे हैं। पढ़िए

विज्ञापन
Borrowed lives on fake IDs: SIR sparks reverse migration of 'illegal Bangladeshis' at Hakimpur border
हाकिमपुर बॉर्डर पर अवैध बांग्लादेशियों की उमड़ी भीड़ - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स / PTI
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के हाकिमपुर बीएसएफ चौकी के पास एक कच्चे, धूल भरे रास्ते पर शनिवार को असामान्य सी हलचल दिखी। बरगद के पेड़ की छांव तले, छोटे बैग लिए परिवार, बच्चों के हाथों में पानी की बोतलें, और चुपचाप बैठे पुरुष- सब एक ही अपील दोहराते दिखे: 'हमें घर जाने दीजिए।' ये वे लोग हैं जिन्हें सुरक्षा एजेंसियां 'अवैध बांग्लादेशी निवासी' बता रही हैं, ऐसे लोग जिन्होंने वर्षों तक पश्चिम बंगाल के अलग-अलग इलाकों में रहकर काम किया, पहचान पत्र बनवाए, और अब अचानक वापस लौटने की कोशिश में हैं। इस असामान्य उलटी पलायन की वजह है पश्चिम बंगाल में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) - यानी मतदाता सूची की सख्त जांच।




यह भी पढ़ें - SIR Row: एसआईआर के खिलाफ विजय की टीवीके ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा; अब तक इतने दलों ने दायर की याचिका
Trending Videos
Borrowed lives on fake IDs: SIR sparks reverse migration of 'illegal Bangladeshis' at Hakimpur border
हाकिमपुर बॉर्डर पर अवैध बांग्लादेशियों की उमड़ी भीड़ - फोटो : PTI
'अब डर लग रहा है… वापस जाना ही ठीक है'
खुलना जिले की रहने वाली शाहिन बीबी अपने छोटे बच्चे के साथ सड़क किनारे इंतजार कर रही थीं। वो न्यू टाउन, कोलकाता में घरों में काम करके 20000 रुपये महीना कमाती थीं। उन्होंने साफ कहा, 'हम गरीबी के कारण आए थे। दस्तावेज ठीक नहीं थे। अब जांच हो रही है, इसलिए लौटना ही बेहतर लग रहा है।' कई लोग मानते हैं कि उन्होंने आधार, राशन कार्ड या वोटर आईडी जैसे कागज दलाल और बिचौलियों के जरिए बनवाए थे। एसआईआर में इन पुराने कागजों की दोबारा जांच हो रही है, इसलिए लोग पूछताछ और हिरासत से बचने के लिए खुद ही सीमा पर आ पहुंचे हैं। एक युवा वेटर बोला, 'आठ साल रह लिया। अगर पुराने कागज मांगे तो क्या दिखाएंगे? जाने में ही भलाई है।'

विज्ञापन
विज्ञापन
Borrowed lives on fake IDs: SIR sparks reverse migration of 'illegal Bangladeshis' at Hakimpur border
हाकिमपुर बॉर्डर पर अवैध बांग्लादेशियों की उमड़ी भीड़ - फोटो : PTI

कतार तंबू बन गई, सड़क इंतजारगाह
बीएसएफ अधिकारियों के मुताबिक, हर दिन 150-200 लोग पकड़े जा रहे हैं और जांच के बाद उन्हें 'वापस भेजा' जा रहा है। 4 नवंबर, यानी एसआईआर शुरू होने के बाद से ही भीड़ बढ़नी शुरू हो गई। सभी लोगों के बायोमैट्रिक डेटा लेकर पुलिस और प्रशासन को भेजा जाता है। भीड़ ज्यादा होने पर दो-तीन दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। गेट के अंदर बीएसएफ खाना दे रहा है। बाहर इंतजार कर रहे लोग सड़क किनारे चाय-ढाबों पर निर्भर हैं। 40 रुपये में चावल-अंडा और 60 रुपये में चावल-मछली मिल रहा है।


Borrowed lives on fake IDs: SIR sparks reverse migration of 'illegal Bangladeshis' at Hakimpur border
हाकिमपुर बॉर्डर पर अवैध बांग्लादेशियों की उमड़ी भीड़ - फोटो : PTI
'कागज बनवाने में 20000 रुपये लगे थे…अब सब बेकार'
ढुलागोरी की फैक्टरी में काम करने वाले 29 वर्षीय मनीरुल शेख बताते हैं, 'हमने 5000 से 7000 रुपये देकर भारत में एंट्री ली थी। लेकिन कागज बनवाने में 20000 रुपये तक खर्च हो गया। अब एसआईआर की जांच से सब डर गए हैं।' इमरान गाजी नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि, 'मैंने 2016, 2019, 2021 और 2024 में चार बार वोट दिया है। पर 2002 का कोई असली कागज नहीं। इसलिए लौट रहा हूं।' वहीं एक पुलिस अधिकारी का कहना था, 'दो दिन में 95 लोग आए थे। हमारे पास इतनी जगह ही नहीं है। बाद में हमने हिरासत लेना बंद कर दिया।'

विज्ञापन
Borrowed lives on fake IDs: SIR sparks reverse migration of 'illegal Bangladeshis' at Hakimpur border
हाकिमपुर बॉर्डर पर अवैध बांग्लादेशियों की उमड़ी भीड़ - फोटो : PTI

'हम यहां दोस्त छोड़कर जा रहे हैं…'
कतार में खड़ी छह साल की बच्ची ने अपनी मां से कहा, 'न्यू टाउन में अपने दोस्तों को याद करूंगी।' उसकी मां ने बताया कि वे पिछले साल 25,000 टका देकर बॉर्डर पार करके भारत आए थे। पिता, जो रिक्शा चलाते थे, बोले, 'गरीबी लाई थी… डर वापस ले जा रहा है।' वहीं हाकिमपुर ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, 'दिल्ली, ढाका, कोलकाता अपनी राजनीतिक लड़ाई लड़ें, पर यहां सड़क पर बैठे इन परिवारों की पीड़ा कौन देखेगा?' स्थानीय व्यापारी और युवा मिलकर खिचड़ी बांट रहे थे।




यह भी पढ़ें - Kerala: प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर हमले मामले में नया मोड़, अदालत ने एनआईए को PFI संदिग्धों की जांच की मंजूरी दी

'अंधेरे में आए थे, उजाले में जा रहे हैं…'
बीएसएफ का एक जवान लाइन को देखते हुए बोला, 'ये लोग रात के अंधेरे में आए थे… अब दिन की रोशनी में लौट रहे हैं। फर्क बस इतना ही है।' पिछले छह दिनों में करीब 1,200 लोग आधिकारिक प्रक्रिया पूरी कर बांग्लादेश लौट चुके हैं। शनिवार को करीब 60 लोग अभी भी इंतजार कर रहे थे।

99 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं को दिए गए फॉर्म- ECI
वहीं चुनाव आयोग के अनुसार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फेज-2 के तहत 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची अपडेट करने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। चुनाव आयोग के अनुसार अब तक 99 प्रतिशत से अधिक यानी 50.47 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं को एसआईआर फॉर्म मिल चुके हैं। इनमें से 20 करोड़ से अधिक फॉर्म, लगभग 40 प्रतिशत, पहले ही डिजिटाइज कर लिए गए हैं। आयोग का कहना है कि डिजिटल प्रोसेसिंग से सत्यापन और अपडेट कार्य की गति बढ़ी है। लक्ष्य है कि पात्र मतदाताओं के नाम समय पर सूची में शामिल हों और त्रुटियों को न्यूनतम किया जाए। चुनाव आयोग ने एसआईआर को लेकर राज्यवार सूची भी जारी की है।




विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed