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IRCTC: डिजिटल डेटा के मुद्रीकरण की हो रही समीक्षा, 1000 करोड़ राजस्व जुटाने की थी योजना

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव Updated Sat, 20 Aug 2022 07:56 AM IST
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सार

1,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व तैयार करने के लिए रेलवे अपने पास मौजूद डिजिटल डाटा और ग्राहकों को पर्सनल डाटा बैंक का मुद्रीकरण करने जा रहा था। इसके लिए पिछले सप्ताह ही एक सलाहकार को नियुक्त करने के लिए निविदा जारी की गई थी।

IRCTC: Review of monetization of Digital Dala, plan to raise 1000 crores revenue
भारतीय रेल - फोटो : Social media

विस्तार
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इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) ग्राहकों के डेटा के जरिए राजस्व जुटाने के अपने फैसले की फिर से समीक्षा कर रहा है। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस योजना को आगे बढ़ाने से पहले  सरकार संसद में डेटा संरक्षण विधेयक के पारित होने का इंतजार करेगी। 

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दरअसल, 1,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व तैयार करने के लिए रेलवे अपने पास मौजूद डिजिटल डाटा और ग्राहकों को पर्सनल डाटा बैंक का मुद्रीकरण करने जा रहा था। इसके लिए पिछले सप्ताह ही एक सलाहकार को नियुक्त करने के लिए निविदा जारी की गई थी। रेलवे की इस योजना की भारी आलोचना हुई थी, जिसके बाद अधिकारी इसकी समीक्षा कर रहे हैं। 
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29 अगस्त तक मांगी गई हैं निविदाएं
आईआरसीटीसी ने सलाहकार नियुक्त करने के लिए 29 अगस्त तक निविदा मांगी हैं। अधिकारियों का कहना है कि ग्राहकों के व्यक्तिगत डेटा के मुद्रीकरण का प्रश्न ही नहीं है। हमने केवल इसके लिए एक निविदा जारी की है कि एक सलाहकार डेटा के मुद्रीकरण के लिए एक रोडमैप तैयार करेगा और उसका अध्ययन करेगा, जिससे व्यक्तिगत गोपनीयता और कानून भंग न हो। 

रेलवे के पास डिजिटल डाटा का भंडार 
बता दें कि पहले खबर आई थी कि इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) अपने पास मौजूद ग्राहकों का विशाल डाटा बेचकर 1000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने की योजना बना रहा है। इसके लिए कॉरपोरेशन ने सलाहकार की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया है। हाल में ही जारी इस टेंडर में कहा गया है, आईआरसीटीसी के पास विशाल डिजिटल डाटा का भंडार है, जो मौद्रीकरण की अपार संभावनाएं पैदा करता है।

फैसले की हो रही जमकर आलोचना 
आईआरसीटीसी की ओर से जारी इस निविदा की खबर सामने आने के बाद इस फैसले की जमकर आलोचना होने लगी। विरोध करने वालों का तर्क है कि आईआरसीटीसी के पास ग्राहकों के निजी फोन नंबर, घर के पते, बैंक खातों की जानकारी जैसे बेहद संवेदनशील डाटा हैं। ग्राहक इन संवेदनशील जानकारियों को इस भरोसे पर सौंपते हैं कि डाटा किसी तीसरे पक्ष के पास नहीं जाएगा। आईआरसीटीसी इस डाटा को तीसरे पक्ष से साझा करता है तो यह ग्राहकों का भरोसा तोड़ने जैसा होगा।

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