PFI Ban : पाबंदी के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का ट्विटर अकाउंट बंद, केंद्र ने नकेल कसी
संगठन पर केंद्र सरकार ने नकेल कस दी है। उसके कई नेताओं व कार्यकर्ताओं को गैर कानूनी गतिविधियां संचालित करने के आरोप मे गिरफ्तार किया गया है। अब उसका ट्विटर अकाउंट भी बंद कर दिया गया है।

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संगठन पर केंद्र सरकार ने नकेल कस दी है। उसके कई नेताओं व कार्यकर्ताओं को गैर कानूनी गतिविधियां संचालित करने के आरोप मे गिरफ्तार किया गया है। अब उसका ट्विटर अकाउंट भी बंद कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर पाबंदी के साथ ही दो पृष्ठ की अधिसूचना जारी की है। इसमें संगठन की गतिविधियों से लेकर उसके खिलाफ कार्रवाई का पूरा विवरण है।
पाबंदियां अलोकतांत्रिक, कोर्ट जाएंगे : कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया
इस बीच, पीएफआई से जुड़े और प्रतिबंधित किए गए संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने पाबंदियों को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया है। संगठन का कहना है कि पाबंदी को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। संगठन ने आज ट्वीट किया, सीएफआई भारत में संगठन की सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोक देगा। इसके साथ ही सभी आरोपों को अदालत में चुनौती दी जाएगी।
#PFI-affiliated Campus Front of India calls the ban on them undemocratic & anti-constitutional; says it will be challenged in court.
Tweeted, "CFI will be stopping all activities of the organisation in India with immediate effect... all allegations will be challenged in court." pic.twitter.com/LnIsqVd9FP— ANI (@ANI) September 29, 2022
पीएफआई पर कैसे लगा प्रतिबंध?
यूएपीए यानी विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 की धारा 3(1) के तहत 5 साल के लिए यह प्रतिबंध लगा है। धारा कहती है, ‘यदि केंद्रीय सरकार की यह राय हो कि कोई संगठन विधि-विरुद्ध है तो अधिसूचना द्वारा उसे विधि विरुद्ध घोषित कर सकेगी।
कोई संगठन आतंकी है, ऐसे होता है तय
यूएपीए में 2019 के संशोधन के अनुसार किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकता है, ताकि वह प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों या पदाधिकारियों को जोड़कर नये नाम से संगठन न बना ले। संगठन के मामले में केंद्र सरकार ऐसा कदम उठाती है जब संगठन आतंकी गतिविधि में शामिल रहा हो।
ऐसी आतंकी सूची में फरवरी 2022 तक 42 संगठन शामिल थे... इनमें बब्बर खालसा इंटरनेशनल व सीपीआई माओवादी से लेकर एलटीटीई, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन तक शामिल हैं।
आतंकी संगठन का मतलब
संगठन का सदस्य होना अपराध। सदस्य को 10 साल जेल, जुर्माना। इनकी फंडिंग पूरी तरह प्रतिबंधित होगी। संपत्तियां जब्त और बैंक खाते फ्रीज होंगे। आतंकी गतिविधि या फंडिंग के जरिये संपत्ति हासिल की तो उम्रकैद तक हो सकती है।
गठन में शामिल संगठन भी प्रतिबंधित
केरल के एनडीएफ, तमिलनाडु के मनिता नीती पसाराई और कर्नाटक के फोरम फॉर डिग्निटी को मिलाकर 2006 में पीएफआई बना था। खुद एनडीएफ का गठन प्रतिबंधित सिमी ने किया था।
पीएफआई पर विदेशों से फंडिंग के आरोप लगे, हालांकि किसी देश का नाम नहीं लिया गया। पैसा कट्टरपंथी इस्लाम के नाम पर जमा किया गया। केंद्रीय एजेंसियों की जांच के अनुसार पीएफआई के सदस्यों ने केरल में एक कॉलेज के ईसाई प्रोफेसर का हाथ ईशनिंदा का आरोप लगा कर काट डाला। कई राज्यों में हुए दंगों, आगजनी और हिंसा में पीएफआई शामिल रहा है। भारत और देश के बाहर से बैंकिंग चैनल से लेकर हवाला और दान के जरिये पीएफआई ने फंडिंग हासिल की। कई बैंक खातों में जितना पैसा था, वह मालिकों की हैसियत मेल नहीं खाती थी।
संगठन के प्रमुख चेहरे
- ओएमए सलाम, अध्यक्ष- केरल राज्य विद्युत विभाग के कर्मचारी सलाम फिलहाल निलंबित हैं और उनके खिलाफ पीएफआई से जुड़े होने के कारण विभागीय जांच चल रही है। वह रिहैब इंडिया फाउंडेशन से भी जुड़े हैं।
- अनीस अहमद, राष्ट्रीय महासचिव- बंगलूरू से पढ़ाई करने वाले अहमद, संगठन की साइबर गतिविधियों को विस्तार देने में अहम भूमिका निभाते हैं। वह एक वैश्विक दूरसंचार कंपनी में काम करता है और फिलहाल निलंबित है। जांच एजेंसियों ने पाया कि अहमद सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है।
- पी कोया, राष्ट्रीय कार्यकारी काउंसिल सदस्य- प्रतिबंधित सिमी का पूर्व सक्रिय सदस्य कोया 1986 में काम के लिए कतर चला गया था। तीन साल वहां एक निजी कंपनी में काम करने के बाद लौटा कोया कोझिकोड विश्वविद्यालय में लेक्चरर है। वह कोझिकोड की इस्लामिक यूथ सेंटर का निदेशक भी रहा।
- मोहम्मद शाकिब उर्फ शफीफ, राष्ट्रीय सचिव (मीडिया एवं जनसंपर्क)- शाकिब पीएफआई का संस्थापक सदस्य है। वह रियल एस्टेट का कारोबार करता है।
- ईएम अब्दुर रहीमन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष- रहीमन कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का सेवानिवृत्त लाइब्रेरियन है। वह सिमी का पूर्व अध्यक्ष रहा था। पीएफआई का एक प्रभावी नेता है और संगठन के बड़े फैसलों में उसकी अहम भूमिका रहती है।
- अफसर पाशा, राष्ट्रीय सचिव- पेशे से कारोबारी पाशा, 2006 में स्थापना के समय से पीएफआई का सक्रिय सदस्य है।
- मिनारुल शेख, पीएफआई पश्चिम बंगाल का अध्यक्ष- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पीएचडी शेख अपनी कोचिंग चलाता है। वह संगठन के लिए रिसर्च का काम करता है।
- मोहम्मद आसिफ, अध्यक्ष पीएफआई राजस्थान- आसिफ कॉलेज में ही कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया में शामिल हो गया। कुछ दिन बाद राष्ट्रीय महासचिव भी बन गया। 2013-14 में प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया। वह बेहद सक्रिय है और प्रदेश में संगठन को विस्तार देने में उसकी अहम भूमिका है।