{"_id":"694463905e2cb9356d0b925f","slug":"kathua-news-atal-setu-kathua-news-c-201-1-knt1008-127333-2025-12-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Kathua News: तीन राज्यों की कनेिक्टविटी बना अटल सेतु","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Kathua News: तीन राज्यों की कनेिक्टविटी बना अटल सेतु
संवाद न्यूज एजेंसी, कठुआ
Updated Fri, 19 Dec 2025 01:56 AM IST
विज्ञापन
वर्ष 2015 में अटल सेतु का अंतिम चरण में चलता निर्माणफाइल फोटो
विज्ञापन
कठुआ। रावी नदी पर बना उत्तर भारत का बेमिसाल केबल स्टेड पुल, अटल सेतु दस गौरवशाली वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्ष 2015 के दिसंबर माह में इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर उनके जन्मदिवस पर समर्पित किया गया था।
उद्घाटन के बाद से यह पुल न केवल जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी की लाइफलाइन बना, बल्कि पर्यटन, सामरिक दृष्टि और आर्थिक प्रगति का भी आधार स्तंभ साबित हुआ। अटल सेतु ने तीन राज्यों को जोड़ते हुए दूरी और समय को काफी कम कर दिया।
यह पुल जम्मू-कश्मीर के लिए एक वैकल्पिक मार्ग भी बना, जिससे पंजाब और हिमाचल से आने वाले पर्यटक और आम लोग आसानी से कश्मीर घाटी तक पहुंचने लगे। लखनपुर-पुल डोडा नेशनल हाईवे जैसी परियोजनाओं में भी अटल सेतु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह परियोजना आने वाले कुछ ही वर्षों में आकार लेने लगेगी। पिछले एक दशक में अटल सेतु अपनी अनोखी वास्तुकला और रंजीत सागर बांध के मनोरम दृश्यों के कारण उत्तर भारत का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन गया। बसोहली की अंतरराष्ट्रीय कला नगरी को फिर से पहचान दिलाने में इस पुल ने अहम योगदान दिया।
लोककला, पश्मीना शॉल और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध बसोहली अब देश-दुनिया से बेहतर तरीके से जुड़ चुकी है। रक्षा मंत्रालय की इस परियोजना ने सेना की आवाजाही और रसद आपूर्ति को आसान बनाया।
पुल की भार क्षमता इतनी मजबूत है कि इस पर 70 टन के टैंक और 100 टन के ट्रक भी गुजर सकते हैं। सामरिक दृष्टि से यह पुल सीमा क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। संवाद
Trending Videos
उद्घाटन के बाद से यह पुल न केवल जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी की लाइफलाइन बना, बल्कि पर्यटन, सामरिक दृष्टि और आर्थिक प्रगति का भी आधार स्तंभ साबित हुआ। अटल सेतु ने तीन राज्यों को जोड़ते हुए दूरी और समय को काफी कम कर दिया।
विज्ञापन
विज्ञापन
यह पुल जम्मू-कश्मीर के लिए एक वैकल्पिक मार्ग भी बना, जिससे पंजाब और हिमाचल से आने वाले पर्यटक और आम लोग आसानी से कश्मीर घाटी तक पहुंचने लगे। लखनपुर-पुल डोडा नेशनल हाईवे जैसी परियोजनाओं में भी अटल सेतु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह परियोजना आने वाले कुछ ही वर्षों में आकार लेने लगेगी। पिछले एक दशक में अटल सेतु अपनी अनोखी वास्तुकला और रंजीत सागर बांध के मनोरम दृश्यों के कारण उत्तर भारत का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन गया। बसोहली की अंतरराष्ट्रीय कला नगरी को फिर से पहचान दिलाने में इस पुल ने अहम योगदान दिया।
लोककला, पश्मीना शॉल और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध बसोहली अब देश-दुनिया से बेहतर तरीके से जुड़ चुकी है। रक्षा मंत्रालय की इस परियोजना ने सेना की आवाजाही और रसद आपूर्ति को आसान बनाया।
पुल की भार क्षमता इतनी मजबूत है कि इस पर 70 टन के टैंक और 100 टन के ट्रक भी गुजर सकते हैं। सामरिक दृष्टि से यह पुल सीमा क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। संवाद