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Kathua News: मारपीट के आठ साल पुराने मामले में सात आरोपी बरी
संवाद न्यूज एजेंसी, कठुआ
Updated Mon, 22 Dec 2025 01:03 AM IST
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- साल 2017 का हटली इलाके का मामला
कठुआ। न्यायिक मजिस्ट्रेट कठुआ की अदालत ने वर्ष 2017 के मारपीट, घर में घुसपैठ और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। आदेश के अनुसार शिकायतकर्ता के पति मामले में प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं थे।
गवाहों का बयान सुनी-सुनाई बातों पर आधारित था। शेष गवाहों ने केवल एक आरोपी को झगड़े में शामिल बताया जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ अदालत को कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इसके अलावा चोटों का कोई भी चिकित्सीय प्रमाण अदालत में पेश नहीं किया गया और न ही अभियोजन पक्ष ने झगड़े में शिकायतकर्ता की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सामूहिक दंगा करने के आरोप साबित कर सका। इसके बाद अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों में संदेह का लाभ हमेशा आरोपियों को दिया जाता है। इसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों के जमानती व व्यक्तिगत बांड रद्द कर मामले का निपटारा कर दिया गया।
कोर्ट में दायर चालान के अनुसार मारपीट का मामला 9 सितंबर 2017 का है। इसमें आरोपी एक ही परिवार के सात सदस्य जिसमें सोहन लाल, रमेश, दिलवर, काका, रंजना देवी, नीतु देवी और सोमा देवी पर आरोप है कि उन्होंने घटना के दिन शिकायतकर्ता के घर में घुसकर उसकी पत्नी से मारपीट की। साथ ही घर में संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया था। शिकायतकर्ता की पत्नी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसकी डंडे से चोट पहुंचाई थी और वह आठ दिन तक अस्पताल में भर्ती रही थी। इसके बाद उनकी शिकायत पर लखनपुर पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरपीसी की धारा 451, 427, 323 और 147 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले में चालान 22 फरवरी 2018 को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था जबकि आरोपियों के खिलाफ आरोप 17 अप्रैल 2018 को तय किए गए थे। इसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमा चलाने की मांग की। इसके बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष को मामले में साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल छह गवाहों में से चार गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया जबकि एक गवाह की गवाही से पहले मौत हो गई थी। मुख्य गवाह और शिकायतकर्ता ने बताया कि घटना के समय वह घर पर नहीं था और उसकी पत्नी ने झगड़े के बारे में बताया था। उसने स्वीकार किया कि भूमि विवाद को लेकर पहले से ही सिविल केस चल रहा था। दूसरे गवाह ने बताया कि झगड़ा मुख्य रूप से दिलावर के साथ हुआ था जबकि अन्य बाद में आए लेकिन उन्होंने कोई मारपीट नहीं की। जांच अधिकारी ने बताया कि जांच में कोई भी हथियार, कपड़े या दस्तावेज जब्त नहीं किए गए और भूमि स्वामित्व का कोई प्रमाण भी नहीं मिला। इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए मामले से बरी करने का फैसला सुनाया।
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कठुआ। न्यायिक मजिस्ट्रेट कठुआ की अदालत ने वर्ष 2017 के मारपीट, घर में घुसपैठ और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। आदेश के अनुसार शिकायतकर्ता के पति मामले में प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं थे।
गवाहों का बयान सुनी-सुनाई बातों पर आधारित था। शेष गवाहों ने केवल एक आरोपी को झगड़े में शामिल बताया जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ अदालत को कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इसके अलावा चोटों का कोई भी चिकित्सीय प्रमाण अदालत में पेश नहीं किया गया और न ही अभियोजन पक्ष ने झगड़े में शिकायतकर्ता की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सामूहिक दंगा करने के आरोप साबित कर सका। इसके बाद अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों में संदेह का लाभ हमेशा आरोपियों को दिया जाता है। इसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों के जमानती व व्यक्तिगत बांड रद्द कर मामले का निपटारा कर दिया गया।
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कोर्ट में दायर चालान के अनुसार मारपीट का मामला 9 सितंबर 2017 का है। इसमें आरोपी एक ही परिवार के सात सदस्य जिसमें सोहन लाल, रमेश, दिलवर, काका, रंजना देवी, नीतु देवी और सोमा देवी पर आरोप है कि उन्होंने घटना के दिन शिकायतकर्ता के घर में घुसकर उसकी पत्नी से मारपीट की। साथ ही घर में संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया था। शिकायतकर्ता की पत्नी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसकी डंडे से चोट पहुंचाई थी और वह आठ दिन तक अस्पताल में भर्ती रही थी। इसके बाद उनकी शिकायत पर लखनपुर पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरपीसी की धारा 451, 427, 323 और 147 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले में चालान 22 फरवरी 2018 को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था जबकि आरोपियों के खिलाफ आरोप 17 अप्रैल 2018 को तय किए गए थे। इसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमा चलाने की मांग की। इसके बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष को मामले में साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल छह गवाहों में से चार गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया जबकि एक गवाह की गवाही से पहले मौत हो गई थी। मुख्य गवाह और शिकायतकर्ता ने बताया कि घटना के समय वह घर पर नहीं था और उसकी पत्नी ने झगड़े के बारे में बताया था। उसने स्वीकार किया कि भूमि विवाद को लेकर पहले से ही सिविल केस चल रहा था। दूसरे गवाह ने बताया कि झगड़ा मुख्य रूप से दिलावर के साथ हुआ था जबकि अन्य बाद में आए लेकिन उन्होंने कोई मारपीट नहीं की। जांच अधिकारी ने बताया कि जांच में कोई भी हथियार, कपड़े या दस्तावेज जब्त नहीं किए गए और भूमि स्वामित्व का कोई प्रमाण भी नहीं मिला। इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए मामले से बरी करने का फैसला सुनाया।