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Udhampur News: साक्ष्यों के अभाव में दो आरोपी बरी
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उधमपुर। प्रमुख सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मादक पदार्थ और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम मामले में गिरफ्तार 23 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार दो आरोपियों को अनिवार्य प्रक्रियाओं के उल्लंघन और सबूतों में विसंगतियों के चलते बरी कर दिया।
23 अप्रैल, 2019 को, पुलिस ने एक चेक प्वाइंट पर महिंद्रा बोलेरो को रुकने का इशारा किया। गाड़ी नाके से बचकर निकल गई, लेकिन बाद में उसे पकड़ लिया गया। गाड़ी में सवार जगदेव सिंह और बलकार सिंह के पास सेब के बक्सों के नीचे छिपाकर रखे गए अफीम के भूसे के सात बैग मिले जिनका वजन 203.6 किलोग्राम था। पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट और मोटर वाहन अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की है।
हर बैग से सैंपल लिए, सील किए गए और फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए। कोर्ट ने 17 दिसंबर 2019 को एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप तय किए। आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया और ट्रायल की मांग की। इसके बाद अभियोजन पक्ष ने सबूत पेश किए। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि सबूतों से साबित होता है कि आरोपी अवैध प्रतिबंधित सामान रखने और ले जाने के दोषी थे। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के सबूतों में कई कानूनी और तथ्यात्मक कमियां थीं जिसमें अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन न करना, सबूतों में कमी और गवाहों के बयानों में विरोधाभास शामिल हैं।
अदालत ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 52, 52-ए, 53 और 55 के महत्वपूर्ण उल्लंघनों को पाया जो अनिवार्य हैं।
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23 अप्रैल, 2019 को, पुलिस ने एक चेक प्वाइंट पर महिंद्रा बोलेरो को रुकने का इशारा किया। गाड़ी नाके से बचकर निकल गई, लेकिन बाद में उसे पकड़ लिया गया। गाड़ी में सवार जगदेव सिंह और बलकार सिंह के पास सेब के बक्सों के नीचे छिपाकर रखे गए अफीम के भूसे के सात बैग मिले जिनका वजन 203.6 किलोग्राम था। पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट और मोटर वाहन अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की है।
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हर बैग से सैंपल लिए, सील किए गए और फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए। कोर्ट ने 17 दिसंबर 2019 को एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप तय किए। आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया और ट्रायल की मांग की। इसके बाद अभियोजन पक्ष ने सबूत पेश किए। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि सबूतों से साबित होता है कि आरोपी अवैध प्रतिबंधित सामान रखने और ले जाने के दोषी थे। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के सबूतों में कई कानूनी और तथ्यात्मक कमियां थीं जिसमें अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन न करना, सबूतों में कमी और गवाहों के बयानों में विरोधाभास शामिल हैं।
अदालत ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 52, 52-ए, 53 और 55 के महत्वपूर्ण उल्लंघनों को पाया जो अनिवार्य हैं।