यह चिंता का विषय: घुसपैठ के बाद जम्मू संभाग में छह रूट्स का इस्तेमाल कर रहे आतंकी, कुछ पर 35 साल बाद वापस लौटे
रक्षा विशेषज्ञों का कहना कि जम्मू संभाग में आतंकी गतिविधियां बढ़ना चिंता का विषय है। 1998-90 में आतंकी घुसपैठ के बाद जिन रूट्स का इस्तेमाल करते थे, उन्होंने फिर उस रूट्स को सक्रिय किया है, क्योंकि लद्दाख में हुए तनाव के कारण इन संभावित रूट्स के आसपास तैनात सेना की बटालियन को वहां से लद्दाख भेजा गया था।


विस्तार
सीमापार से घुसपैठ करने के बाद आतंकी छह रूट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें कुछ आतंकियों के पारंपरिक रूट्स रहे हैं, जिन्हें वह 1990 के दशक में इस्तेमाल करते थे। जम्मू संभाग में आतंकवादी घटनाएं कम होने के बाद इन रूट्स पर सेना की तैनाती कम कर दी गई थी। इसके बाद ही आतंकियों ने ओजीडब्ल्यू वर्कर की मदद से पुराने रूट्स का इस्तेमाल कर आतंकी हमले किए और जम्मू संभाग में अपनी सक्रियता बढ़ाई।
सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू संभाग में कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़ रूट्स चिह्नित किए हैं, बीते दो साल में हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने इन्हीं रूट्स का इस्तेमाल किया था। ये नदी नालों और घने जंगलों में हैं। कठुआ में हमला करने वाले आतंकियों ने बिलवार के मल्हार में अपने ठिकानों को भी सक्रिय किया है। हीरानगर के तरनाह नला, उज्ज दरिया, रावी दरिया रूट्स का भी आतंकियों ने इस्तेमाल किया है। सुरक्षा एजेंसियों के इन रूट्स को चिह्नित करने के बाद आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को गति मिली है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना कि जम्मू संभाग में आतंकी गतिविधियां बढ़ना चिंता का विषय है। 1998-90 में आतंकी घुसपैठ के बाद जिन रूट्स का इस्तेमाल करते थे, उन्होंने फिर उस रूट्स को सक्रिय किया है, क्योंकि लद्दाख में हुए तनाव के कारण इन संभावित रूट्स के आसपास तैनात सेना की बटालियन को वहां से लद्दाख भेजा गया था। इसका लाभ आतंकियों ने उठाया और 2023 से जम्मू संभाग में अपनी गतिविधियां बढ़ाईं। अब लद्दाख से सेना को वापस बुलाकर उन दूरदराज इलाकों में तैनात किया जा रहा है, जहां उनकी तैनाती पहले रहती थी। इससे न सिर्फ लोगों में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को और ज्यादा बल मिलेगा।
आतंकियों की घेराबंदी भी हुई मजबूत
सेवानिवृत्त बिग्रेडियर डॉ. विजय सागर बताते हैं कि जम्मू संभाग में आतंकियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई हो रही है। घुसपैठ के बाद सीमा पार आने वाले आतंकियों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे संभावित सात रूट्स को सुरक्षा एजेंसियों ने चिह्नित किया है। वहीं, आतंकियों के खिलाफ घेराबंदी भी मजबूत हुई है, ताकि घुसपैठ कर चुके आतंकी जम्मू से कश्मीर संभाग में दाखिल न हो पाएं। आतंकियों के पास या तो अपने ठिकाने में ही बैठे रहने या फिर बाहर निकल कर मरने का ही विकल्प है।