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J&K: 'जम्मू-कश्मीर को जल्द मिलेगा राज्य का दर्जा, अनुच्छेद हटने के बाद बदली यहां की तस्वीर', रामदास आठवले
अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू
Published by: निकिता गुप्ता
Updated Fri, 28 Feb 2025 12:39 PM IST
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सार
रामदास आठवले ने जम्मू-कश्मीर को जल्द राज्य का दर्जा मिलने की उम्मीद जताई, अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्षेत्र में विकास और पर्यटन में वृद्धि की बात की।

रामदास आठवले
- फोटो : एएनआई
विस्तार
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि एक समय था जब पर्यटक जम्मू-कश्मीर आने से डरते थे। अनुच्छेद 370 हटने के बाद इसमें बदलाव आया है। अब पर्यटक बिना किसी डर के जम्मू-कश्मीर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया है, जो बदलाव की कहानी को बयां करता है।
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मंत्री वीरवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जम्मू में थे। इसके बाद हुई प्रेस वार्ता में कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना बहुत बड़ा कदम था, जिसने जम्मू कश्मीर में विकास को मजबूती दी है। आतंकवाद का खात्मा किया और रोजगार के अवसर पैदा किए। उन्होंने कहा कि लोगों की मांग की जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिले।
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इसके लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है और जल्द राज्य का दर्जा बहाल होगा। उन्होंने कहा कि 2.5 करोड़ से ज्यादा पर्यटक अनुच्छेद 370 हटने के बाद आए है। पर्यटन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था चलती है। ऐसे में यहां पर्यटन को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 23 लाख छह हजार बैंक खाते खुले हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 20 लाख 97 हजार लोगों को रोजगार मिले। मंत्री ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में अधिक मतदान की सराहना की।
उन्होंने कहा, हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन सत्ता में आया, लेकिन इससे हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि हम लोगों के साथ हैं और क्षेत्र का विकास चाहते हैं। पुणे के व्यस्त स्वारगेट बस अड्डे में बस में 26 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार की घटना के बारे में पूछे जाने पर आठवले ने कहा कि ऐसी घटनाएं निंदनीय और दिल दहला देने वाली हैं। उन्होंने कहा, हम मांग करते हैं कि ऐसी घटनाओं के दोषियों को फांसी दी जाए।हिंदी के विरोध पर बोले
तमिलनाडु में हिंदी थोपने के विरोध पर आठवले ने कहा कि दक्षिणी राज्य में हिंदी का विरोध नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा, हिंदी लगभग 90 से 100 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है, जबकि राज्य स्तर की भाषाएं कुछ खास क्षेत्रों तक ही सीमित हैं।
इसलिए हिंदी को कहीं भी लागू करने में कोई बुराई नहीं है। आठवले केंद्र शासित प्रदेश के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने के लिए दौरे पर थे। उन्होंने विभिन्न वर्गों के कल्याण के लिए सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर संतोष व्यक्त किया।