J&K: 'नया कश्मीर अब संघर्ष की नहीं, बल्कि विश्वास की बहाली और आस्था के प्रतिफल की कहानी है', बोले उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के निरसन के बाद हो रहे परिवर्तन, विश्वास की बहाली और क्षेत्रीय प्रगति की ओर बढ़ते कदमों को सराहा।

विस्तार
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में जम्मू-कश्मीर में हो रहे ऐतिहासिक परिवर्तन को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर अब संघर्ष की नहीं, बल्कि विश्वास और आस्था की बहाली की कहानी बन चुका है।

उपराष्ट्रपति ने 2024 के लोकसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर में 35 वर्षों में सबसे अधिक मतदान होने का जिक्र करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है और यह दिखाता है कि अब इस क्षेत्र में संघर्ष की बजाय प्रगति और एकता की दिशा में बदलाव आया है। यह क्षेत्र अब संघर्ष की कहानी नहीं रह गया है, बल्कि हर निवेश प्रस्ताव पुनर्स्थापित विश्वास और आस्था का प्रतीक बन चुका है।
धारा 370 का ऐतिहासिक निरसन
2019 में अनुच्छेद 370 का ऐतिहासिक निरसन पीढ़ियों की आकांक्षाओं को पंख देने जैसा था। यह केवल एक अस्थायी प्रावधान था, जिसे डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने तैयार करने से इनकार कर दिया था। सरदार पटेल जिन्होंने रियासतों का भारतीय संघ में एकीकरण किया वे भी जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में पूरी तरह से शामिल नहीं कर सके थे, लेकिन 2019 में यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया।
निवेश और प्रगति के नए युग की शुरुआत
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को पिछले दो वर्षों में 65,000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विश्वास और आत्मविश्वास की वृद्धि हुई है। 2019 के बाद पहली बार विदेशी निवेश (एफडीआई) जम्मू-कश्मीर में आया है, और कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां यहां निवेश करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने यह भी कहा 2023 में 2 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा की, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व बढ़ावा मिला।
राष्ट्रीय पुनर्जागरण की दिशा में एक कदम
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का यह रूपांतरण केवल क्षेत्रीय बदलाव नहीं है, बल्कि यह भारत के राष्ट्रीय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सुनिश्चित किया कि इस बदलाव का असर पूरे देश पर पड़ेगा और देश अब वैश्विक स्तर पर निवेश और अवसरों का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।
युवाओं के लिए प्रेरणा
युवाओं से अपील की राष्ट्रवाद हमारी पहचान है और हमारा परम कर्तव्य है कि हम राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखें। कोई भी राजनीतिक या व्यक्तिगत स्वार्थ राष्ट्रहित से बड़ा नहीं हो सकता। नागरिक कर्तव्यों के पालन पर भी जोर दिया और कहा कि यह देश को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है।
इस दीक्षांत समारोह में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला, शिक्षा मंत्री सकीना मसूद और अन्य गणमान्य व्यक्तियां उपस्थित थीं।
अपने संबोधन का समापन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा परिवर्तन की हवाओं ने शांति और प्रगति का संदेश दिया है। आइए, हम जम्मू-कश्मीर और भारत के लिए एक नई सुबह के निर्माता बनें।