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आपदा में गरीब और कमजोर लोग सर्वाधिक प्रभावित होते हैं : प्रो. नीलोफर
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संवाद न्यूज एजेंसी
श्रीनगर। आपदाएं हमारे समाज में व्याप्त गहरी असमानताओं को उजागर करती हैं। सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोग अक्सर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और उबरने के लिए सबसे कम सक्षम होते हैं। लचीलापन बनाने के लिए जरूरी है कि हम समावेशी, न्यायसंगत और सक्रिय योजना के माध्यम से इन अंतर्निहित कमजोरियों का समाधान करें।
यह बातें कश्मीर विश्वविद्यालय (केयू) की कुलपति प्रो. नीलोफर खान ने कही। वह सोमवार को केयू के भूगोल एवं आपदा प्रबंधन विभाग एवं जम्मू-कश्मीर सरकार के आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण विभाग (डीएमआरआरआर) के सहयोग से आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रही थीं।
केयू के डीन रिसर्च प्रो. मोहम्मद सुल्तान भट ने कहा कि आपदाएं तेजी से महंगी होती जा रही हैं। हर साल वैश्विक नुकसान अरबों डॉलर का हो रहा है। अतिरिक्त सचिव डीएमआरआर गियासुल हक ने आपदा तैयारियों को मजबूत करने और स्थानीय स्तर पर जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समन्वित संस्थागत प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
वर्चुअल रुप सेे जुड़े यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के प्रोफेसर प्रो. पीटर सैमंड्स ने कहा कि आपदाएं मुख्यतः सामाजिक कमजोरियों से उत्पन्न होती हैं। केयू के रजिस्ट्रार प्रो. नसीर इकबाल ने आपदाओं के दौरान तैयारियों और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। गोष्ठी को डॉ. जगवीर सिंह, स्नोबर जमील, प्रो. परवेज अहमद, प्रो. जीएम राथर ने भी विचार व्यक्त किया।
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श्रीनगर। आपदाएं हमारे समाज में व्याप्त गहरी असमानताओं को उजागर करती हैं। सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोग अक्सर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और उबरने के लिए सबसे कम सक्षम होते हैं। लचीलापन बनाने के लिए जरूरी है कि हम समावेशी, न्यायसंगत और सक्रिय योजना के माध्यम से इन अंतर्निहित कमजोरियों का समाधान करें।
यह बातें कश्मीर विश्वविद्यालय (केयू) की कुलपति प्रो. नीलोफर खान ने कही। वह सोमवार को केयू के भूगोल एवं आपदा प्रबंधन विभाग एवं जम्मू-कश्मीर सरकार के आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण विभाग (डीएमआरआरआर) के सहयोग से आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रही थीं।
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केयू के डीन रिसर्च प्रो. मोहम्मद सुल्तान भट ने कहा कि आपदाएं तेजी से महंगी होती जा रही हैं। हर साल वैश्विक नुकसान अरबों डॉलर का हो रहा है। अतिरिक्त सचिव डीएमआरआर गियासुल हक ने आपदा तैयारियों को मजबूत करने और स्थानीय स्तर पर जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समन्वित संस्थागत प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
वर्चुअल रुप सेे जुड़े यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के प्रोफेसर प्रो. पीटर सैमंड्स ने कहा कि आपदाएं मुख्यतः सामाजिक कमजोरियों से उत्पन्न होती हैं। केयू के रजिस्ट्रार प्रो. नसीर इकबाल ने आपदाओं के दौरान तैयारियों और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। गोष्ठी को डॉ. जगवीर सिंह, स्नोबर जमील, प्रो. परवेज अहमद, प्रो. जीएम राथर ने भी विचार व्यक्त किया।