Mental Health: जन्म के महीने का भी मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर? अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा
- क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का जोखिम अधिक हो सकता है?
- हालिया शोध में यह सामने आया है कि कुछ विशेष महीनों में जन्म लेने वाले लोगों में मानसिक समस्याओं का खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है।
विस्तार
मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याएं वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बनी हुई हैं। हाल के दशकों में, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। स्ट्रेस-एंग्जाइटी हो या अवसाद की समस्या, हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों में इसका निदान किया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये गंभीर चुनौती बनती जा रही है क्योंकि कम उम्र के लोग, यहां तक कि 20 से भी कम आयु वालों को मेंटल हेल्थ की समस्याओं का शिकार पाया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हर 8वां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है। भागदौड़ भरी जिंदगी, सोशल मीडिया का दबाव, अकेलापन, आर्थिक तनाव और भावनात्मक असंतुलन जैसी स्थितियां हमारे दिमाग पर अनजाने में बोझ डालती हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का जोखिम अधिक हो सकता है? हालिया शोध में यह सामने आया है कि कुछ विशेष महीनों में जन्म लेने वाले लोगों में मानसिक समस्याओं का खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है।
गर्मियों में जन्मे लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम
पल्सवन जर्नल में प्रकाशित शोध में अध्ययनकर्ताओं की टीम ने बताया कि गर्मियों के महीने (विशेषकर जून, जुलाई और अगस्त) में पैदा हुए पुरुषों को डिप्रेशन होने का खतरा, अन्य लोगों की तुलना में अधिक हो सकता है। ये शोध कनाडा स्थित क्वांटलेन पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता द्वारा किया गया है।
वैज्ञानिकों की टीम यह जांचना चाहती थी कि किसी खास मौसम में जन्म लेने वाले बच्चों में भविष्य में अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने का खतरा अधिक होता है? वैसे तो इस अध्ययन का सैंपल साइज काफी छोटा है, हालांकि इसके परिणाम विचारणीय जरूर हैं।
शोध में क्या पता चला?
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने 303 लोगों के सैंपल का अध्ययन किया जिसमें 106 पुरुष और 197 महिलाएं शामिल थी, इनकी औसत आयु 26 वर्ष थी। इन लोगों का PHQ-9 (अवसाद के लिए) और GAD-7 (चिंता के लिए) मूल्यांकन किया गया। PHQ-9 और GAD-7 मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के निर्धारण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला टूल है।
इस मूल्यांकन की मदद से लोगों में सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने की कोशिश की गई। इसके अलावा शोध के दौरान प्रतिभागियों के जन्म के माह को भी ध्यान में रखा गया। इस शोध के निष्कर्ष में 84 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन और 66 प्रतिशत प्रतिभागियों में स्ट्रेस के लक्षण देखे गए।
आंकड़ों का विश्लेषण करने पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि स्ट्रेस की समस्या वैसे तो किसी खास मौसम से जुड़ी हुई नहीं थी, पर डिप्रेशन वाले लोगों में का प्रभाव देखा गया। इसमें पाया गया कि गर्मियों में पैदा हुए 78 पुरुषों को PHQ-9 टेस्ट में हल्के से लेकर गंभीर स्तर के डिप्रेशन का पता चला। इसकी तुलना में सर्दियों में पैदा हुए 67, वसंत में पैदा हुए 58 और शरद ऋतु में पैदा हुए 68 लोगों में ये लक्षण कम देखे गए।
क्या कहती हैं शोधकर्ता?
अध्ययन की प्रमुख लेखिका अर्शदीप कौर ने निष्कर्ष निकाला कि जन्म के समय की प्रारंभिक विकासात्मक परिस्थितियों (जैसे प्रकाश के संपर्क में आना, तापमान, या गर्भावस्था के दौरान मातृ स्वास्थ्य) का मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भावस्था या बचपन के दौरान फ्लू जैसी मौसमी बीमारियों के संपर्क में आने से भी अवसाद सहित कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, बच्चों के विकास के उम्र के दौरान पारिस्थितिक तंत्रों का विशेष असर होता है। इस अध्ययन में गर्मियों के दौरान जन्मे बच्चों के भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य पर असर देखा गया है। हालांकि इसकी प्रमाणिकता के लिए हमें और विस्तार से शोध की आवश्यकता है।
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स्रोत
Investigating the association between season of birth and symptoms of depression and anxiety in adults
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