मां के पावन नवरात्रि पर्व की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो गई है। इस साल 17 अक्तूबर से 24 अक्तूबर तक शारदीय नवरात्रि मनाई जाएगी। नवरात्रि के दौरान मां के पावन शक्तिपीठ धामों में काफी भीड़ रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां के पावन शक्तिपीठ में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां के शक्तिपीठ भारत के अलावा विदेशों में भी हैं। इस साल कोरोना वायरस का असर नवरात्रि पर भी पड़ने जा रहा है और मां के शक्तिपीठ धामों में हर साल की तरह भीड़ नहीं रहेगी। आज हम आपको मां के एक पावन शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर मनोकामना पूरी हो जाने पर सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाएं जाते हैं।
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Navratri 2020: मां के इस पावन शक्तिपीठ में मनोकामना पूर्ति के बाद चढ़ाएं जाते हैं सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: योगेश जोशी
Updated Sat, 24 Oct 2020 06:03 AM IST
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मां के पावन नवरात्रि पर्व की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो रही है
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कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर स्थित है
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कुरुक्षेत्र में स्थित है मां का पावन शक्तिपीठ धाम
- कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर स्थित है। मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर मां के पावन शक्तिपीठ धामों से एक है। मां के शक्तिपीठ धामों में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां के इस पावन धाम में भक्तों का तांता लगा रहता है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती का दांया टखना गिरा था
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माता सती का दांया टखना गिरा था इस स्थान पर
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती का दांया टखना गिरा था। जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर तांडव करने लगे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से माता सती के शव के टुकड़े कर दिए थे। जहां- जहां माता सती के अंग और आभूषण गिरे वो स्थान मां के पावन शक्तिपीठ धाम बन गए।
कुरुक्षेत्र में स्थित मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर मां काली के आठ स्वरूपों में से एक है
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मां काली के आठ स्वरूपों में से एक है यह मंदिर
- कुरुक्षेत्र में स्थित मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर मां काली के आठ स्वरूपों में से एक है। मां के इस पावन धाम में मनोकामना पूरी होने के बाद सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाए जाते हैं।
अगली स्लाइड में जानिए मनोकामना पूरी हो जाने के बाद मां के इस पावन धाम में सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े क्यों चढ़ाएं जाते हैं...
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अर्जुन ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद मां के इस पावन धाम में अपना सबसे श्रेष्ठ घोड़ा अर्पित किया था
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सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाने की परंपरा
- धार्मिक कथाओं के अनुसार अर्जुन ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद मां के इस पावन धाम में घोड़ा चढ़ाने का निर्णय किया था। अर्जुन ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद मां के इस पावन धाम में अपना सबसे श्रेष्ठ घोड़ा अर्पित किया था। तब से मां के इस पावन धाम में घोड़े चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। भक्त मनोकामना पूरी हो जाने के बाद मां के इस धाम में सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं।