बसपा: यूपी के बाद हरियाणा में भी ठिठकी हाथी की चाल, नहीं चला आकाश आनंद का जादू, घटा वोट प्रतिशत
Haryana elections: बसपा के खेमे से लगातार बुरी खबरें आ रही हैं। लोकसभा चुनाव में खाता न खोल पाने वाली बसपा ने हरियाणा के चुनावों में भी दयनीय प्रदर्शन किया है।
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लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा चुनाव में भी दलित वोटरों को हाथी की सवारी रास नहीं आई। करीब तीन माह से हरियाणा में कैंप करके अपनी पूरी ताकत लगाने वाले बसपा के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद की मेहनत रंग नहीं दिखा सकी तो बसपा सुप्रीमो मायावती की रैलियों का जादू भी दलितों पर नहीं चला। नतीजतन, बीते विधानसभा चुनाव में 4.22 फीसद वोट हासिल करने वाली बसपा महज 1.82 फीसद वोट में सिमट गई।
बता दें कि बसपा को बीते लोकसभा चुनाव में देश भर में महज 2.06 फीसदी वोट ही हासिल हुआ था। हरियाणा विधाानसभा के हालिया नतीजों की बात करें तो बसपा लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन के इर्द-गिर्द ही सिमट गई। चुनाव में न केवल दलितों, बल्कि मुस्लिम वोट बैंक ने भी बसपा से दूरी बनाए रखी। हार की वजहों की बात करें तो इंडियन लोकदल से गठबंधन करने का कोई फायदा बसपा को नहीं हुआ।
मायावती ने खुद स्वीकारा है कि उन्हें हरियाणा में जाटों का वोट नहीं मिला, जबकि उनका वोट इनेलो को ट्रांसफर हुआ। जानकारों के मुताबिक बसपा की लगातार शिकस्त की वजह पार्टी पदाधिकारियों का सक्रिय न होना, पार्टी का कोई प्रवक्ता नहीं होने से जनता तक पार्टी की नीतियों और विचारों का प्रसार नहीं होना और गठबंधन करने के चुनाव पार्टी का चयन करने में लगातार गलतियां करना है। हरियाणा चुनाव में भी यह देखने को मिला, जहां इनेलो में टूट के बावजूद उससे गठबंधन किया गया। इसी वजह से इनेलो के हिस्से में तो दो सीटें आईं, लेकिन बसपा को जीत के लिए तरसना पड़ गया।
जातिवादी पार्टियां वोट बांटने की कर रही साजिश
बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को पार्टी संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर कहा कि कांग्रेस, भाजपा व सपा आदि जातिवादी पार्टियां बसपा को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानती हैं। बसपा व उसके नेतृत्व को आघात पहुंचाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडों का इस्तेमाल करती रहती हैं। चुनाव के समय बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए स्वार्थी तत्वों के जरिए छोटी-छोटी पार्टी व संगठन बनाकर तथा उन्हें चुनाव भी लड़वाकर वोटों को बांटने का कार्य किया जाता है। इनमें एकाध को जिताकर बहुजन मूवमेंट को कमजोर किया जाता है। इससे सजग व सावधान रहने की जरूरत है, वरना जातिवादी पार्टियों का बहुजन-विरोधी ’वोट हमारा-राज तुम्हारा’ का कुचक्र चलता रहेगा। इसकी चक्की में गरीब बहुजन पिसता रहेगा और उन्हें शासक वर्ग बनाने का डॉ. अंबेडकर तथा कांशीराम का सपा अधूरा ही रहेगा। इस अवसर पर लखनऊ और नोएडा में बसपा समर्थकों ने कांशीराम को श्रद्धांजलि अर्पित की।