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मिशन 2024 पर अखिलेश: हर जिले में डालेंगे डेरा, बिना चुनाव विभिन्न जिलों में तीन दिन तक जनसभा कर दिया नया संदेश
चंद्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 30 Aug 2022 09:24 AM IST
सार
पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि चुनावी रणभेरी बजने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक-एक जनसभा करेंगे। विधानसभा चुनाव में सत्ता से दूर रहने के बाद सपा को लोकसभा उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में पार्टी संगठनात्मक इकाइयां भंग कर नए सिरे से पुनर्गठन की तैयारी में जुटी है।
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सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
समाजवादी पार्टी मिशन 2024 की तैयारी में जुट गई है। सहयोगियों के साथ छोड़ने के बाद पार्टी मुखिया की चाल बदल गई है। वे पहली बार बिना चुनाव तीन दिन से लखनऊ से बाहर हैं और विभिन्न जिलों में जनसभाएं कर रहे हैं। वे भाजपा की खामियां गिना रहे हैं और अपनी ताकत की थाह भी ले रहे हैं।
पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि चुनावी रणभेरी बजने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक-एक जनसभा करेंगे। विधानसभा चुनाव में सत्ता से दूर रहने के बाद सपा को लोकसभा उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में पार्टी संगठनात्मक इकाइयां भंग कर नए सिरे से पुनर्गठन की तैयारी में जुटी है।
इस बीच विधानसभा चुनाव के दौरान सहयोगी रही सुभासपा, महान दल जैसे सहयोगी सपा शीर्ष नेतृत्व पर कई तरह के आरोप लगाए और गठबंधन से अलग हो गए। प्रसपा भी सक्रिय है। ऐसे में सपा शीर्ष नेतृत्व में बदलाव साफ दिख रहा है। वह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नई रणनीति से सक्रिय हो गए हैं।
चुनाव से पहले हर जिले को मथने की रणनीति
कन्नौज और आजमगढ़ के बाद अखिलेश तीन दिन से लखनऊ से बाहर हैं। नोएडा, मथुरा होते हुए उन्होंने सोमवार को औरैया में जनसभा की। इन तीनों जिलों की जनसभाओं में चुनावी मुद्दे उठाए। गांव, गरीब और युवाओं को साधने की कोशिश की। युवाओं से जुड़े मुद्दे को बार-बार दोहराकर वाहवाही लूटी। डॉ. लोहिया के साथ डॉ. आंबेडकर को भी जोड़ा और संविधान बचाने की दुहाई दी।
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पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि चुनावी रणभेरी बजने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक-एक जनसभा करेंगे। विधानसभा चुनाव में सत्ता से दूर रहने के बाद सपा को लोकसभा उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में पार्टी संगठनात्मक इकाइयां भंग कर नए सिरे से पुनर्गठन की तैयारी में जुटी है।
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इस बीच विधानसभा चुनाव के दौरान सहयोगी रही सुभासपा, महान दल जैसे सहयोगी सपा शीर्ष नेतृत्व पर कई तरह के आरोप लगाए और गठबंधन से अलग हो गए। प्रसपा भी सक्रिय है। ऐसे में सपा शीर्ष नेतृत्व में बदलाव साफ दिख रहा है। वह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नई रणनीति से सक्रिय हो गए हैं।
चुनाव से पहले हर जिले को मथने की रणनीति
कन्नौज और आजमगढ़ के बाद अखिलेश तीन दिन से लखनऊ से बाहर हैं। नोएडा, मथुरा होते हुए उन्होंने सोमवार को औरैया में जनसभा की। इन तीनों जिलों की जनसभाओं में चुनावी मुद्दे उठाए। गांव, गरीब और युवाओं को साधने की कोशिश की। युवाओं से जुड़े मुद्दे को बार-बार दोहराकर वाहवाही लूटी। डॉ. लोहिया के साथ डॉ. आंबेडकर को भी जोड़ा और संविधान बचाने की दुहाई दी।
कुल्हड़ की चाय पीने से लेकर चाट खाने के लिए सामान्य दुकानों पर रुके। यह पूरा घटनाक्रम अनायास नहीं है। इसके सियासी निहितार्थ हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि वे बारी-बारी से हर जिले में जनसभा करेंगे और लोगों की समस्याएं उठाएंगे। प्रदेश की सियासी नब्ज पर नजर रखने वाले सपा अध्यक्ष की सक्रियता को भविष्य की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं।
कई छोटे दल रहेंगे साथ
सपा से सहयोगियों के बिछड़ने के बाद कई क्षेत्रीय दल संपर्क में हैं। ये दल अलग-अलग इलाकों में सक्रिय भूमिका में हैं। ये दल कहीं जाति के आधार पर तो कहीं क्षेत्र के आधार पर संघर्ष कर रहे हैं। इन संगठनों ने सपा के साथ रहने की सहमति दी है। सूत्रों का कहना है कि चुनाव के वक्त इन्हें साथ लेकर सपा अपना कारवां आगे बढ़ाएगी।
कई छोटे दल रहेंगे साथ
सपा से सहयोगियों के बिछड़ने के बाद कई क्षेत्रीय दल संपर्क में हैं। ये दल अलग-अलग इलाकों में सक्रिय भूमिका में हैं। ये दल कहीं जाति के आधार पर तो कहीं क्षेत्र के आधार पर संघर्ष कर रहे हैं। इन संगठनों ने सपा के साथ रहने की सहमति दी है। सूत्रों का कहना है कि चुनाव के वक्त इन्हें साथ लेकर सपा अपना कारवां आगे बढ़ाएगी।