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UP: पूरब से पश्चिम तक BJP का अगड़े-पिछड़ों पर दांव, दो ठाकुर समेत इन्हें मिला टिकट; एक भी दलित उम्मीदवार नहीं

सचिन मुद्गल, अमर उजाला, लखनऊ Published by: शाहरुख खान Updated Sun, 10 Mar 2024 09:43 AM IST
सार

भाजपा ने विधान परिषद की सात सीटों के लिए शनिवार को प्रत्याशी घोषित कर दिए। वर्तमान सदस्य एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, मध्यप्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रभारी एवं परिषद सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह और लोकसभा चुनाव समन्वय के प्रभारी एवं परिषद सदस्य अशोक कटारिया को फिर से परिषद का टिकट दिया गया है।

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BJP declared seven candidates in Legislative Council elections Dr. Mahendra Singh, Vijay Bahadur
BJP declared seven candidates - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भाजपा ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विधान परिषद चुनाव में पूरब से पश्चिम तक अगड़े और पिछड़ो पर दांव चला है। पार्टी ने दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार और दो पिछड़ों को मैदान में उतारा है। तमाम कोशिश के बाद भी सामाजिक संतुलन बैठाने में चूक रही है। सात प्रत्याशियों में एक भी दलित और अल्पसंख्यक सदस्य नहीं हैं।
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पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज को साधने के लिए पूर्व परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया और पार्टी ने अपने जाट बैंक पर कब्जा बनाए रखने के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल को टिकट दिया है। 
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वहीं पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट बैंक को संदेश देने के लिए आजमगढ़ के विजय बहादुर पाठक को फिर मौका मिला है। पूर्वांचल और अवध में ठाकुर वोट बैंक में आधार बरकरार रखने के लिए डॉ. महेंद्र सिंह और संतोष सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। 

अवध से पूर्वांचल तक भूमिहार समाज को संतुष्ट रखने के लिए धर्मेंद्र सिंह को मौका दिया है। एनडीए के दस उम्मीदवारों के सामाजिक समीकरण में अगड़े समाज से दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार हैं। जबकि तीन पिछड़ों में दो जाट, एक गुर्जर और एक कुर्मी हैं।

सात में एक भी दलित उम्मीदवार नहीं
5 मई को रिक्त होने वाली परिषद की जिन 13 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है उनमें भाजपा के विद्यासागर सोनकर और निर्मला पासवान, बसपा के डॉ. भीमराव आंबेडकर दलित सदस्य हैं। लेकिन भाजपा, रालोद और अपना दल के प्रत्याशियों में एक भी दलित प्रत्याशी नहीं हैं। 

 

सपा के जो नाम चल रहे हैं, उनमें भी कोई दलित नहीं है। नतीजन विधान परिषद में तीन दलित सदस्य कम होने से उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। परिषद में 6 मई से भाजपा के मात्र दो लालजी निर्मल और सुरेंद्र चौधरी दलित सदस्य रह जाएंगे। 

 

उल्लेखनीय है कि भाजपा ने हालही में राज्यसभा की दस सीटों के लिए हुए चुनाव में आठ सीटों पर विजय हासिल की है। भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्यों में भी एक भी सदस्य दलित समाज से नहीं है।

अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व भी कम
विधान परिषद की जिन 13 सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें भाजपा के मोहसिन रजा और बुक्कल नवाब दो अल्पसंख्यक सदस्य है। दोनों का टिकट कटने से परिषद में अल्पसंख्यक समुदाय का नेतृत्व भी कमजोर हुआ है। परिषद में अब भाजपा से राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. तारिक मंसूर सदस्य हैं। जबकि सपा से शाहनवाज खान और मोहम्मद जासमीर अंसारी सदस्य हैं। सपा प्रत्याशियों पर निगाहें हैं।

प्रत्याशी परिचय
डॉ. महेंद्र सिंह - योगी आदित्यनाथ सरकार 1.0 में जलशक्ति मंत्री रहे हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश के चुनाव प्रभारी हैं। देश के कई राज्यों में चुनाव कराने का अनुभव है। प्रदेश से लेकर केंद्र तक मजबूत पकड़ है। तीसरी बार परिषद जाने का मौका मिला है।

विजय बहादुर पाठक - भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी से लेकर प्रदेश महामंत्री तक रहे हैं। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के करीबी हैं। संगठनात्मक गतिविधियों के कि्रयान्वयन से लेकर चुनाव प्रबंधन का लंबा अनुभव है। दूसरी बार परिषद जाने का मौका मिला है।
 

अशोक कटारिया - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में छात्र राजनीति की शुरुआत की। भाजयुमो के के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पार्टी के प्रदेश महामंत्री तक रहे हैं। गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा के केंद्रीय नेताओं की नजर में अच्छी छवि का फायदा मिला है।

 

मोहित बेनीवाल - भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष रहे हैं। पश्चिम में जाट समाज के चेहरे माने जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के करीबी हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष होने के नाते पहली बार परिषद का टिकट मिला है।

 

संतोष सिंह - अभाविप के जरिए लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति की शुरुआत की। पार्टी में प्रदेश मंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर लंबा अनुभव है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के समान करीबी हैं।

 

धमेंद्र सिंह - पत्रकारिता से राजनीति में आए हैं। भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी हैं। वाराणसी और उसके आसपास के जिलों में भूमिहार समाज में पार्टी का उभरता हुआ चेहरा हैं।

 

राम तीरथ सिंघल - झांसी के पूर्व महापौर रहे हैं। बुंदेलखंड में वैश्य समाज को साधने के लिए मौका मिला है।

आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद की सात सीटों के लिए शनिवार को उम्मीदवारों का एलान कर दिया। वर्तमान सदस्य एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, मध्यप्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रभारी एवं परिषद सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह और लोकसभा चुनाव समन्वय के प्रभारी एवं परिषद सदस्य अशोक कटारिया को फिर से परिषद का टिकट दिया गया है।

 

विधान परिषद की 13 सीटों पर हो रहे रहे चुनाव में एनडीए को दस और सपा को तीन सीटें मिलेंगी। एनडीए ने एक सीट अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल के लिए दी है। एक सीट पर राष्ट्रीय लोक दल ने योगेश चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। एक सीट गठबंधन में सुभासपा को मिल सकती है।

शेष सात सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किए हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल और डॉ. संतोष सिंह, झांसी के पूर्व महापौर राम तीरथ सिंघल और प्रदेश भाजपा के मीडिया सह प्रभारी धर्मेंद्र सिंह को भी प्रत्याशी बनाया गया है। एनडीए के सभी प्रत्याशी नामांकन के अंतिम दिन 11 मार्च को नामांकन दाखिल करेंगे।

 

इनका टिकट कटा
विधान परिषद के सदस्य यशवंत सिंह का टिकट कटा है। यशवंत ने स्थानीय निकाय क्षेत्र के चुनाव में आजमगढ़ से बगावत कर अपने बेटे विक्रांत सिंह उर्फ रिशु को निर्दलीय चुनाव लड़ाया था। भाजपा चुनाव हार गई थी, विक्रांत सदस्य निर्वाचित हुए थे। विद्यासागर सोनकर, मोहसिन रजा, डॉ. सरोजनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब, अशोक धवन और निर्मला पासवान का टिकट कटा है।
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