बसपा: एक बार फिर चुनावों में औंधे मुंह गिरी पार्टी, यूपी, हरियाणा के बाद दिल्ली में भी शर्मनाक प्रदर्शन
Delhi Assembly Elections: बहुजन समाज पार्टी एक के बाद एक राज्यों के चुनावों में खराब प्रदर्शन कर रही है। आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद पार्टी की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
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हरियाणा के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी अपना खाता खोल पाने में नाकाम साबित हुई। पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद के नेतृत्व में लड़े गए दोनों चुनावों में बसपा अपनी सियासी जमीन तक नहीं तलाश सकी। वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी उमाशंकर सिंह विधायक बने थे, जिसके बाद से बसपा चुनावों में जीत को तरस रही है।
बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर और उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद यूपी व उत्तराखंड छोड़कर देश भर में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। आकाश के नेतृत्व में बसपा ने हरियाणा चुनाव में गठबंधन किया था, इसके बावजूद पार्टी का कोई भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका। बसपा को दिल्ली चुनाव से खासी उम्मीदें थी, लेकिन इस बार भी उसे निराशा हाथ लगी है। इससे पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक निराश हैं। दिल्ली चुनाव में मायावती ने कोई भी जनसभा को संबोधित नहीं किया था। इस फैसले को लेकर भी पार्टी में तमाम चर्चाएं हो रही हैं।
नहीं तय की जिम्मेदारी
दिल्ली चुनाव में करारी शिकस्त के बाद भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की है। नतीजे घोषित होने के बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने 'हवा चले जिधर की, चलो तुम उधर की' के तर्ज पर वोट देकर भाजपा की सरकार बना दी। भाजपा के पक्ष में एकतरफा वोटिंग होने से बसपा सहित दूसरी पार्टियों को काफी नुकसान सहना पड़ा।इसका प्रमुख कारण अब तक दिल्ली में सत्ता में रही आम आदमी पार्टी की सरकार है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को दिए संदेश में कहा कि आंबेडकरवादियों को निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके राजनीतिक संघर्ष को जातिवादी पार्टियां आसानी से सफल नहीं होने देंगी। आगे बढ़ने का प्रयास पूरे तन, मन, धन से लगातार जारी रखना है तभी यूपी की तरह बसपा के मूवमेंट को सफलता मिलेगी और बहुत कुछ बदलेगा।