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सीमा पार से फंडिंग:खाड़ी देशों में नौकरी करने वाले नेपाली युवाओं को बना रहे मोहरा, नौकरी के बराबर दे रहे सैलरी

अभिषेक राज, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Thu, 04 Dec 2025 10:51 AM IST
सार

जानकारी के अनुसार लुंबिनी प्रांत के गुल्मी जिला निवासी पांच युवाओं ने नौकरी के दौरान ही यूएई में धर्म बदल लिया। इसके बाद वे नेपाल लौटे और धर्म प्रचार के नाम पर भारत से लगते मधेश प्रदेश में सक्रिय हैं। देखें, एक रिपोर्ट:  
 

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Cross-border funding: Nepali youth employed in Gulf countries are being used as pawns
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
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नेपाल के रास्ते आतंकियों के विदेशी फंडिंग का नया मॉड्यूल सामने आया है। तुर्किए के साथ मिलकर आईएसआई दुबई व दोहा जाने वाले नेपाली युवाओं को प्रभावित कर रही है। इसके लिए पहले धर्म बदलवाया जा रहा और फिर उन्हें नेपाल के ग्रामीण क्षेत्रों में धर्मांतरण की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। नौकरी से मिल रहे वेतन के बराबर नेपाल में ही भुगतान किया जा रहा है।

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यही माड्यूल बलरामपुर में पकड़े गए धर्मांतरण के आरोपी छांगुर पीर सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के साथ मिलकर अपनाए हुए था। नौ सितंबर को दिल्ली में पकड़ा गया नेपाल का आईएसआई एजेंट प्रभात कुमार चौरसिया भी इसी का हिस्सा बताया जा रहा है। इसी कारण सुरक्षा एजेंसियां हाई रिस्क एंट्री पॉइंट्स की लिस्ट को अपडेट करने में जुटी हैं।
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नेपाल सरकार की लेबर माइग्रेशन रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली युवा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में सबसे ज्यादा जाते हैं। नेपाल से हर महीने औसतन 66 हजार युवा विदेश जा रहे हैं, जिसमें अकेले फरवरी में 25,117 ने यूएई के लिए वर्क परमिट प्राप्त किया। बीते दस महीनों में 175, 350 से अधिक युवाओं ने यूएई के लिए वर्क परमिट लिया है।

एजेंसियों के अनुसार लुंबिनी प्रांत के गुल्मी जिला निवासी पांच युवाओं ने नौकरी के दौरान ही यूएई में धर्म बदल लिया। इसके बाद वे नेपाल लौटे और धर्म प्रचार के नाम पर भारत से लगते मधेश प्रदेश में सक्रिय हैं। इन्हें हर महीने विदेश से पैसे मिल रहे हैं। भारत से सटे नेपाल के सुदूर पश्चिम व मधेश के सात जिलों में विदेश से पैसे पहुंच रहे हैं।

पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह के अनुसार आशंका है कि ऐसे लोग बड़े आतंकी हमले से पहले इंटेल प्री-कलेक्शन का काम करते हैं। इनकी रिश्तेदारी भारत में भी है, जिनके माध्यम से ये संवेदनशील शहरों में सक्रियता की कोशिश करते हैं। यही कारण है कि नेपाल का तराई इलाका आज भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बना हुआ है। पुलवामा आतंकी हमले की जांच में भी घाटी के आतंकियों के तार नेपाल से जुड़े थे। दिल्ली धमाके का भी जुड़ाव नेपाल से मिला है।

नेपाल में फिर बढ़ी सक्रियता: पाकिस्तान से घुसपैठ लगभग बंद है। कश्मीर में आतंकियों, अलगाववादियों और टेरर फंडिंग पर अंकुश लगा है। ऐसे में आईएसआई नेपाल के रास्ते अपने नेटवर्क को धन, छोटी मात्रा में विस्फोटक और आईईडी जैसे हथियार मुहैया कराने का प्रयास कर रही है। लेकिन एसएसबी और एटीएस की सक्रियता से इसमें अभी सफलता नहीं मिल पा रही है।

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