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दिल्ली ब्लास्ट: यूपी के मीट कारोबारियों से भी जुड़ रहे हैं तार, एटीएस की रडार पर आईं कंपनियां

अशोक मिश्रा, अमर उजाला लखनऊ Published by: रोहित मिश्र Updated Mon, 17 Nov 2025 07:32 AM IST
सार

Delhi Blast: आयकर विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश के संवेदनशील इलाके के युवाओं का यूपी की मीट कंपनियों में काम करना संदेह के दायरे में आता है। 

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Delhi blasts: Links to meat traders in Uttar Pradesh, companies under ATS radar; raids conducted in these citi
डेमो पिक।
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विस्तार
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 प्रदेश में मीट का कारोबार करने वाली कंपनियों की सुरक्षा का काम कश्मीरी मूल वाली सिक्योरिटी एजेंसियों को दिए जाने की जांच यूपी एटीएस ने शुरू कर दी है। इसका खुलासा करीब तीन साल पहले आयकर विभाग द्वारा आधा दर्जन मीट कंपनियों के ठिकानों पर आयकर विभाग के छापों में हुआ था। वहीं बीते माह संभल की इंडिया फ्रोजन फूड के ठिकानों पर आयकर छापे में भी कश्मीरी मूल के सुरक्षाकर्मी मिले थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद माड्यूल के खुलासे के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर एटीएस इसकी पड़ताल कर रही है।

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दरअसल, मीट कंपनियों द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए कश्मीर मूल की निजी सिक्योरिटी एजेंसीज की सेवाएं लेने का खुलासा आयकर विभाग ने लखनऊ जांच इकाई ने तीन साल पहले किया था। विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इसके जरिये कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों को फंडिंग किए जाने की आशंका भी जताई थी। खासकर रहबर फूड, रुस्तम फूड और मारिया फ्रोजन के बरेली, उन्नाव, लखनऊ के ठिकानों पर छापे में सामने आया था कि कंपनी संचालकों ने अपने बैंक खातों से करीब 1200 करोड़ रुपये निकाले थे। इस रकम को बाद में कहां खपाया गया, जांच में पता नहीं लग सका। रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनी संचालकों ने अपने आवास और फैक्ट्री परिसरों की सुरक्षा का जिम्मा कश्मीरी मूल के युवाओं को दे रखा है, जो संदेहास्पद है। साथ ही, देवबंद की एक कट्टरपंथी संस्था को बड़ी रकम दिए जाने की आशंका भी जताई गई थी। मीट कंपनियों द्वारा कश्मीर की जिन निजी सिक्योरिटी एजेंसियों को काम दिया गया था, उनमें से अधिकतर पुंछ और राजौरी की थी। कई ने अपने पते बरेली, मेरठ, मुंबई, नोएडा, दिल्ली, आगरा के भी बताए थे।

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अनुवादकों की पाकिस्तान में मिली थी लोकेशन

आयकर विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश के संवेदनशील इलाके के युवाओं का यूपी की मीट कंपनियों में काम करना, बड़े पैमाने पर नगदी निकालकर उसे कट्टरपंथी संगठनों को भेजना संदेह के दायरे में आता है। यह मामला देश विरोधी गतिविधियों से भी जुड़ा हो सकता है। साथ ही कंपनियों द्वारा खाड़ी देशों के साथ कारोबार के नाम पर रखे गए कुछ अनुवादकों को लेकर भी संदेह जताया था, जो मूल रूप से कश्मीर के रहने वाले थे और उनकी लोकेशन कई बार पाकिस्तान में भी पाई गई थी।

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