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बकरीद: इमाम की अपील, सरकार की गाइडलाइन से करें कुर्बानी, इन बातों का रखें ख्याल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Fri, 31 Jul 2020 04:05 PM IST
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follow guidelines to celebrate bakrid
मौलाना रशीद फरंगी महली - फोटो : amar ujala
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इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कुर्बानी को समाज के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद बताते हुए सरकार से इसमें सहयोग करने की मांग की। मौलाना ने कहा है कि कुर्बानी करना कोई रस्म नहीं बल्कि अल्लाह की पसंदीदा इबादत है।

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मौलाना ने कहा कि तमाम साहिब-ए-हैसियत मुसलमानों को चाहिए कि सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने घरों में ही कुर्बानी को अंजाम दें। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में ईद उल अजहा की तीनों दिन रेड जोन है, वे लोग दूसरी जगह पर रकम भेज कर कुर्बानी कराएं। मौलाना फरंगी महली ने कहा कि कोविड-19 की वजह से बेरोजगारी में वृद्धि हुई है और इस्लामी मदरसे भी आर्थिक तंगी का शिकार हुए हैं। मौलाना ने कहा कि जो लोग वाजिब कुर्बानियों के साथ हर साल नफली कुर्बानियां कराते हैं, वह इसकी रकम मदरसों में दान कर दें। 

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मगफिरत व जहन्नुम से निजात का दिन यौमे अरफा

पाटानाला चौक स्थित दारुल मुबलिलगीन के उस्ताद मौलाना कारी मोहम्मद सिद्दीक ने कहा कि माहे जिलहिजजा का पहला अशरह यानी 10 दिन अल्लाह ताला को इबादत के लिए तमाम दिनों से ज्यादा पसंद है। इस अशरे में एक दिन का रोजा साल भर रोजा रखने के बराबर है।

उन्होंने कहा कि यौमे अरफा मगफिरत व जहन्नुम से निजात का दिन है। इस दिन रोजा रखने का सवाब बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हदीस शरीफ में है कि जिसने अपनी जुबान को बुरी आदतों से, अपने कानों की हराम आवाज सुनने से और अपनी आंखों की हराम चीजें देखने से अरफा के दिन हिफाजत की तो उसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे।  

कुर्बानी में इसका रखें ख्याल   
मौलाना ने कहा कि कुर्बानी के समय सैनिटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग और सफाई का ध्यान रखें। जानवर की गंदगी को सार्वजनिक जगहों पर न फेंकें। जानवर का खून नालियों में न बहायें। मौलाना ने कहा कि इस्लाम धर्म के सफाई से संबंधी आदेशों व हिदायतों पर अच्छी तरह अमल करें। 

ऐसे अदा करें ईद उल अजहा की नमाज  
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि जिस जगह 4 लोग हों तो वह ईद की नमाज जमात के साथ अदा करें और जहां 4 से कम हों तो वह हजरात 4 रकात नफल चाश्त अदा करें। ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ अरबी में कोई दुआ पढ़े। मौलाना ने कहा कि खुतबे के बाद कोविड-19 के अंत के लिए विशेष दुआएं की जाएं।
 
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