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हाईकोर्ट का आदेश: गुजारा भत्ता पति का दायित्व, मजदूरी करके भी पत्नी को देने होंगे पैसे; ये कहकर नहीं बच सकते
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: रोहित मिश्र
Updated Thu, 27 Nov 2025 07:48 AM IST
सार
Lucknow High Court issues ruling on alimony: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पारिवारिक विवाद के मामले में दिए फैसले में कहा कि गुजारा भत्ता हर हाल में पति को देना ही होगा।
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कोर्ट का आदेश।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पारिवारिक विवाद के मामले में दिए फैसले में कहा कि मजदूरी करके भी पत्नी को गुजारा देना पति का दायित्व है। बेरोजगार होने की दलील देकर पति, पत्नी के भरण पोषण से मुकर नहीं सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पति की उस आपराधिक निगरानी याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लखनऊ के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने अलग रह रही पत्नी को प्रति माह 2500 रुपए बतौर अंतरिम गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को उचित करार दिया।
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न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने यह अहम फैसला पति की निगरानी याचिका पर दिया। इसमें पति ने बीते 20 अगस्त के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। मामले में पहले पत्नी ने फैमिली कोर्ट में पति से गुजारा दिलाए जाने की अर्जी दी थी। पत्नी की अर्जी के मुताबिक 28 नवंबर 2013 को दोनों का जालंधर, पंजाब में विवाह हुआ था। पत्नी का आरोप था कि विवाह के बाद उसके पति और ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे। इसपर वह 2021 में अपने भाई के साथ लखनऊ वापस आ गई। उधर, पति ने बेरोजगार होने की बात कहकर पत्नी को गुजारा न दे पाने का तर्क दिया।
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फैमिली कोर्ट ने यह मानते हुए कि पति सक्षम व्यक्ति है, ऐसे में यदि वह एक श्रमिक के रूप में भी काम करे तो वह प्रतिमाह 12500 रुपए न्यूनतम मजदूरी कमा सकता है। इस आधार पर फैमिली कोर्ट ने पत्नी को 2500 रुपए प्रतिमाह गुजारे के रूप में देने का आदेश पति को दिया था। हाईकोर्ट ने, फैमिली कोर्ट के इस आदेश में कोई कानूनी त्रुटि या अनियमितता न पाते हुए इसे उचित करार दिया और पति की निगरानी याचिका खारिज कर दी।