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Lucknow News: केजीएमयू के डॉक्टरों ने चुंबक से बनाई पित्त की नली
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केजीएमयू के डॉक्टरों ने चुंबक से बनाई पित्त की नली
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किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने चुंबक का इस्तेमाल करके 32 वर्षीय महिला की पित्त की नली बनाने में सफलता हासिल की है। सुल्तानपुर निवासी इस महिला पित्त की नली निजी अस्पताल में पथरी के ऑपरेशन के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी। दावा है कि किसी भी सरकारी संस्थान में इस तरह का यह पहला मामला है।
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हेपाटोबिलियरी डिवीजन के प्रमुख डॉक्टर डॉ. अजय कुमार पटवा ने बताया कि
लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), लखनऊ में डॉक्टरों ने क्षेत्र में पहली बार मैग्नेट तकनीक से पित्त नली को जोड़कर एक युवती की जान बचाई है — वह भी बिना किसी बड़ी सर्जरी के। 32 वर्षीय महिला को पथरी की समस्या होने पर निजी अस्पताल में दिखाया गया था। वहां सर्जरी के दौरान पित्त की नली क्षतिग्रस्त हो गई थी। करीब पांच फीसदी मामलों में यह समस्या होने का खतरा रहता है। पित्त की नली क्षतिग्रस्त होने की वजह से पित्त पेट में फैलने लगा था। इसकी वजह से उसे पीलिया, पेट में संक्रमण और तेज दर्द की शिकायत थी। समस्या बढ़ने पर घरवाले उसे लेकर केजीएमयू आए। जांच करने पर पता चला कि पित्त की नली पूरी तरह क्षतिग्रस्त और बंद हो चुकी थी। ऐसे में बड़ी सर्जरी करने का विकल्प था। इसमें भी यह समस्या बार-बार पैदा होने की आशंका रहती है। इसको देखते हुए रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार की निगरानी में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. सौरभ कुमार के सहयोग से नई तकनीक अपनाते हुए मैग्नेट से नली जोड़ने का फैसला किया गया।
ऐसे बनी पित्त की नई नली
प्रो. पटवा ने बताया कि सबसे पहले एंडोस्कोप का इस्तेमाल करके एक चुंबक पित्त की नली में डाला गया। इसके बाद अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल करके दूसरा चुंबक लिवर में सुई से डाला गया। दोनों चुंबक एक दूसरे को खींख रहे थे। इसकी वजह से दो सप्ताह में दोनों चुंबक आपस में चिपक गए। चिपकने की क्रिया के दौरान ही प्राकृतिक रूप से पित्त की नई नली का निर्माण भी हो गया। मेडिसिन विभाग और संकाय के प्रमुख और डीन डॉ. वीरेंद्र आतम, रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार, केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह और विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने इस उपलिब्ध पर पूरी टीम को बधाई दी है।
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केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हेपाटोबिलियरी डिवीजन के प्रमुख डॉक्टर डॉ. अजय कुमार पटवा ने बताया कि
लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), लखनऊ में डॉक्टरों ने क्षेत्र में पहली बार मैग्नेट तकनीक से पित्त नली को जोड़कर एक युवती की जान बचाई है — वह भी बिना किसी बड़ी सर्जरी के। 32 वर्षीय महिला को पथरी की समस्या होने पर निजी अस्पताल में दिखाया गया था। वहां सर्जरी के दौरान पित्त की नली क्षतिग्रस्त हो गई थी। करीब पांच फीसदी मामलों में यह समस्या होने का खतरा रहता है। पित्त की नली क्षतिग्रस्त होने की वजह से पित्त पेट में फैलने लगा था। इसकी वजह से उसे पीलिया, पेट में संक्रमण और तेज दर्द की शिकायत थी। समस्या बढ़ने पर घरवाले उसे लेकर केजीएमयू आए। जांच करने पर पता चला कि पित्त की नली पूरी तरह क्षतिग्रस्त और बंद हो चुकी थी। ऐसे में बड़ी सर्जरी करने का विकल्प था। इसमें भी यह समस्या बार-बार पैदा होने की आशंका रहती है। इसको देखते हुए रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार की निगरानी में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. सौरभ कुमार के सहयोग से नई तकनीक अपनाते हुए मैग्नेट से नली जोड़ने का फैसला किया गया।
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ऐसे बनी पित्त की नई नली
प्रो. पटवा ने बताया कि सबसे पहले एंडोस्कोप का इस्तेमाल करके एक चुंबक पित्त की नली में डाला गया। इसके बाद अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल करके दूसरा चुंबक लिवर में सुई से डाला गया। दोनों चुंबक एक दूसरे को खींख रहे थे। इसकी वजह से दो सप्ताह में दोनों चुंबक आपस में चिपक गए। चिपकने की क्रिया के दौरान ही प्राकृतिक रूप से पित्त की नई नली का निर्माण भी हो गया। मेडिसिन विभाग और संकाय के प्रमुख और डीन डॉ. वीरेंद्र आतम, रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार, केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह और विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने इस उपलिब्ध पर पूरी टीम को बधाई दी है।