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Lucknow News: रानीलक्ष्मीबाई अस्पताल में हड्डी के ऑपरेशन बंद
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रानीलक्ष्मीबाई अस्पताल में हड्डी के ऑपरेशन बंद
मरीजों को इलाज के लिए अब दूसरे अस्पताल भेजा जा रहा, ईएनटी की ओपीडी भी
हफ्ते में तीन दिन
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। रानीलक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय में हड्डी के ऑपरेशन बंद हो गए
हैं। यहां पर कोई भी आर्थोपैडिक विशेषज्ञ तैनात नहीं है। ऐसे में यहां पर
हड्डी से जुड़ा इलाज मिलना बंद है। इसे लेकर अस्पताल प्रशासन ने एनएचएम को
पत्र भेजकर कई विशेषज्ञों की मांग किया है ताकि चिकित्सकीय सेवाएं बाधित न हो।
रानीलक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय 100 बेड की क्षमता का असपताल है। यहां
पर गाइनी, नेत्र रोग, जनरल सर्जरी, बर्न, मेडिसिन समेत अन्य यूनिट का
संचालन हो रहा है। अस्पताल में पुर्न नियुक्ति पर तैनात हड्डी रोग
विशेषज्ञ की सेवाएं समाप्त हो गई है। ऐसे में यहां पर कोई भी आर्थोपैडिक
विशेषज्ञ नहीं बचा है। यहां पर आने वाले मरीजों को इलाज के लिए दूसरे
अस्पताल जाना पड़ रहा है। हाथ-पैर में फैक्चर होने की स्थिति में मरीजों
को इलाज मिलना मुश्किल हो गया है। अस्पताल सीएमएस डॉ. नीलम ने एनएचएम
निदेशक को पत्र भेजकर आर्थोपैडिक, ईएनटी, बेहोशी व आयुष फार्मासिस्ट तैनात
किए जाने की मांग किया है।
बेहोशी का विशेषज्ञ नहीं
अस्पताल की ओटी संचालन में संकट खड़ा हो गया है। यहां पर कोई भी स्थायी
बेहोशी का विशेषज्ञ तैनात नहीं है। अफसरों ने एक बेहोशी डॉक्टर को यहां पर
अटैच किया है। जिनके जरिये सेवाएं दी जा रही है। डॉक्टर की गैर हाजिरी में
ओटी बंद हो जाती है। ऐसे में मरीजों के ऑपरेशन टालने तक की नाैबत आ जाती
है। सीएमएस डॉ. नीलम ने बताया ऑन कॉल भी एक विशेषज्ञ को बुलाया जाता है।
ईएनटी की ओपीडी महज तीन दिन
अस्पताल में एक ही ईएनटी विशेषज्ञ तैनात है। जिनके जरिये हफ्ते में तीन दिन
ओपीडी का संचालन किया जा रहा है। जबकि तीन दिन ओटी चल रही है। ओटी के दिन
आने वाले मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है।
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हफ्ते में तीन दिन
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। रानीलक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय में हड्डी के ऑपरेशन बंद हो गए
हैं। यहां पर कोई भी आर्थोपैडिक विशेषज्ञ तैनात नहीं है। ऐसे में यहां पर
हड्डी से जुड़ा इलाज मिलना बंद है। इसे लेकर अस्पताल प्रशासन ने एनएचएम को
पत्र भेजकर कई विशेषज्ञों की मांग किया है ताकि चिकित्सकीय सेवाएं बाधित न हो।
रानीलक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय 100 बेड की क्षमता का असपताल है। यहां
पर गाइनी, नेत्र रोग, जनरल सर्जरी, बर्न, मेडिसिन समेत अन्य यूनिट का
संचालन हो रहा है। अस्पताल में पुर्न नियुक्ति पर तैनात हड्डी रोग
विशेषज्ञ की सेवाएं समाप्त हो गई है। ऐसे में यहां पर कोई भी आर्थोपैडिक
विशेषज्ञ नहीं बचा है। यहां पर आने वाले मरीजों को इलाज के लिए दूसरे
अस्पताल जाना पड़ रहा है। हाथ-पैर में फैक्चर होने की स्थिति में मरीजों
को इलाज मिलना मुश्किल हो गया है। अस्पताल सीएमएस डॉ. नीलम ने एनएचएम
निदेशक को पत्र भेजकर आर्थोपैडिक, ईएनटी, बेहोशी व आयुष फार्मासिस्ट तैनात
किए जाने की मांग किया है।
बेहोशी का विशेषज्ञ नहीं
अस्पताल की ओटी संचालन में संकट खड़ा हो गया है। यहां पर कोई भी स्थायी
बेहोशी का विशेषज्ञ तैनात नहीं है। अफसरों ने एक बेहोशी डॉक्टर को यहां पर
अटैच किया है। जिनके जरिये सेवाएं दी जा रही है। डॉक्टर की गैर हाजिरी में
ओटी बंद हो जाती है। ऐसे में मरीजों के ऑपरेशन टालने तक की नाैबत आ जाती
है। सीएमएस डॉ. नीलम ने बताया ऑन कॉल भी एक विशेषज्ञ को बुलाया जाता है।
ईएनटी की ओपीडी महज तीन दिन
अस्पताल में एक ही ईएनटी विशेषज्ञ तैनात है। जिनके जरिये हफ्ते में तीन दिन
ओपीडी का संचालन किया जा रहा है। जबकि तीन दिन ओटी चल रही है। ओटी के दिन
आने वाले मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है।