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UP News: 'जेब से निकलकर जनता की हितैषी बनीं समितियां...', मंत्री जेपी राठौर बोले- पहले चंद लोगों तक थीं सीमित
अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: भूपेन्द्र सिंह
Updated Fri, 12 Sep 2025 02:52 PM IST
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सार
सहकारिता विभाग के कार्यक्रम में मंत्री जेपी राठौर ने कहा कि अब समितियां जेब से निकलकर जनता की हितैषी बनी हैं। यह पहले चंद लोगों तक सीमित थीं। आगे पढ़ें और जानें पूरा अपडेट...

सहकारिता विभाग का सदस्यता अभियान कार्यक्रम।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को सहकारिता विभाग ने एम-पैक्स सदस्यता अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के ज्यूपिटर हॉल में हुआ। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्र सरकार में सहकारिता एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल और सहकारिता मंत्री जेपी सिंह राठौर ने दीप जलाकर किया।

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इस मौके पर विशिष्ट अतिथियों के रूप में धर्मपाल सिंह, पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री, डॉ. संजय निषाद, मत्स्य विकास मंत्री एवं जेपी सिंह राठौर शामिल मौजूद रहे। कार्यक्रम में जादूगर राकेश ने प्रस्तुति दी।
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री जेपी सिंह राठौर ने कहा कि जो समितियां पहले भ्रष्टाचार का अड्डा थीं, वो अब किसानों के लिए रामबाण साबित हो रही हैं। पहले चंद लोगों तक सीमित थी, अब नए सिरे से सदस्यता अभियान चल रहा है। अब सहकारिता किसी की जेब की नहीं जनता की बन गई है।
उन्होंने आगे कहा कि पहले 50 में 16 बैंक पर रोक लगी थी। बंदी के कगार पर थी। अब वे दोबारा लाभ में आ गई हैं। इटावा की सहकारी बैंक के अध्यक्ष आदित्य यादव हैं। वह घाटे में है। बाकी सब फायदे में हैं। बैंकों की हर तीसरे माह बैठक होती है। कार्य प्रणाली बदली है। 7500 एम पैक्स में 1400 काम कर रही थी। 4500 पूरी तरह बंद थी। ये चुनौती थी, लेकिन इन्हें 10 लाख का ऋण दिया।
मंत्री ने आगे कहा कि ये समितियां काम कर रही हैं। 120 करोड़ का मुनाफा भी कमा रही हैं। सभी समितियां अब कंप्यूटरीकृत हो रही हैं। सोलर पैनल लग गया है। यूपी में 715 नई समिति गठित हुई हैं। नई पैक्स को दो लाख की मदद कर रहे हैं। इसमें एक लाख फर्नीचर के लिए और एक लाख अन्य काम के लिए।
उन्होंने कहा कि नई पैक्स का गठन बढ़ाना है। डेयरी और मत्स्य समितियों का गठन कर रहे हैं। सहकारिता में जल्द ही भर्ती शुरू करेंगे। पैक्स पर दैनिक कर्मी के बारे में भी विचार हो रहा है। एक सचिव के पास ज्यादा समिति का चार्ज है तो उसे आर्थिक लाभ दिलाने की दिशा में सोच रहे हैं।