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सुना है क्या: 'साहब के मायाजाल से नौकरशाह के वेयरहाउस तक', नशे की डोज देने वाले बने भोले; पढ़ें दिलचस्प किस्से

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Mon, 08 Dec 2025 08:35 AM IST
सार

यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं, जो हैं तो उनके अंदरखाने के... लेकिन, चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" सीरीज में पढ़ सकते हैं। तो आइए पढ़ते हैं इस बार क्या है खास..

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suna hai kya Everyone suffering due to illusion of Sahib and bureaucrat has built warehouse
सुना है क्या/suna hai kya - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासनिक गलियों में आज तीन किस्से काफी चर्चा में रहे। चाहे-अनचाहे आखिर ये बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। आज की कड़ी में एक इंजीनियर साहब के मायाजाल के गजब खेल का किस्सा है। साथ ही दो और कहानियां जो यह बताएंगी कि आखिर सिस्टम काम कैसे करता है? आगे पढ़ें, नई कानाफूसी... 

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वेयरहाउस की सटीक लोकेशन

अंदरखाने खबर फैल रही है कि एक नौकरशाह ने अवध में अपना एक बड़ा वेयरहाउस बनाया है। उसका लाखों रुपये महीना किराया भी आ रहा है। नौकरशाह अपने साथी अफसरों के साथ दुर्व्यवहार के कारण खलनायक के तौर पर पहचाना जाता है। साथी अधिकारी उसके वेयरहाउस का पता लगाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हैं। अब तक जो जानकारी आई है, उसके मुताबिक फैल रही खबर एकदम पक्की है। वेयरहाउस राजधानी से सटे इलाके में ही है। जैसे ही साथी अधिकारी सटीक लोकेशन ढूंढ़ने में सफल हुए, उसे यकीनन यहां भी साझा किया जाएगा। तलाश जारी है...

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साहब का मायाजाल, सब बेहाल

खेतों को पानी देने वाले महकमे के एक इंजीनियर साहब के मायाजाल की चर्चा खूब हो रही है। साहब को राजधानी के बगल वाले सर्किल से हटाकर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया, तभी से मायाजाल फैलाए हैं। चर्चा है कि इसका असर महकमे के सबसे बड़े साहब के साथ ही उन लोगों पर भी हो गया है जो साहब की फिर से तैनाती में भूमिका अदा कर सकते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि साहब ने सबको टोकन भी थमा दिया है। इससे विरोधी गुट परेशान है। सभी विरोधी मिलकर साहब की प्रगति का पथ रोकना चाहते हैं। अब देखना यह यह कि जीत साहब के मायाजाल की होती है या विरोधियों की।

नशे की डोज देकर बने भोले

कफ सिरप सिंडीकेट में शामिल जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, सभी खुद को भोला-भाला बता रहे हैं। मासूमियत का आलम यह है कि चंद वर्षों में अरबों की संपत्ति बनाने वाले एक पूर्व माननीय दिनरात साथ में रहने वाले सिंडीकेट के मुख्य किरदारों के भोले चेहरे पहचान नहीं सके। कांड करने वाला सुदूर से खुद को भोला बता रहा है। जिनसे संबंध बनाकर दौलत के ढेर लगाए, उनमें एक भोले खासे चर्चा में हैं। सिरप की कमाई कितने कंठ तर करती रही, इसे लेकर कयास लग रहे हैं। बची कसर खाकी ने पूरी कर दी, जिसने सिंडीकेट के बड़े चेहरों के बारे में की गई लिखा-पढ़ी में उन्हें भोला-भाला मान लिया।


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