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सुना है क्या: खाकी वालों की पैर छूकर आगे बढ़ने की कला बनी मुसीबत... बाहुबलियों का हिस्सा बना किस्सा

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Mon, 01 Dec 2025 02:14 PM IST
सार

यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं जो कि चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। अब ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" में पढ़ सकेंगे।

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Tit bits of power corridors Uttar Pradesh
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
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यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं जो कि चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। अब ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" में पढ़ सकेंगे। ये किस्से आपको ये भी बताएंगे कि सियासत और प्रशासन के गलियारों में किन बातों को लेकर हलचल हो रही है। पढ़ें, नई कानाफूसी: 
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पैर छूने वाले कैसे खटखटाएं कुंडी
खाकी वालों की पैर छूकर आगे बढ़ने की कला कई बार मुसीबत बन जाती है। ऐसे तमाम किस्से हैं। नशीली दवाओं के सिंडीकेट की जांच करने वाले कुछ अफसर भी इस कला के माहिर बताए जा रहे हैं। उनको जिसकी जांच करनी है, उसी के बाहुबल के आगे झुककर कई बार चरण वंदना कर चुके हैं। अब मामला फंस गया है तो घर की कुंडी खटखटाने में सांसें अटक रही हैं। नतीजतन, ऊपर के इशारे पर ही ठीकरा फोड़कर आगे बढ़ने की बात कहने लगे हैं। हालांकि, जब सब ठीक चल रहा था तब ऊपर वालों से कोई वास्ता नहीं था। इस फेर में जाने कब किसकी कुर्सी खिसक जाए।
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किस्से की वजह बाहुबलियों का हिस्सा तो नहीं
पूर्वांचल में बाहुबलियों के बीच एक सिंडीकेट ने गहरी खाई पैदा कर दी है। सिंडीकेट का हिस्सा इसकी वजह बताया जा रहा है। जैसे ही सिंडीकेट के साथ कुछ बाहुबलियों के नाम उछले, बाकियों ने अपने हाथ सेंकने शुरू कर दिए। सुना है कि एक बाहुबली तो दिनभर फोटो जुटाकर वायरल करवा रहे हैं। उन्होंने भी इस सिंडीकेट में पैर जमाने की कोशिश की थी लेकिन दाल नहीं गली। अब सही मौका मिलने पर दुश्मनों को मिटाने में कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। अब सिंडीकेट का चाहे जो हो, पूर्वांचल के बाहुबलियों के बीच दुश्मनी का दौर फिर शुरू हो सकता है।

ऊंट के पहाड़ के नीचे आने का इंतजार
एक नौकरशाह ने पहली बार शासन में अहम तैनाती पाई है। उनका हाल उस नए मुल्ला की तरह बताया जा रहा है जो प्याज ज्यादा खाता है। वह वरिष्ठों की भी नहीं सुन रहे हैं। जो नीचे से लिखकर आता है, उसे एकदम उलट देते हैं। वरिष्ठ नौकरशाह बता रहे हैं कि माजरा अभी उनकी समझ में नहीं आ रहा है। जल्द ही मामले को उच्चस्तर तक पहुंचाएंगे। साथ ही वह एक मुहावरे के हवाले से कहते हैं... कभी न कभी तो ऊंट पहाड़ के नीचे तो आता ही है।

साहब की फाइल की तलाश
कभी घर-मकान बनाने वाले महकमे के हाकिम रहे साहब के कार्यकाल में पश्चिम के एक बड़े जिले में आवासीय परियोजना के भूमि अधिग्रहण और आवंटन में अनियमितता की शिकायत वाली फाइल खोजी जा रही है। हालांकि, साहब को महकमे से हटे तीन साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन उनके कार्यकाल की फाइल की चर्चा आज भी हो रही है। कहा जा रहा है कि उनके हटने के बाद जिन साहब ने महकमे की कमान संभाली उन्होंने पहले वाले साहब की जड़ में मट्ठा डालने की खूब कोशिश की लेकिन नाकाम रहे है। चर्चा है कि महकमे से हटने के बाद भी साहब अपने पहले वाले साहब की तलाश करा रहे हैं।

काम के बदले आराम की सलाह
खेती वाले विभाग में कार्यरत एक अधिकारी को सच्चाई बताने की सजा मिली है। उन्हें काम के बजाय कार्यालय में आराम करने की सलाह दी गई है। लंबे समय से उन्हें कोई ढंग का जिम्मेदारी वाला काम नहीं मिला है। पुराने वाले मुखिया गए तो उम्मीद थी कि नए वाले उनकी प्रतिभा को समझेंगे लेकिन नए वाले ने भी ध्यान नहीं दिया। ऐसे में अब उन्होंने रवैया बदल लिया है। काम मांगने के बजाय चुपचाप अपने कमरे में आते हैं, बैठते हैं और सरकारी चाय पीते हैं। किसी ने कोई सलाह ले ली तो दे दिया। नहीं ली तो शाम को घर निकल जाते हैं। उनका साफ कहना है कि अब तो वह घर जाने की तैयारी में हैं।

प्रशिक्षण की गंगा में सब लगा रहे गोते
प्रदेश के पढ़ाई-लिखाई वाले विभागों में इस समय प्रशिक्षण की गंगा बह रही है। आए दिन आईआईटी-आईआईएम में शिक्षकों व अधिकारियों को अपग्रेड करने के लिए प्रशिक्षण कराए जा रहे हैं। इनमें कुछ तो जरूरत वाले जा रहे हैं और कुछ प्रशिक्षण की गंगा में गोते लगा रहे हैं। प्रशिक्षण नए शिक्षकों-अधिकारियों व विभाग में आने वालों को दिलाया जाता है ताकि वे सीखकर कुछ नया कर सकें लेकिन एक विभाग में अगले कुछ महीने में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है कि वे इस समय प्रशिक्षण लेकर क्या करेंगे? विभाग को क्या देंगे?

आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी या समाचार हो तो 8859108085 पर व्हाट्सएप करें।
 
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