यूपी: कार की डिलीवरी समय से न देने पर लगा एक लाख का जुर्माना, कोर्ट ने कहा-खर्च का भी भुगतान करेगी कंपनी
लखनऊ में 12 साल पुराने मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने कार की समय पर डिलीवरी न देने पर सनी टोयटा और टोयटा कंपनी को सुनीता त्रिवेदी को एक लाख रुपये क्षतिपूर्ति और पांच हजार रुपये वाद व्यय देने का आदेश दिया।
विस्तार
कार की डिलीवरी तय समय पर न किए जाने के 12 साल पुराने एक मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने आदेश पारित किया है। आयोग ने कार कंपनी को आदेशित किया है कि वह परिवादिनी को नौ फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति अदा करे।
साथ ही वाद के दौरान हुए खर्च के लिए पांच हजार रुपये अतिरिक्त देने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा है कि यदि 30 दिन के भीतर क्षतिपूर्ति की रकम अदा नहीं की जाएगी तो फिर दोनों ही राशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से कंपनी को भुगतान करना होगा।
25 मई 2013 को वाद दायर किया था
शहर के रकाबगंज कदीम मोहल्ले की निवासी सुनीता त्रिवेदी ने 25 मई 2013 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय के यहां एक वाद दायर किया था। उन्होंने बताया था कि हजरतगंज के शाहनजफ रोड स्थित सनी टोयटा के शोरूम से 14 जनवरी 2013 को 50 हजार रुपये बुकिंग राशि जमा कराकर कैरोला एल्टिस गाड़ी की बुक कराई थी। इसकी डिलीवरी 10 दिन बाद की जानी थी। कार की कुल कीमत 17.40 लाख रुपये थी।
सुनीता त्रिवेदी के पति आरके त्रिवेदी ने बताया कि 15 फरवरी 2013 को 16 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान आरटीजीएस के जरिये कंपनी को कर दिया गया। लेकिन जब दंपती कार की डिलीवरी के लिए पहुंचे तो बताया गया कि वाहन रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गया है और नया वाहन आने में दस दिन लगेंगे। सुनीता त्रिवेदी के अनुसार, बार-बार संपर्क करने पर कंपनी की ओर से 7 मार्च 2013 को कार की डिलीवरी की गई और पूर्व में निर्धारित 40 हजार रुपये का डिस्काउंट भी नहीं दिया गया।
ये आदेश सुनाया
सुनीता त्रिवेदी की ओर से 23 मई 2013 को सेवा में कमी के चलते क्षतिपूर्ति के लिए वाद दायर किया गया। इसमें उन्होंने प्रथम विपक्षी पार्टी शाहनजफ रोड स्थित सनी टोयटा को और दूसरी विपक्षी पार्टी कोलकाता स्थित टोयटा कंपनी लि. को बनाया था। 12 साल तक चले इस मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने गत 12 नवंबर को फैसला सुनाया गया। परिवादिनी को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ एक लाख की क्षतिपूर्ति देने और पांच हजार रुपये वाद व्यय के रूप में देने को कहा गया है। आयोग के अध्यक्ष अमरजीत त्रिपाठी ने सदस्य प्रतिभा सिंह की मौजूदगी में फैसला सुनाया।