UP: फर्जी ढंग से बन रहा था अपात्रों का आयुष्मान कार्ड, एसटीएफ ने सात जालसाज पकड़े; ओटीपी कर देते थे बायपास
यूपी एसटीएफ ने लखनऊ में आयुष्मान कार्ड घोटाले का खुलासा करते हुए सात जालसाजों को गिरफ्तार किया। आरोपी ओटीपी बायपास कर अपात्र लोगों के फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाते थे। अब तक दो हजार से अधिक कार्ड जारी कर सरकारी योजना को नुकसान पहुंचाया गया।
विस्तार
फर्जी आईडी बनाकर अपात्रों का आयुष्मान कार्ड बनाने वाले सात जालसाजों को यूपी एसटीएफ ने गोमतीनगर विस्तार इलाके से गिरफ्तार किया। आरोपियों ने अब तक दो हजार से ज्यादा अपात्रों का आयुष्मान कार्ड बनवाकर उन्हें फायदा दिलवाया है। पकड़े गए आरोपियों ने दो आईएसए (Implementation Support Agency) के दो व एक पूर्व एग्जीक्यूटिव और एक एसएचए (State Health Agency, PMYY) का एक्जीक्यूटिव शामिल है।
एसटीएफ के एडशिनल एसपी विशाल विक्रम सिंह से मिली जानकारी के अनुसार इसी गिरोह के दो सदस्य को 17 जून 2025 को नवाबगंज प्रयागराज से गिरफ्तार किए गए थे। उस दिन 84 अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बरामद हुए थे। उस मामले में प्रयागराज के नवाबगंज थाने में एफआईआर कराई गई थी।
इस मामले में जांच के दौरान एसटीएफ को फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाज गैंग के लखनऊ में सक्रिय होने की सूचना मिली। इस सूचना पर 24 दिसंबर को विजयनगर कॉलोनी खरगापुर से एसटीएफ ने सात आरोपियों प्रतापगढ़ के जलालपुर किठौली थाना पट्टी निवासी चंद्रभान वर्मा , बाराबंकी के जैदपुर निवासी राजेश मिश्रा, बाराबंकी के सफदरगंज निवासी सुजीत कनौजिया, बाराबंकी के जैदपुर निवासी सौरभ मौर्या, गाजीपुर के परसपुरा झुन्नूलाल चौहारा निवासी विश्वजीत सिंह, माल निवासी रंजीत और इटावा सैफई निवासी अंकित यादव को गिरफ्तार किया।
पकड़े गए सभी आरोपी गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर इलाके में मकान नंबर 4/210 में किराये पर रह रहे थे। आरोपी चंद्रभान बीए पास है। राजेश मिश्र बीए एलएलबी का छात्र है और आईएसए का पूर्व एक्जीक्यूटिव है। आरोपी सुजीत ने एमए कर रखा है और मौजूदा समय में आईएसए का एक्जीक्यूटिव है। आरोपी सौरभ बीए पास है और आईएसए का एक्जीक्यूटिव है। आरोपी विश्वजीत एमकॉम की पढ़ाई करने के बाद एसएचए में एक्जीक्यूटिव ग्रीवांस की तरह काम कर रहा है।
यह सामान आरोपियों के पास मिला
पकड़े गए आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन, पांच लैपटॉप, मोबाइल व लैपटॉप से मिले 129 लोगों के आयुष्मान कार्ड से संबंधित डेटा, 70 लोग के अपात्र के आयुष्मान कार्ड के स्क्रीनशॉट, 22 डेबिट कार्ड, आठ पैनकार्ड, 2 आईडी कार्ड, 10 चेकबुक, 5 पासबुक, दो मतदाता पहचान पत्र, दो डीएल, एक स्कैनर, चार मोहर, दो क्यूआर कोड, एक सीपीयू, एक कलर प्रिंटर, तीन सिमकार्ड, एक कार और 60370 रुपये मिले हैं।
ओटीपी बायपास कर बनवाते थे कार्ड
पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वह लोग पात्र परिवारों की फैमिली आईडी में ओटीपी बायपास कर अपात्र लोगों को जोड़ता था। इसके बाद ISA और SHA (State Health Agency) स्तर पर सेटिंग के जरिए आयुष्मान कार्ड अप्रूव कराये जाते थे। पकड़े गए आरोपी चंद्रभान ने बताया कि उसने सौैरभ, सुजीत और विश्वजीत को 22 लाख रुपये कार्ड को अप्रूव करने के लिए दिए थे।
6 हजार रुपये में बनता था फर्जी कार्ड
गैंग के मास्टरमाइंड पकड़ा गया आरोपी चंद्रभान वर्मा है। उसने पूछताछ में बताया कि वह प्रति कार्ड 6 हजार रुपये लेता था। दो हजार रुपये फैमिली आईडी में अपात्र व्यक्ति को जुड़वाने में 1000 से 1500 रुपये ISA में कार्ड अप्रूवल के लिए, SHA स्तर पर अप्रूवल के लिए 4500 से 5000 रुपये तक खर्च होते थे।
पूछताछ में पता चला कि कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट लखनऊ में रंजीत सिंह, आयुष्मान मित्र के तौर पर कार्यरत है। वह अस्पताल के ही कंप्यूटर ऑपरेटर फर्जी कार्डों में जिले का मिसमैच ठीक करता था। इसके बाद इन्हीं कार्डों से अलग-अलग अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराकर अवैध कमाई की जाती थी। एडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कर गैंग से जुड़े अन्य आरोपियों के बारे में पता लगाया जा रहा है।
