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यूपी:'बिजली निगम 15 दिसंबर तक दाखिल करें टैरिफ', विद्युत नियामक आयोग ने दिया आदेश; पढ़ें फैसला...

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: आकाश द्विवेदी Updated Wed, 26 Nov 2025 10:30 AM IST
सार

विद्युत नियामक आयोग ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन को 15 दिसंबर तक बिना संशोधन योग्य नया टैरिफ दाखिल करने का आदेश दिया है। गलत आंकड़ों पर सख्ती दिखाई गई है। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी, किसान और उपभोक्ता एकजुट होकर लखनऊ में प्रदर्शन करेंगे। 

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UP: Electricity Regulatory Commission orders power corporations to submit tariffs by December 15; read the dec
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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प्रदेश में वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरें जारी होने के तीन दिन बाद ही वर्ष 2026-27 की तैयारी शुरू हो गई है। पिछली बार पॉवर कॉर्पोरेशन की ओर से कई बार संशोधित टैरिफ दाखिल करने पर नियामक आयोग ने सख्ती दिखाई है। आदेश दिया है कि 30 नवंबर के बजाय 15 दिसंबर तक नया टैरिफ दाखिल किया जाए लेकिन सुनिश्चित करें कि उसमें संशोधन की गुंजाइश न हो।
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प्रदेश में लगातार छह साल से बिजली दरें नहीं बढ़ी हैं। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के अनुसार वर्ष 2026–27 के नए टैरिफ प्रस्ताव तथा वर्ष 2024–25 के ट्रूअप का प्रस्ताव 30 नवंबर तक दाखिला करना अनिवार्य है। पिछले वर्ष प्रस्ताव दाखिल होने के बाद पांच बार संशोधित प्रस्ताव दाखिल किए गए जिससे निर्धारित समय पर दरें जारी नहीं हो पाईं। ऐसे में वर्ष 2026-27 के लिए नियामक आयोग ने अभी से सचेत कर दिया है। आयोग ने चेतावनी दी है कि आंकड़ें सही और प्रमाणिक होने चाहिए।
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बढ़ा चढ़ाकर आंकड़ें देता है प्रबंधन 

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस वर्ष बिजली दरों के मामले में उपभोक्ताओं की जीत हुई है। पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़े दाखिल करता है। 

पहले भी कार्पोरेशन ने लगभग 24 हजार करोड़ रुपये का अंतर दिखाते हुए 45% तक बिजली दरों में वृद्धि की मांग की थी लेकिन उपभोक्ता परिषद ने सही आंकड़े रखे जिससे नियामक आयोग ने बिजली दरें नहीं बढ़ाईं। 

वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का 18 हजार करोड़ रुपये बिजली निगमों पर सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में अब बिजली कंपनियों और पॉवर कॉर्पोरेशन के पास सही आंकड़े दाखिल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

 

संघर्ष समिति संयोजकों की बैठक 30 को

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि निजीकरण के विरोध में सभी जिलों के संयोजकों की 30 नवंबर को बैठक होगी। इसमें आगे के आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। 

पदाधिकारियों ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा स्वीकृत आकड़ों के अनुसार दक्षिणांचल की वास्तविक वितरण हानि 15.53% और पूर्वांचल विद्युत की 16.23% आ गई है। इसे 2029-30 तक क्रमशः 11.83% 11.95% तक करने का निर्देश है। ऐसे में निजीकरण छोड़कर लाइन हानि कम करने पर फोकस बढ़ाना चाहिए। 

 

बिजली कर्मियों के साथ लामबंद हुए किसान और उपभोक्ता भी

ऊर्जा क्षेत्र में आ रहे नए बिल, पूर्वांचल व दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण का विरोध तेज हो गया है। विरोध में बिजली साथ किसान और उपभोक्ता संगठन भी लामबंद हो गए हैं। ये सभी संयुक्त रूप से बुधवार को लखनऊ के परिवर्तन चौक पर सुबह 11 बजे ताकत दिखाएंगे। इसके बाद 27 नवंबर को पूरे देश में प्रदर्शन करेंगे।

बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने दावा किया है कि 26 के प्रदर्शन में बिजली कर्मियों के साथ ही किसान, उपभोक्ता और तमाम कर्मचारी संगठन भी मौजूद रहेंगे। बृहस्पतिवार को विभिन्न जिलों के साथ ही वाराणसी और आगरा मुख्यालय पर संयुक्त प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा निजीकरण का कड़ा विरोध होगा।



 
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