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यूपी : गॉस्पेल प्रेस...5 करोड़ का अनुचित लाभ दिलाने में राज्यकर के तीन अफसर निलंबित, जानें पूरा खेल
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: आकाश द्विवेदी
Updated Thu, 27 Nov 2025 09:41 PM IST
सार
राज्य कर विभाग में 5 करोड़ से अधिक के फर्जी आईटीसी घोटाले में तीन वरिष्ठ अधिकारियों संजय कुमार मिश्रा, सुशील कुमार सिंह और घनश्याम मधेशिया को निलंबित किया गया। जांच में पाया गया कि उन्होंने आकाश कॉरपोरेशन और गॉस्पेल प्रेस को अनुचित लाभ पहुंचाया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
राज्य कर विभाग में 5 करोड़ से अधिक की फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम से जुड़े बड़े घोटाले में शासन ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों संजय कुमार मिश्रा, सुशील कुमार सिंह और घनश्याम मधेशिया को निलंबित कर दिया है।
तीनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की आकाश कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड तथा लखनऊ की गॉस्पेल प्रेस को अनुचित रूप से फायदा पहुंचाया और गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद कार्रवाई नहीं की। विशेष सचिव श्याम प्रकाश नारायण तीनों का निलंबन आदेश जारी कर दिया है।
बता दें कि राज्य कर में लखनऊ जोन-1 के एडिशनल कमिश्नर (ग्रेड-2) संजय कुमार मिश्रा के अधीन चार संदिग्ध वाहनों यूपी 82 टी 9714, एचआर 63 ई 9906, एचआर 38 टी 9341 और पीबी 10 एफवी 5297 के नाम पर बिना माल के केवल आईटीसी क्लेम के लिए ई-वे बिल बनाए गए थे।
जांच में पंचनामा में प्रतिकूल तथ्य छिपाने और व्यापारी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप भी प्रमाणित हुआ। वहीं डिप्टी कमिश्नर सुशील कुमार सिंह ने तलाशी के दौरान फैक्ट्री गेट पर लगे सीसीटीवी फुटेज को नहीं देखा। चार संदिग्ध वाहनों का गेट रजिस्टर से मिलान भी नहीं किया।
इसी तरह उपायुक्त घनश्याम मधेशिया ने भी तलाशी दौरान तमाम लापरवाही बरतीं। उन्होंने वाहन रजिस्टर, सीसीटीवी और स्टॉक मिलान में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया। तीनों अधिकारियों को निलंबन अवधि में अपर आयुक्त, ग्रेड-1, झांसी कार्यालय से संबद्ध किया गया है।
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तीनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की आकाश कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड तथा लखनऊ की गॉस्पेल प्रेस को अनुचित रूप से फायदा पहुंचाया और गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद कार्रवाई नहीं की। विशेष सचिव श्याम प्रकाश नारायण तीनों का निलंबन आदेश जारी कर दिया है।
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बता दें कि राज्य कर में लखनऊ जोन-1 के एडिशनल कमिश्नर (ग्रेड-2) संजय कुमार मिश्रा के अधीन चार संदिग्ध वाहनों यूपी 82 टी 9714, एचआर 63 ई 9906, एचआर 38 टी 9341 और पीबी 10 एफवी 5297 के नाम पर बिना माल के केवल आईटीसी क्लेम के लिए ई-वे बिल बनाए गए थे।
वाहनों का गेट रजिस्टर से मिलान भी नहीं किया
ये ई-वे बिल आकाश कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गॉस्पेल प्रेस के लिए बनाए गए थे। इसके बावजूद न तो एफआईआर दर्ज कराई और न ही व्यापारी, ट्रांसपोर्टर या वाहन मालिक पर कोई कार्रवाई हुई। जांच में पाया गया कि संबंधित फर्मों द्वारा 5 करोड़ से अधिक का गलत आईटीसी क्लेम किया गया, लेकिन संजय मिश्रा ने आईटीसी ब्लॉक नहीं कराया। साथ ही, कानून के मुताबिक गिरफ्तारी के लिए आयुक्त को अनुमोदन भी नहीं भेजा।जांच में पंचनामा में प्रतिकूल तथ्य छिपाने और व्यापारी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप भी प्रमाणित हुआ। वहीं डिप्टी कमिश्नर सुशील कुमार सिंह ने तलाशी के दौरान फैक्ट्री गेट पर लगे सीसीटीवी फुटेज को नहीं देखा। चार संदिग्ध वाहनों का गेट रजिस्टर से मिलान भी नहीं किया।
कथन को बिना सत्यापन पंचनामा में दर्ज किया
व्यापारी के कथन को बिना सत्यापन पंचनामा में दर्ज किया, जिससे गॉस्पेल प्रेस को लाभ मिला। उन्होंने टैक्स के बराबर ही जुर्माना लगा दिया। जबकि अधिकतम जुर्माना माल के मूल्य के बराबर हो सकता है। इससे व्यापारी को राशि जमा कर देने पर तुरंत राहत मिल गई।इसी तरह उपायुक्त घनश्याम मधेशिया ने भी तलाशी दौरान तमाम लापरवाही बरतीं। उन्होंने वाहन रजिस्टर, सीसीटीवी और स्टॉक मिलान में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया। तीनों अधिकारियों को निलंबन अवधि में अपर आयुक्त, ग्रेड-1, झांसी कार्यालय से संबद्ध किया गया है।