इस गर्मी यूपी के बिजली उपभोक्ताओं को मिल सकती बड़ी राहत

चुनावी साल में अतिरिक्त बिजली का इंतजाम करने के लिए हाथ-पांव मार रहे पावर कॉर्पोरेशन को केंद्र का सहारा मिल सकता है। आने वाले दिनों में यूपी को केंद्रीय कोटे से ज्यादा बिजली मिल सकती है।

दरअसल राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों ने केंद्र से अपने कोटे की आवंटित 4300 मेगावाट से ज्यादा बिजली सरेंडर कर दी है। इस बिजली के नए सिरे से आवंटन के लिए बिजली मंत्रालय ने यूपी समेत अन्य राज्यों को पत्र भेजकर प्रस्ताव मांगा है।
बिजली मंत्रालय के अनुसचिव डी. गुहा की ओर से भेजे पत्र में कहा गया है कि अगर राज्य सरेंडर की गई बिजली को लेने के इच्छुक हों तो बिजली की मात्रा और किस अवधि में लेना चाहते हैं, इसका प्रस्ताव भेजें।
आम तौर पर हर साल अप्रैल से बिजली की मांग में इजाफा होता था, लेकिन इस साल अभी से पारा चढ़ने के कारण मार्च के दूसरे पखवाड़े से ही मांग में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल प्रदेश में बिजली की मांग 10,000 से 10,500 मेगावाट के बीच है और उपलब्धता भी पर्याप्त है, लेकिन अगले महीने से बिजली की किल्लत हो सकती है।
मई से सितंबर तक अतिरिक्त बिजली का इंतजाम

पावर कॉर्पोरेशन ने मई से सितंबर तक अतिरिक्त बिजली का इंतजाम किया है। ऐसे में मार्च-अप्रैल के लिए केंद्र से अतिरिक्त बिजली आवंटित करने का अनुरोध किया जा सकता है।
सरकार ने अक्तूबर से गांवों को 16 घंटे तथा शहरों को 22-24 घंटे बिजली आपूर्ति का एलान किया है।
ऐसे में अतिरिक्त बिजली का इंतजाम करना कॉर्पोरेशन के सामने बड़ी चुनौती है। अभियंताओं के अनुसार अक्तूबर तक सभी स्रोतों से बिजली की कुल उपलब्धता 16,000-17,000 मेगावाट के आसपास पहुंचेगी जबकि सरकार की घोषणा के अनुसार आपूर्ति के लिए 20,000-21,000 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी। ऐसे में अक्तूबर के बाद भी केंद्रीय कोटे से ज्यादा बिजली का आवंटन करने का अनुरोध किया जा सकता है।
किसने कितनी बिजली सरेंडर की
राज्य मात्रा (मेगावाट में)
दिल्ली-2335
हरियाणा-795
ओडिशा-769
मध्य प्रदेश-156.41
डीवीसी-95.8
मेघालय-53
हिमाचल प्रदेश62.01
राजस्थान9.75
सिक्किम9.96
कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभी केंद्र को प्रस्ताव भेजने का फैसला नहीं हुआ है। अभी इसका आकलन कराया जाना है कि राज्यों ने जो बिजली सरेंडर की है, उसकी कीमत अन्य स्रोतों से उपलब्ध बिजली से ज्यादा तो नहीं है। बिजली कंपनियों की खस्ता माली हालत को देखते हुए कम कीमत वाली बिजली खरीदने पर ही जोर रहेगा।