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UP: शिक्षक भर्ती के लिए गुपचुप साक्षात्कार, झटपट जॉइनिंग, परिणाम घोषित नहीं सिर्फ चयनित अभ्यर्थियों को बताया

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Thu, 06 Nov 2025 10:30 AM IST
सार

डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में हैं। प्रक्रिया को इस तरह से अंजाम दिया गया कि इंटरव्यू से लेकर परिणाम तक सब छिपाया गया।

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UP: Secret interviews for teacher recruitment, instant joining
डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय - फोटो : डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की वेबसाइट से।
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विस्तार
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राजधानी लखनऊ में कानून का पाठ पढ़ाने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। साक्षात्कार से लेकर परिणाम तक, सबकुछ गोपनीय रखा गया। साक्षात्कार के परिणाम भी वेबसाइट पर अपलोड करने के बजाय सिर्फ चयनित अभ्यर्थियों के ईमेल पर भेजे गए। गुपचुप हुई इस भर्ती में किसी भी स्तर पर पारदर्शिता नहीं दिखाई गई।

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विश्वविद्यालय में बीते 17 सितंबर को एसोसिएट प्रोफेसर और 18 व 19 सितंबर को असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए साक्षात्कार हुए। रिक्त पदों के सापेक्ष कुल 17 लोगों की भर्ती की गई। इसमें तीन असिस्टेंट प्रोफेसरों का चयन कॅरिअर उन्नयन योजना (कैश) के तहत हुआ। इसके तुरंत बाद आननफानन 20 सितंबर को कार्यपरिषद की बैठक बुलाई गई।
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बैठक में चयन के लिफाफे खोले गए और उसी रात प्रमोशन पाने वालों की जॉइनिंग भी करा दी गई। अब इस भर्ती प्रक्रिया पर विश्वविद्यालय में ही सवाल उठने लगे हैं। इस संबंध में जब कुलपति से बात करने का प्रयास हुआ तो उन्होंने प्रवक्ता से बात करने की सलाह दी। जब प्रवक्ता से बात की गई तो उन्होंने बहुत से सवालों के जवाब नहीं दिए।

सूची व मिनट्स भी अपलोड नहीं
नियमानुसार आवेदन के बाद साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सूची विवि की वेबसाइट पर अपलोड की जानी चाहिए थी। सूत्र बताते हैं कि ऐसा नहीं किया गया। साक्षात्कार की तिथियां भी सार्वजनिक नहीं की गईं। अभ्यर्थियों को व्यक्तिगत रूप से सूचित किया गया। साक्षात्कार के बाद चयनित हुए अभ्यर्थियों की अंतिम सूची और कार्यपरिषद के मीटिंग मिनट्स भी विश्वविद्यालय की वेबसाइट अपलोड नहीं किए गए। यहां तक कि कार्यपरिषद की बैठक भी अचानक गुपचुप तरीके से हुई।

जिन पर मुकदमा, उनकी भी हो गई भर्ती
सूत्रों ने ये भी खुलासा किया है कि जिन शिक्षकों की भर्ती हुई है, उनमें तीन नाम ऐसे हैं जिन पर पहले से एफआईआर दर्ज है। जल्दबाजी इतनी थी कि विश्वविद्यालय ने चयनित अभ्यर्थियों की जॉइनिंग से पहले उनका पुलिस वेरीफिकेशन कराना भी मुनासिब नहीं समझा।

ये बताई गई वजह: एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भर्ती में पारदर्शिता न होने के पीछे वजह ये थी कि कुछ लोगों के पास पात्रता नहीं थी। फिर भी उनका चयन हुआ है। यदि पारदर्शिता दिखाई जाती तो साक्षात्कार के लिए बुलावे या चयन से वंचित पात्र अभ्यर्थी न्यायालय या राजभवन की शरण में जा सकते थे। तब भर्ती प्रक्रिया खटाई में पड़ जाती।

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