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यूपी : पेट्रोलियम मंत्रालय के अफसरों को धोखा दे रहा था आईओसीएल का सीनियर मैनेजर, भेजी झूठी रिपोर्ट; जानें सच

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: आकाश द्विवेदी Updated Thu, 27 Nov 2025 09:31 PM IST
सार

आईओसीएल के सीनियर मैनेजर गौरव सिंह पर एलपीजी पाइपलाइन प्रोजेक्ट में मुआवजा घोटाले और पेट्रोलियम मंत्रालय को झूठी रिपोर्ट भेजकर गुमराह करने के आरोप साबित हुए हैं। उनके साथ जीएम फैसल हसन समेत कई अधिकारी फर्जी खातों के माध्यम से मुआवजा हड़पने में शामिल पाए गए। 

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UP: Senior IOCL manager was deceiving Petroleum Ministry officials, sending false reports; learn the truth
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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पेट्रोलियम कंपनियों के जॉइंट वेंचर गोरखपुर-कांधला एलपीजी पाइपलाइन प्रोजेक्ट के तहत फर्जीवाड़ा कर मुआवजा हड़पने में इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड के सीनिय मैनेजर गौरव सिंह की मुख्य भूमिका होने के प्रमाण मिले हैं। 
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जांच में सामने आया है कि उन्होंने मुआवजा बांटने में हुई शिकायतों के बारे में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों को भी गुमराह किया। इसमें जीएम फैसल हसन ने उसका साथ दिया। फैसल की मुआवजे की रकम को दूसरे फर्जी बैंक खातों में भेजने में अहम भूमिका थी।
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शिकायतों को नजरअंदाज किया

सीबीआई द्वारा इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक सीनियर मैनेजर (प्रोजेक्ट) गौरव सिंह ने आईओसीएल की विजिलेंस टीम को बयान दिया कि वह मुआवजा तय करने और बांटने के काम रोजाना नहीं देखते थे। उन्होंने निर्णायक प्राधिकारी (सीए) के सभी फैसलों को भी प्रभावित करने के लिए अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया। उन्होंने शिकायतकर्ता सीए रामकेश यादव की शिकायतों को नजरअंदाज किया। 

वहीं मैनेजर प्रोजेक्ट सुनील कुमार अहिरवार इंजीनियर विनीत कुमार सिंह सूर्य प्रताप सिंह भी मुआवजे की रकम नियमविरुद्ध तरीके से देने में शामिल थे। इसके अलावा आईओसीएल के जीएम (मटेरियल्स) अगस्त 2020 से फरवरी 2024 तक लखनऊ स्थित आईएचबी लिमिटेड के कार्यालय में जीएम (प्रोजेक्ट्स) थे।

उन्होंने अपने मातहत गौरव सिंह की करतूतों पर पर्दा डाला। उन्होंने रामकेश यादव की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया और इस बाबत कोई जानकारी होने से इंकार कर दिया। जबकि उनके आधिकारिक ईमेल एड्रेस पर शिकायत की गई थी। उन्होंने कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए सख्त गाइडलाइन भी जारी नहीं कीं।

सात जिलों की जांच में नहीं मिली गड़बड़ी

बता दें कि आईओसीएल द्वारा इस घोटाले की जांच के दौरान सात जिलों में मुआवजा बांटने में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। इनमें जालौन, गाजीपुर, जौनपुर, देवरिया, झांसी, गोरखपुर और लखनऊ शामिल है।

 
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