UP: साइबर ठगी से 50.67 करोड़ की टेरर फंडिंग, क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से आकाओं तक पहुंचाई गई रकम
बलरामपुर पुलिस ने बिहार के मधुबनी निवासी दो आरोपियों को गिरफ्तार कर खुलासा किया है। क्रिप्टो के माध्यम से विदेश में बैठे पाकिस्तानी मास्टरमाइंड तक रकम पहुंचाई गई थी।
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साइबर ठगी के माध्यम से टेरर फंडिंग का बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने बिहार के मधुबनी निवासी सस्पियर गिरोह के दो शातिरों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि करीब 50.67 करोड़ रुपये ठगी कर क्रिप्टो करेंसी (यूएसडीटी) के माध्यम से पाकिस्तान समेत विदेश में बैठे आकाओं तक पहुंचाई है। शुरुआती जांच में साफ हुआ है कि ठगी की रकम का बड़ा हिस्सा आतंकी गतिविधियों में खपाया गया है।
पुलिस के अनुसार सस्पियर गिरोह ने अब तक 56, 60, 311.94 क्रिप्टो करेंसी ( 50, 67, 28, 074 रुपये भारतीय) विदेश भेजे। जांच एजेंसियों के अनुसार यह रकम सीधे पाकिस्तानी नेटवर्क के पास पहुंचकर टेरर फंडिंग में प्रयोग हुई है। एसपी विकास कुमार के निर्देश पर एएसपी/साइबर क्राइम नोडल अधिकारी विशाल पांडेय और सीओ डॉ. जितेंद्र कुमार की देखरेख में टीम जांच कर रही थी। इसी क्रम में साइबर थाना प्रभारी आरपी यादव व थानाध्यक्ष ललिया सत्येंद्र वर्मा की टीम ने सोमवार को डिबुआ पुल से मधुबनी निवासी गोलू कुमार और भूषण कुमार चौधरी को पकड़ लिया।
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दोनों से पूछताछ में साइबर ठगी और टेरर फंडिंग का खुलासा हुआ। एसपी के मुताबिक गिरोह प्ले स्टोर पर मौजूद उधार लोन, रुपे फैक्ट्री, क्यूक लोन, क्रेडिटबी जैसे लोनिंग ऐप डाउनलोड कराता था। आधार, पैन, बैंक डिटेल और फोटो अपलोड करते ही पीड़ित उनकी जाल में फंस जाता था। इसके बाद खाते में 1200 भेजकर मोबाइल से निजी जानकारी ले ली जाती थी। रिकवरी एजेंट गाली और धमकी देकर 17 दिन में 2000 लौटाने को मजबूर करते थे। यह रकम क्रिप्टो के माध्यम से विदेश भेज जाती थी।
एसपी ने बताया कि रोजाना औसतन एक लाख की वसूली कर खातों में जमार कराए जाते थे। एटीएम और कैश डिपॉजिट मशीन से रकम उन खातों में डाली जाती, जिनसे यूएसडीटी रिजर्व खरीदा जा सके। बाइनेंस प्लेटफॉर्म से पी-टू-पी माध्यम से यूएसडीटी सीधे विदेश भेजते थे। एजेंट 10 प्रतिशत कमीशन काटकर शेष रकम सरगना को सौंप देते थे। गिरफ्तार दोनों साइबर ठगों के पास से एक लैपटाप, पांच एंड्रॉयड मोबाइल फोन, सात आधार कार्ड, 2650 रुपये नकद और 100 रुपये नेपाली मिले हैं।
यह है यूएसडीटी
साइबर थाना पुलिस के अनुसार इसे टेथर भी कहा जाता है। यह एक क्रिप्टोकरेंसी है जो अमेरिकी डॉलर के बराबर मूल्य रखने के लिए तैयार की गई है। इसका मूल्य अपेक्षाकृत स्थिर रहता है, जिससे इस क्रिप्टोकरेंसी को बाजार में सुरक्षित विकल्प माना जा रहा है।
एजेंसियां अलर्ट, पाक कनेक्शन की जांच
सस्पियर गिरोह का खुलासा होते ही जांच एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। माना जा रहा है कि गिरोह के तार पाकिस्तान में बैठे साइबर ऑपरेटरों से सीधे जुड़े हैं। पुलिस ने साफ किया कि गुत्थी पूरी तरह सुलझाने के लिए अभी जांच चल रही है। मामले में अभी कई और साइबर ठगों की पड़ताल हो रही है। एसपी ने बताया कि जांच लगातार की जा रही है। कुछ अहम जानकारी भी मिली है, जिसके आधार पर कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही और बड़े खुलासे होंगे।
26 जुलाई को दिल्ली से सस्पियर की हुई थी गिरफ्तारी
साइबर ठगी कर टेरर फंडिंग के मामले में सरगना सस्पियर को पुलिस ने 26 जुलाई को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसके चार अन्य साथी भी पकड़े गए थे। इसके बाद एसपी ने स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान में बैठे साइबर ठगों को बलरामपुर से धनराशि भेजी गई थी। इसकी पुष्टि पांच मोबाइल नंबरों से हुई थी, जो पाकिस्तान के थे। इस खुलासे के बाद एसपी ने जांच टीम गठित की थी और अब सोमवार को मधुबनी निवासी गोलू कुमार और भूषण कुमार चौधरी को गिरफ्तार किया गया।