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जब लखनऊ में क्रांतिकारियों के नाम पर पकड़ लिए थे सारे दिव्यांग, पढ़ें ये पूरा किस्सा
अखिलेश वाजपेयी, अमर उजाला लखनऊ
Published by: Amulya Rastogi
Updated Wed, 01 May 2019 06:55 PM IST
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Indian Flag
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क्रांतिकारियों की धर पकड़ के नाम पर भी अंग्रेजों ने क्या नहीं किया। बात 9 अगस्त 1942 की है। अगस्त क्रांति के नाम से मशहूर इस दिन लखनऊ में जो हुआ उसका वर्णन आसान नहीं है। महिबुल्लापुर, बख्शी का तालाब, इटौंजा, अटरिया स्टेशनों के पास रेल की पटरियां उखाड़ दी गई। टेलीफोन और बिजली के खंभे गिरा दिए गए। लखनऊ की कॉटन मिल फूंक दी गई।
इस मिल में अंग्रेजों के सैनिकों की वर्दी का कपड़ा तैयार होता था। ग्रामीण जनता ने भी इस क्रांति में पूरी भागीदारी ली। अंग्रेज बौखला गए। पता चला कि इस हिंसक आंदोलन का नेतृत्व करने वाला कोई लंगड़ा आदमी था।
दरअसल, वह लखनऊ के प्रसिद्ध क्रांतिकारी शिवकुमार द्विवेदी थे, जिनका एक पैर अंग्रेजों की गोली से पहले घायल हो चुका था। ‘क्रांति आंदोलन कुछ अधखुले पन्ने’ से पता चलता है, ‘आंदोलन वाले दिन ही द्विवेदी जी ने आलमनगर रेलवे स्टेशन का खजाना लूटने की योजना बनाई।

इस मिल में अंग्रेजों के सैनिकों की वर्दी का कपड़ा तैयार होता था। ग्रामीण जनता ने भी इस क्रांति में पूरी भागीदारी ली। अंग्रेज बौखला गए। पता चला कि इस हिंसक आंदोलन का नेतृत्व करने वाला कोई लंगड़ा आदमी था।
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दरअसल, वह लखनऊ के प्रसिद्ध क्रांतिकारी शिवकुमार द्विवेदी थे, जिनका एक पैर अंग्रेजों की गोली से पहले घायल हो चुका था। ‘क्रांति आंदोलन कुछ अधखुले पन्ने’ से पता चलता है, ‘आंदोलन वाले दिन ही द्विवेदी जी ने आलमनगर रेलवे स्टेशन का खजाना लूटने की योजना बनाई।
उन्होंने खजाना लूटा और स्टेशन को आग लगा दी। पुलिस जब तक कुछ समझती तब तक वह फरार हो गए। एक पुलिस वाले ने बस यह देखा कि कोई एक व्यक्ति लंगड़ाते हुए भाग रहा है, जिसके चेहरे पर दाढ़ी भी है।
अगले दिन पॉयनियर में यह खबर छपी कि एक लंगड़ा आदमी जिसके चेहरे पर दाढ़ी है उसने खजाना लूटा है और स्टेशन को आग लगाई है। द्विवेदी ने यह खबर पढ़ी तो दाढ़ी मुड़वा दी और लखनऊ से फरार हो गए। गिरधारी सिंह इंटर कॉलेज के तत्कालीन अध्यापक इकबाल बहादुर ने द्विवेदी के दाढ़ी के बालों को अपने पास रख लिया।
उधर, पुलिस ने शहर के सभी लंगड़ों को पकड़ना शुरू कर दिया। इनमें दो छात्र और तीन भिखारी भी थे। शिनाख्त की कार्रवाई हुई, लेकिन द्विवेदी उनमें होते तब तो पकड़े जाते। वह तो लखनऊ छोड़ चुके थे।’
अगले दिन पॉयनियर में यह खबर छपी कि एक लंगड़ा आदमी जिसके चेहरे पर दाढ़ी है उसने खजाना लूटा है और स्टेशन को आग लगाई है। द्विवेदी ने यह खबर पढ़ी तो दाढ़ी मुड़वा दी और लखनऊ से फरार हो गए। गिरधारी सिंह इंटर कॉलेज के तत्कालीन अध्यापक इकबाल बहादुर ने द्विवेदी के दाढ़ी के बालों को अपने पास रख लिया।
उधर, पुलिस ने शहर के सभी लंगड़ों को पकड़ना शुरू कर दिया। इनमें दो छात्र और तीन भिखारी भी थे। शिनाख्त की कार्रवाई हुई, लेकिन द्विवेदी उनमें होते तब तो पकड़े जाते। वह तो लखनऊ छोड़ चुके थे।’