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Bhopal News: भोपाल का स्वच्छता मॉडल बना राष्ट्रीय उदाहरण, दिल्ली से आए स्वच्छ भारत मिशन संचालक ने की सराहना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Sun, 21 Dec 2025 08:50 PM IST
सार
स्वच्छ भारत मिशन के संचालक मनीष जून ने भोपाल पहुंचकर कचरा कैफे, रिसाइकिल प्लांट और भानपुर खंती के रेमिडियेशन कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने नगर निगम के सस्टेनेबल कचरा प्रबंधन मॉडल और नवाचारों की सराहना करते हुए कचरा पृथक्कीकरण को इसकी सफलता की कुंजी बताया।
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निरीक्षण
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजधानी भोपाल का कचरा प्रबंधन मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है। रविवार को नई दिल्ली सेन स्वच्छ भारत मिश के संचालक मनीष जून भोपाल पहुंचे और नगर निगम द्वारा अपनाए गए आधुनिक व सस्टेनेबल कचरा प्रबंधन सिस्टम का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन, विभिन्न रिसाइकिल प्लांट और भानपुर स्थित पुरानी खंती के रेमिडियेशन कार्यों को देखा।निरीक्षण के दौरान महापौर मालती राय भी उनके साथ मौजूद रहीं। मिशन संचालक ने विशेष रूप से भोपाल के कचरा कैफे मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के नवाचार नागरिकों को कचरे को बोझ नहीं बल्कि संसाधन के रूप में देखने की सोच विकसित करते हैं।
कचरा कैफे बना जागरूकता का माध्यम
मनीष जून ने कचरा कैफे का दौरा करते हुए कहा कि यहां अपनाया गया मॉडल स्वच्छता के साथ-साथ रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देता है। इससे लोगों में कचरा पृथक्कीकरण और रिसाइकिलिंग को लेकर व्यवहारिक बदलाव देखने को मिल रहा है। महापौर मालती राय ने रिसाइकिल हब में तैयार किए गए उत्पाद मिशन संचालक को भेंट किए।
डोर-टू-डोर से लेकर रिसाइकिल हब तक निरीक्षण
मिशन संचालक जून ने सुरेंद्र गार्डन क्षेत्र में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था की कार्यप्रणाली को समझा। इसके बाद वे दाना-पानी गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन पहुंचे, जहां थर्माकोल और नारियल के खोल से उत्पाद तैयार करने वाले रिसाइकिल प्लांट का निरीक्षण किया।
उन्होंने अन्नानगर स्थित टैक्सटाइल रिसाइकिल प्लांट में अनुपयोगी कपड़ों से बनाए जा रहे उत्पादों को भी देखा और वहां की प्रक्रिया की जानकारी ली।
यह भी पढ़ें-ग्वालियर में 25 को होगा अभ्युदय मध्यप्रदेश ग्रोथ समिट, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह होंगे शामिल
भानपुर खंती से हरित भूमि तक का सफर
भानपुर में निगम की पुरानी खंती का रेमिडियेशन कर कचरा मुक्त की गई भूमि और वहां विकसित हरित क्षेत्र का अवलोकन करते हुए जून ने इसे शहरी पर्यावरण सुधार का बेहतर उदाहरण बताया।इसके साथ ही कजलीखेड़ा में स्थित 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाले सीएंडडी वेस्ट रिसाइकिल प्लांट का भी उन्होंने दौरा किया, जहां निर्माण और ध्वस्तीकरण कचरे से बनाए जा रहे नए उत्पादों की जानकारी ली।
यह भी पढ़ें-कौन थे रामानुजन और क्या हैं उपलब्धियां? जिनकी याद में देश मनाता है गणित दिवस
कचरा पृथक्कीकरण को बताया सफलता की कुंजी
निरीक्षण के बाद मिशन संचालक मनीष जून ने कहा कि कचरा प्रबंधन में निरंतर और छोटे-छोटे प्रयास ही बड़े परिणाम देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कचरा पृथक्कीकरण इस पूरी व्यवस्था की रीढ़ है और इसे और मजबूत कर भोपाल अपने मॉडल को और प्रभावी बना सकता है।
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कचरा कैफे बना जागरूकता का माध्यम
मनीष जून ने कचरा कैफे का दौरा करते हुए कहा कि यहां अपनाया गया मॉडल स्वच्छता के साथ-साथ रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देता है। इससे लोगों में कचरा पृथक्कीकरण और रिसाइकिलिंग को लेकर व्यवहारिक बदलाव देखने को मिल रहा है। महापौर मालती राय ने रिसाइकिल हब में तैयार किए गए उत्पाद मिशन संचालक को भेंट किए।
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डोर-टू-डोर से लेकर रिसाइकिल हब तक निरीक्षण
मिशन संचालक जून ने सुरेंद्र गार्डन क्षेत्र में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था की कार्यप्रणाली को समझा। इसके बाद वे दाना-पानी गार्बेज ट्रांसफर स्टेशन पहुंचे, जहां थर्माकोल और नारियल के खोल से उत्पाद तैयार करने वाले रिसाइकिल प्लांट का निरीक्षण किया।
उन्होंने अन्नानगर स्थित टैक्सटाइल रिसाइकिल प्लांट में अनुपयोगी कपड़ों से बनाए जा रहे उत्पादों को भी देखा और वहां की प्रक्रिया की जानकारी ली।
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भानपुर खंती से हरित भूमि तक का सफर
भानपुर में निगम की पुरानी खंती का रेमिडियेशन कर कचरा मुक्त की गई भूमि और वहां विकसित हरित क्षेत्र का अवलोकन करते हुए जून ने इसे शहरी पर्यावरण सुधार का बेहतर उदाहरण बताया।इसके साथ ही कजलीखेड़ा में स्थित 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाले सीएंडडी वेस्ट रिसाइकिल प्लांट का भी उन्होंने दौरा किया, जहां निर्माण और ध्वस्तीकरण कचरे से बनाए जा रहे नए उत्पादों की जानकारी ली।
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कचरा पृथक्कीकरण को बताया सफलता की कुंजी
निरीक्षण के बाद मिशन संचालक मनीष जून ने कहा कि कचरा प्रबंधन में निरंतर और छोटे-छोटे प्रयास ही बड़े परिणाम देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कचरा पृथक्कीकरण इस पूरी व्यवस्था की रीढ़ है और इसे और मजबूत कर भोपाल अपने मॉडल को और प्रभावी बना सकता है।

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