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Bhopal News: भोपाल गैस त्रासदी की बरसी रैली में हंगामा,RSS जैसी वेशभूषा वाले पुतले पर विवाद,पुलिस ने रैली रोकी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Wed, 03 Dec 2025 05:33 PM IST
सार
भोपाल में गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर निकाली गई रैली में उस समय विवाद हो गया जब गैस पीड़ित संगठनों ने एंडरसन के साथ आरएसएस जैसी वेशभूषा वाला एक और पुतला शामिल किया। बीजेपी ने इस पर आपत्ति जताई, जिसके बाद पुलिस ने पुतला जब्त कर रैली रोक दी। गैस पीड़ित संगठन का कहना है कि दूसरा पुतला डाउ-यूनियन कार्बाइड के सहयोगियों का प्रतीक था।
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गैस पीड़ित संगठनों की रैली
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बुधवार को निकाली गई श्रद्धांजलि रैली उस समय विवादों में घिर गई, जब गैस पीड़ित संगठनों ने एंडरसन के पुतले के साथ आरएसएस की यूनिफॉर्म जैसा दिखने वाला एक और प्रतीकात्मक पुतला शामिल किया। बीजेपी नेताओं ने इस पर कड़ा विरोध जताया, जिसके बाद पुलिस ने पुतला हटाकर रैली को रोक दिया। रैली भारत टॉकीज़ अंडरब्रिज से जेपी नगर स्थित गैस स्मारक तक निकाली जानी थी, लेकिन बीच रास्ते में ही स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
पुतले को लेकर तीखा वाद-विवाद, पुलिस की हस्तक्षेप में मामला शांत
गैस पीड़ित संगठनों के सदस्यों ने एक ठेले पर दो पुतले रखे थे एक एंडरसन का और दूसरा सहयोगियों का प्रतीक बताकर। जैसे ही दूसरा पुतला सामने आया, बीजेपी मंडल अध्यक्ष आशीष सिंह और कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और कहा कि आरएसएस की वेशभूषा वाले पुतले को जलाने का मतलब क्या है? इस पर दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक बढ़ गई और पुलिस को बीच में आकर मामला शांत कराना पड़ा।
यह भी पढ़ें-सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में प्रार्थना सभा, दिवंगतों को दी गई श्रद्धांजलि
विवाद बढ़ने पर रैली स्थगित
एसीपी राकेश सिंह बघेल ने बताया कि रचना ढिंगरा हर वर्ष गैस पीड़ितों के लिए रैली निकालती हैं। इस बार पुतले के पहनावे पर आपत्ति उठाई गई, इसलिए उसे हटाकर रैली रोक दी गई। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों की बात सुनी जा रही है और यदि किसी संगठन की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। बढ़ते विवाद को देखते हुए रैली को वहीं रोक दिया गया।
यह भी पढ़ें-एक ऐसी रात जिसे शहर आज भी नहीं भूल पाया, 41 वर्ष बाद भी इंसाफ का इंतजार; छलक उठे आंसू
गैस पीड़ित संगठन का दावा दूसरा पुतला सहयोगियों का प्रतीक
एक्टिविस्ट रचना ढिंगरा ने स्पष्ट किया कि दूसरा पुतला किसी संगठन विशेष का नहीं, बल्कि डाउ-यूनियन कार्बाइड के सहयोगियों का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि यह पुतला उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो 11 साल से डाउ केमिकल्स का कारोबार बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। सवाल यह है कि सहयोगी कौन हैं? इस पर बात क्यों नहीं की जा सकती? ढिंगरा ने आरोप लगाया कि डाउ खुद को अमेरिकी कंपनी बताकर भारतीय कानून से बचने की कोशिश कर रही है और ऐसे में उसके सहयोगियों पर सवाल उठाना जरूरी है। रैली रुकने के बाद गैस पीड़ित संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश बताया, जबकि प्रशासन का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया।
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पुतले को लेकर तीखा वाद-विवाद, पुलिस की हस्तक्षेप में मामला शांत
गैस पीड़ित संगठनों के सदस्यों ने एक ठेले पर दो पुतले रखे थे एक एंडरसन का और दूसरा सहयोगियों का प्रतीक बताकर। जैसे ही दूसरा पुतला सामने आया, बीजेपी मंडल अध्यक्ष आशीष सिंह और कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और कहा कि आरएसएस की वेशभूषा वाले पुतले को जलाने का मतलब क्या है? इस पर दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक बढ़ गई और पुलिस को बीच में आकर मामला शांत कराना पड़ा।
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विवाद बढ़ने पर रैली स्थगित
एसीपी राकेश सिंह बघेल ने बताया कि रचना ढिंगरा हर वर्ष गैस पीड़ितों के लिए रैली निकालती हैं। इस बार पुतले के पहनावे पर आपत्ति उठाई गई, इसलिए उसे हटाकर रैली रोक दी गई। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों की बात सुनी जा रही है और यदि किसी संगठन की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। बढ़ते विवाद को देखते हुए रैली को वहीं रोक दिया गया।
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गैस पीड़ित संगठन का दावा दूसरा पुतला सहयोगियों का प्रतीक
एक्टिविस्ट रचना ढिंगरा ने स्पष्ट किया कि दूसरा पुतला किसी संगठन विशेष का नहीं, बल्कि डाउ-यूनियन कार्बाइड के सहयोगियों का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि यह पुतला उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो 11 साल से डाउ केमिकल्स का कारोबार बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। सवाल यह है कि सहयोगी कौन हैं? इस पर बात क्यों नहीं की जा सकती? ढिंगरा ने आरोप लगाया कि डाउ खुद को अमेरिकी कंपनी बताकर भारतीय कानून से बचने की कोशिश कर रही है और ऐसे में उसके सहयोगियों पर सवाल उठाना जरूरी है। रैली रुकने के बाद गैस पीड़ित संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश बताया, जबकि प्रशासन का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया।