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MP News: मध्य प्रदेश का नौंवा टाइगर रिजर्व बना रातापानी अभयारण्य, माधव नेशनल पार्क के बाद दूसरा बड़ा फैसला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Mon, 02 Dec 2024 11:21 PM IST
सार

मध्य प्रदेश को बाघों का राज्य (Tiger State) मानने के पीछे एक बड़ा कारण प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या है। 2 दिसंबर को रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया, जिससे प्रदेश के टाइगर रिजर्व की संख्या 9 हो गई।

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Madhya Pradesh Announces Raatapani as Ninth Tiger Reserve, Strengthening its Position as the "Tiger State"
रातापानी अभ्यारण - फोटो : रातापानी अभ्यारण
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विस्तार
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मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने दो दिसंबर को रातापानी अभयारण्य को नौंवा टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया। इससे पहले, एक दिसंबर को केंद्र सरकार ने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व घोषित किया था। अब मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गई है, जिससे राज्य की टाइगर राजधानी के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत होगी। मध्य प्रदेश को बाघों का राज्य (Tiger State) मानने के पीछे एक बड़ा कारण प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या है। 2 दिसंबर को रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया, जिससे प्रदेश के टाइगर रिजर्व की संख्या 9 हो गई। रातापानी टाइगर रिजर्व भोपाल से लगे रायसेन और सीहोर जिलों में स्थित है। इसकी अधिसूचना जारी करते हुए राज्य सरकार ने इसके कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया है, जिससे टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271.465 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
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रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 9 गांव शामिल किए गए हैं, जिनमें झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली और जैतपुर के गांवों का रकबा 26.947 वर्ग किलोमीटर है। हालांकि, इन गांवों को कोर क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया है। रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से न केवल बाघों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी ईको-टूरिज़्म के माध्यम से रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। यह क्षेत्र स्थानीय निवासियों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में सामने आएगा, क्योंकि टाइगर रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
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भोपाल की टाइगर राजधानी के रूप में पहचान होगी मजबूत 
यह टाइगर रिजर्व बनने से भोपाल की पहचान 'टाइगर राजधानी' के रूप में और मजबूत होगी। मध्य प्रदेश में अब तक 785 बाघ हैं, जो 2022 की गणना के अनुसार प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 2018 में यह संख्या 526 थी, और अब बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अब राज्य को भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से बजट प्राप्त होगा, जिससे बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में और अधिक सुधार संभव होगा।

बाघ संरक्षण के लिए अहम कदम
मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व के मामले में बाघों के संरक्षण के साथ-साथ उनके आवासों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। वर्तमान में प्रदेश में सात प्रमुख टाइगर रिजर्व हैं—कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी, और नौरादेही। अब रातापानी और माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व बनने से यह संख्या बढ़कर 9 हो गई है, जो प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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