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MP News: शायर मंजर भोपाली को 1990 में लिखे गीत पर अब मिल रही धमकियां, क्या हैं इस गाने के बोल?

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, भाेपाल Published by: उदित दीक्षित Updated Fri, 17 May 2024 05:48 PM IST
सार

1990 में लिखे गीत को लेकर मिल रही धमकियों और सोशल मीडिया से इसे हटाने के दबाव पर शायर मंजर भोपाली ने कहा कि न तो उन्होंने इस गीत को सोशल मीडिया पर शेयर किया है और न ही सत्ता पक्ष के खिलाफ कुछ कहने की उनकी मंशा है।

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Manjar Bhopali is receiving threats regarding the song written in 1990
शायर मंजर भोपाली को मिल रहीं धमकियां। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कई वर्ष पहले 1990 में लिखे गए एक गीत पर अब इतने सालों बाद हंगामा मचा हुआ है। चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर तेजी से वायरल हुए गीत के बाद अंतरराष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली धमकी भरे फोन कॉल और चेतावनियों से घिरे हुए हैं। इन धमकियों को लेकर शायर मंजर भोपाली से बात की गई तो उन्होंने गीत को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट की।

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ये है मामला
मुझको अपनी बैंक की किताब दीजिए, देश की तबाही का हिसाब दीजिए... शब्दों से भरा गीत शायर मंजर भोपाली ने वर्ष 1990 में लिखा था। उन्होंने पहली बार वर्ष 1991 में वाशिंगटन के मंच पर पढ़ा था। इसके बाद लंबे समय तक मंजर ने इस गीत को न पढ़ा और न ही कहीं इसका जिक्र हुआ। अब इतने सालों बाद चुनाव के दौरान इस गीत का वीडियो अचानक वायरल हो गया। अलग-अलग प्लेटफार्म पर लाखों लोगों ने इसको शेयर किया। इसके बाद हड़कंप के हालात बनते गए।
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शायर मंजर ने धमकी देने वालों को दिया मशविरा
बरसों पुराने इस गीत के वायरल होने से सत्ता पक्ष ने इसके शांदों को अपने खिलाफ महसूस किया है। इसके बाद शायर मंजर भोपाली को तरह-तरह से धमकियां मिलने लगी हैं। फोन, मैसेजेस और व्यक्तिगत मुलाकात के जरिए मंजर से इस गीत को सोशल मीडिया से हटाने का दबाव बनाया जाने लगा है। इन सारी धमकियों और समझाइश का शायर मंजर के पास एक ही जवाब है कि उन्होंने न तो इस गीत को सोशल मीडिया पर शेयर किया है और न ही सत्ता पक्ष के खिलाफ कुछ कहने की उनकी मंशा है। ऐसे में वे किसी प्लेटफार्म से इस गीत को कैसे हटा सकते हैं। मंजर ने ऐसे सभी लोगों को यह मशविरा जरूर दिया है कि सरकार के हाथ में सारे सूत्र हैं, वे चाहें तो जहां से, जो भी हटाना या बढ़ाना चाहें, आसानी से कर सकते हैं।

सबसे ज्यादा घुटन में कलमकार
शायर मंजर भोपाली कहते हैं कि वे करीब 45 साल से मंचों से वाबस्ता हैं। उन्होंने कई दौर आते जाते देखे हैं। इस दौरान कई बदलाव हुए हैं, लेकिन वर्तमान दौर में एक अजीब तरह की घुटन महसूस की जा रही है। इस घुटन की जकड़ में सबसे ज्यादा एक कलाकार है। वह न तो अपने मन का लिख पाने की हालत में है, न ही कुछ कह पाने की उसको इजाजत है।

राम का मुल्क यह, चिश्तियों का देश
मंजर भोपाली कहते हैं कि यह देश राम का है, यहां कई चिश्ती भी आए, गुरु नानक जी और गौतम बुद्ध ने भी यहां आकर मुहब्बत का पैगाम दिया है। लेकिन अब सियासत की भाषा कुछ बदली हुई सुनाई पड़ती है। मंजर कहते हैं कि जिस तरह हम बचपन में बचकाना बोल सुना करते थे, वैसे ही बोल अब सियासत से सुनाई देते हैं। वे कहते हैं कि अब सियासत की उम्र बहुत छोटी हो गई है।

140 करोड़ मेरे मुहाफिज
अचानक हुए घटनाक्रम के बाद भी मंजर भोपाली सहज ही दिखाई देते हैं। इस बेफिक्री पर वे कहते हैं कि उन्हें किसी का डर या खौफ इसलिए नहीं कि उनकी सुरक्षा करने के लिए देश के 140 करोड़ बहन भाई हैं। देश ने उन्हें जो मुहब्बत और सम्मान दिया है वह उस समय और गहरा जाता है, जब वे मुल्क से बाहर होते हैं। वे बताते हैं कि अब तक 34 मर्तबा अमेरिका जा चुका हूं। उन्होंने कहा कि जब भी देश से बाहर जाता हूं तो अपने देश के लिए गर्व महसूस करता हूं। बाहर मुझे मिलने वाला प्यार मेरे देश के लिए सम्मान होता है। पराए देश में लोग मुझे हाथों हाथ रखते हैं, क्योंकि मैं भारत से हूं। अपने देश पर मुझे गर्व है।

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