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MP News: मध्यप्रदेश में चला देश का पहला हाई-टेक वन्यजीव कैप्चर अभियान, 846 कृष्णमृग और 67 नीलगायों को पकड़ा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Wed, 05 Nov 2025 09:39 AM IST
सार
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर देश का पहला हाई-टेक वन्यजीव कैप्चर अभियान चलाया गया, जिसमें हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक से कृष्णमृग और नीलगायों को सुरक्षित स्थानांतरित किया गया। इस अभिनव पहल से किसानों को फसलों के नुकसान से बड़ी राहत मिली है।
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हेलीकॉप्टर की मदद से वन्यजीवों को पकड़ा
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर राज्य में देश का पहला हाई-टेक वन्यजीव कैप्चर अभियान चलाया गया, जिसमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगायों को बिना किसी नुकसान के पकड़कर सुरक्षित अभयारण्यों में पुनर्स्थापित किया गया। यह प्रयोग हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक से किया गया, जिसकी निगरानी वरिष्ठ वन अधिकारियों और दक्षिण अफ्रीका की विशेषज्ञ टीम ने की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अभियान को “सेवा भाव और संरक्षण का अद्भुत उदाहरण” बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा बल्कि किसानों की आजीविका की रक्षा के लिए भी एक ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री ने अभियान में शामिल वन विभाग की टीम की सराहना करते हुए कहा कि दीपावली के दौरान भी अधिकारियों और कर्मचारियों ने पूरे समर्पण के साथ कार्य किया, जो उनके सेवा भाव का प्रतीक है।
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कृष्णमृग और नीलगायों से फसलें बचाने में हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक कारगर साबित हुई। अभियान में दक्षिण अफ्रीका की कंजरवेशन सॉल्यूशंस कंपनी के 15 विशेषज्ञों ने भाग लिया और प्रदेश की वन टीम को प्रशिक्षित किया। रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर से पहले खेतों और खुले इलाकों का सर्वे किया गया, फिर रणनीतिक रूप से “बोमा” (घास और जाल से बनी फनल आकार की बाड़) लगाकर जानवरों को सुरक्षित दिशा में ले जाया गया। यह पूरी प्रक्रिया वन्यजीवों को डर या चोट पहुंचाए बिना पूरी की गई।
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लगभग 10 दिनों तक चले इस अभियान में पकड़े गए सभी वन्यजीवों को गांधीसागर, कूनो और नौरादेही अभयारण्यों में पुनर्वासित किया गया। नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य के 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में छोड़ा गया। इस प्रक्रिया में किसी भी जानवर को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं पड़ी, जिससे अभियान और अधिक प्राकृतिक व सुरक्षित बना रहा। वन विभाग ने इस दौरान एक विशेष प्रशिक्षित दल तैयार किया है, जो भविष्य में ऐसे ही अभियानों को अन्य जिलों में भी संचालित करेगा। अभियान में मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तम शर्मा, मुख्य वन संरक्षक एम.आर. बघेल, और वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. कार्तिकेय की सक्रिय भूमिका रही। इस अभियान से शाजापुर, उज्जैन और आसपास के जिलों के किसानों को बड़ी राहत मिली है। फसलों को रौंदने और खाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
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कृष्णमृग और नीलगायों से फसलें बचाने में हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक कारगर साबित हुई। अभियान में दक्षिण अफ्रीका की कंजरवेशन सॉल्यूशंस कंपनी के 15 विशेषज्ञों ने भाग लिया और प्रदेश की वन टीम को प्रशिक्षित किया। रॉबिन्सन-44 हेलीकॉप्टर से पहले खेतों और खुले इलाकों का सर्वे किया गया, फिर रणनीतिक रूप से “बोमा” (घास और जाल से बनी फनल आकार की बाड़) लगाकर जानवरों को सुरक्षित दिशा में ले जाया गया। यह पूरी प्रक्रिया वन्यजीवों को डर या चोट पहुंचाए बिना पूरी की गई।
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लगभग 10 दिनों तक चले इस अभियान में पकड़े गए सभी वन्यजीवों को गांधीसागर, कूनो और नौरादेही अभयारण्यों में पुनर्वासित किया गया। नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य के 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में छोड़ा गया। इस प्रक्रिया में किसी भी जानवर को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं पड़ी, जिससे अभियान और अधिक प्राकृतिक व सुरक्षित बना रहा। वन विभाग ने इस दौरान एक विशेष प्रशिक्षित दल तैयार किया है, जो भविष्य में ऐसे ही अभियानों को अन्य जिलों में भी संचालित करेगा। अभियान में मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तम शर्मा, मुख्य वन संरक्षक एम.आर. बघेल, और वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. कार्तिकेय की सक्रिय भूमिका रही। इस अभियान से शाजापुर, उज्जैन और आसपास के जिलों के किसानों को बड़ी राहत मिली है। फसलों को रौंदने और खाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
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