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एसआईआर का असर: भोपाल के शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर संकट, टीचर बने बीएलओ तो डेंगू नियंत्रण थमा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Wed, 05 Nov 2025 12:23 PM IST
सार
भोपाल में विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान का असर अब शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर नजर आ रहा है। जहां सैकड़ों शिक्षक और प्राचार्य बीएलओ ड्यूटी में व्यस्त हैं, वहीं मलेरिया विभाग के कर्मचारी वोटर लिस्ट सुधार में जुटे हैं। नतीजा स्कूलों की पढ़ाई और डेंगू नियंत्रण, दोनों की रफ्तार थम गई है।
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एसआईआर की टीम
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
राजधानी भोपाल में विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान शुरू किया गया। इसका असर अब शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर एक साथ दिखाई देने लगा है। शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को चुनावी कार्यों में तैनात किए जाने से स्कूलों की पढ़ाई बाधित है, वहीं डेंगू और मलेरिया नियंत्रण अभियान भी लगभग ठप पड़ गया है।
शिक्षक बीएलओ ड्यूटी में, स्कूलों में पढ़ाई रुकी
मध्यप्रदेश बोर्ड के स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी से कई स्कूलों में परीक्षा संचालन और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रहे हैं। कुल 2029 बीएलओ में से करीब 1100 शिक्षक हैं, जबकि 205 सुपरवाइजरों में लगभग 71 प्राचार्य शामिल हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जहां एक ही शिक्षक है और उसे भी बीएलओ ड्यूटी पर भेज दिया गया है। नेवरी प्राथमिक स्कूल में 48 बच्चे हैं और अकेली टीचर है, फिर भी उन्हें बीएलओ बनाया गया है। इसी तरह बैरसिया ब्लॉक के एक विद्यालय में दो शिक्षक हैं और दोनों ही निर्वाचन कार्य में हैं। जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार ने बताया कि शिक्षकों के निर्वाचन कार्य में जाने से पढ़ाई जरूर प्रभावित हुई है। 10वीं और 12वीं के शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त कराने के लिए पत्र लिखा गया है ताकि बोर्ड परीक्षा की तैयारी प्रभावित न हो।
यह भी पढ़ें-आधी रात को BLO बर्खास्त, ड्यूटी से नदारद रहने पर कार्रवाई
मलेरिया विभाग के कर्मचारी भी निर्वाचन कार्य में, डेंगू सर्वे बंद
स्वास्थ्य विभाग में भी यही स्थिति है। मलेरिया विभाग के सभी क्लर्क और सुपरवाइजरों की ड्यूटी मतदाता सूची पुनरीक्षण में लगा दी गई है। ये वही कर्मचारी हैं जो सामान्यत: डेंगू-लार्वा सर्वे, फॉगिंग और रिपोर्टिंग का काम करते हैं। इस स्टाफ की अनुपलब्धता से लार्वा सर्वे और टेस्टिंग पूरी तरह बंद है। शहर में अब तक डेंगू के 127 मरीज मिल चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर-दिसंबर डेंगू मच्छरों के पनपने का पीक सीजन होता है, ऐसे में नियंत्रण कार्य रुकना खतरनाक साबित हो सकता है।
यह भी पढ़ें- एम्स भोपाल में फिर विवाद, महिला डॉक्टर ने एचओडी पर लगाया उत्पीड़न का आरोप, ICC के पास पहुंची शिकायत
स्कूल कार्य से मुक्त रखा गया
उप निर्वाचन अधिकारी भुवन गुप्ता ने बताया कि स्कूलों से जो सूची मिली, उसी के आधार पर शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है। जिन प्राचार्यों को सुपरवाइजर की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें स्कूल कार्य से मुक्त रखा गया है ताकि एसआईआर का कार्य समय पर पूरा हो सके।
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शिक्षक बीएलओ ड्यूटी में, स्कूलों में पढ़ाई रुकी
मध्यप्रदेश बोर्ड के स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी से कई स्कूलों में परीक्षा संचालन और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रहे हैं। कुल 2029 बीएलओ में से करीब 1100 शिक्षक हैं, जबकि 205 सुपरवाइजरों में लगभग 71 प्राचार्य शामिल हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जहां एक ही शिक्षक है और उसे भी बीएलओ ड्यूटी पर भेज दिया गया है। नेवरी प्राथमिक स्कूल में 48 बच्चे हैं और अकेली टीचर है, फिर भी उन्हें बीएलओ बनाया गया है। इसी तरह बैरसिया ब्लॉक के एक विद्यालय में दो शिक्षक हैं और दोनों ही निर्वाचन कार्य में हैं। जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार ने बताया कि शिक्षकों के निर्वाचन कार्य में जाने से पढ़ाई जरूर प्रभावित हुई है। 10वीं और 12वीं के शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त कराने के लिए पत्र लिखा गया है ताकि बोर्ड परीक्षा की तैयारी प्रभावित न हो।
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मलेरिया विभाग के कर्मचारी भी निर्वाचन कार्य में, डेंगू सर्वे बंद
स्वास्थ्य विभाग में भी यही स्थिति है। मलेरिया विभाग के सभी क्लर्क और सुपरवाइजरों की ड्यूटी मतदाता सूची पुनरीक्षण में लगा दी गई है। ये वही कर्मचारी हैं जो सामान्यत: डेंगू-लार्वा सर्वे, फॉगिंग और रिपोर्टिंग का काम करते हैं। इस स्टाफ की अनुपलब्धता से लार्वा सर्वे और टेस्टिंग पूरी तरह बंद है। शहर में अब तक डेंगू के 127 मरीज मिल चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर-दिसंबर डेंगू मच्छरों के पनपने का पीक सीजन होता है, ऐसे में नियंत्रण कार्य रुकना खतरनाक साबित हो सकता है।
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स्कूल कार्य से मुक्त रखा गया
उप निर्वाचन अधिकारी भुवन गुप्ता ने बताया कि स्कूलों से जो सूची मिली, उसी के आधार पर शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है। जिन प्राचार्यों को सुपरवाइजर की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें स्कूल कार्य से मुक्त रखा गया है ताकि एसआईआर का कार्य समय पर पूरा हो सके।