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MP : कुपोषण पर सियासत शुरू, नाथ बोले झूठी वाहवाही की बीमारी से बाहर निकलें, नौनिहालों के पेट की तरफ देखे सरकार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Sat, 13 Jul 2024 03:47 PM IST
सार
केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में मध्य प्रदेश कुपोषण के मामले में स्थिति काफी खराब है। इस पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार पर हमला बोला है।
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कमल नाथ
- फोटो : social media
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विस्तार
केन्द्र सरकार के द्वारा जारी रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में कुपोषण को लेकर चिंता जनक आकड़ें सामने आये है। प्रदेश की आंगनबाड़ियों में पंजीकृत 6 वर्ष से कम उम्र के 66 लाख बच्चों में से 26 लाख यानि 40% बच्चे बौने पाये गये हैं, वहीं क़रीब 17 लाख यानि 27% बच्चों का वजन मानक औसत वजन से कम पाया गया है। यह जानकारी सामने आने के बाद मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म एक्स पर प्रदेश सरकार के ऊपर जमकर निशाना साधा है। उन्होने कहा कि
झूठी वाहवाही की बीमारी से बाहर निकले नौनिहालों के पेट की तरफ देखें।
पिछले दो माह में ही कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 3% की बढ़ी
कमलनाथ ने एक्स पर लिखा कि, 'केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मध्यप्रदेश भीषण कुपोषण की चपेट में आ गया है। प्रदेश की आंगनबाड़ियों में पंजीकृत 6 वर्ष से कम उम्र के 66 लाख बच्चों में से 26 लाख यानि 40% बच्चे बौने पाये गये हैं, वहीं क़रीब 17 लाख यानि 27% बच्चों का वजन मानक औसत वजन से कम पाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि, सरकार द्वारा संचालित पोषण ट्रेकर की माह जून 24 की रिपोर्ट दर्शाती है कि मध्यप्रदेश में पिछले दो माह में ही कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 3% की बढ़ोतरी हुई है। मई 2024 में जहां मध्यप्रदेश की आंगनबाड़ियों में कम वजन वाले बच्चों की संख्या 24% थी, वहीं जुलाई 2024 में यह बढ़कर 27% पहुँच गई है।'
कमलनाथ ने सीएम से की मांग
पूर्व सीएम कमल नाथ ने कहा है कि मै सरकार से मांग करता हूं कि अपनी झूठी वाहवाही की बीमारी से बाहर निकले और नौनिहालों के पेट की तरफ़ नज़र घुमाये। यदि मध्यप्रदेश का भविष्य और घर आंगन की किलकारियां भूख और चीख का प्रतीक बन रही हैं, तो यह प्रदेश के लिये शर्मनाक स्थिति है।
ये हैं आंगनबाड़ियों की बुनियादी समस्याएं
केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 77 हजार 120 आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने के पानी का इंतजाम है, जबकि 20 हजार 210 केंद्रों में पेयजल की दिक्कत है। इसके अलावा, 42 हजार 313 आंगनबाड़ियों के पास खुद का भवन नहीं है और 20 हजार 993 आंगनबाड़ियां या तो हैं ही नहीं, और यदि हैं तो वे इस्तेमाल योग्य नहीं हैं। हालांकि आंगनबाड़ियों के बच्चों की सेहत सुधारने के लिए विभाग ने भोजन में बदलाव करने की योजना बनाई है। अब बच्चों को सप्ताह में एक बार मोटे अनाज से बनी चीजें और सोयाबीन की बर्फी दी जाएगी। अभी तक सोयाबीन से बनी बर्फी केवल गर्भवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को दी जाती थी।
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झूठी वाहवाही की बीमारी से बाहर निकले नौनिहालों के पेट की तरफ देखें।
पिछले दो माह में ही कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 3% की बढ़ी
कमलनाथ ने एक्स पर लिखा कि, 'केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मध्यप्रदेश भीषण कुपोषण की चपेट में आ गया है। प्रदेश की आंगनबाड़ियों में पंजीकृत 6 वर्ष से कम उम्र के 66 लाख बच्चों में से 26 लाख यानि 40% बच्चे बौने पाये गये हैं, वहीं क़रीब 17 लाख यानि 27% बच्चों का वजन मानक औसत वजन से कम पाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि, सरकार द्वारा संचालित पोषण ट्रेकर की माह जून 24 की रिपोर्ट दर्शाती है कि मध्यप्रदेश में पिछले दो माह में ही कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 3% की बढ़ोतरी हुई है। मई 2024 में जहां मध्यप्रदेश की आंगनबाड़ियों में कम वजन वाले बच्चों की संख्या 24% थी, वहीं जुलाई 2024 में यह बढ़कर 27% पहुँच गई है।'
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कमलनाथ ने सीएम से की मांग
पूर्व सीएम कमल नाथ ने कहा है कि मै सरकार से मांग करता हूं कि अपनी झूठी वाहवाही की बीमारी से बाहर निकले और नौनिहालों के पेट की तरफ़ नज़र घुमाये। यदि मध्यप्रदेश का भविष्य और घर आंगन की किलकारियां भूख और चीख का प्रतीक बन रही हैं, तो यह प्रदेश के लिये शर्मनाक स्थिति है।
ये हैं आंगनबाड़ियों की बुनियादी समस्याएं
केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 77 हजार 120 आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने के पानी का इंतजाम है, जबकि 20 हजार 210 केंद्रों में पेयजल की दिक्कत है। इसके अलावा, 42 हजार 313 आंगनबाड़ियों के पास खुद का भवन नहीं है और 20 हजार 993 आंगनबाड़ियां या तो हैं ही नहीं, और यदि हैं तो वे इस्तेमाल योग्य नहीं हैं। हालांकि आंगनबाड़ियों के बच्चों की सेहत सुधारने के लिए विभाग ने भोजन में बदलाव करने की योजना बनाई है। अब बच्चों को सप्ताह में एक बार मोटे अनाज से बनी चीजें और सोयाबीन की बर्फी दी जाएगी। अभी तक सोयाबीन से बनी बर्फी केवल गर्भवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को दी जाती थी।