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नवजात शिशुओं के लिए खरीदे करोड़ों के रेडिएंट वॉर्मर घटिया होने से उठे सवाल, जांच के घेरे में सप्लाई सिस्टम

Anand Pawar आनंद पवार
Updated Fri, 26 Dec 2025 08:47 AM IST
सार

 मध्य प्रदेश में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए खरीदे गए करोड़ों रुपये के रेडिएंट वॉर्मर की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। अस्पतालों में इन उपकरणों की प्लेट टूटने और चटकने से बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
 

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Questions raised over the poor quality of radiant warmers worth millions purchased for newborns; the supply sy
हमीदिया अस्पताल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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छिंदवाड़ा जिले में बच्चों के दूषित कफ सिरप मामले के बाद अब प्रदेश में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए खरीदे गए करोड़ों रुपये के मेडिकल उपकरण अब सवालों के घेरे में हैं। सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सप्लाई किए गए रेडिएंट वॉर्मर की गुणवत्ता को लेकर गंभीर आपत्तियां सामने आई हैं। इन उपकरणों में बच्चों की सुरक्षा के लिए लगाई गई एक्रेलिक प्लेट के टूटने और चटकने की घटनाएं सामने आने के बाद राज्य की स्वास्थ्य आपूर्ति प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
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6.5 करोड़ के 900 वॉर्मर, लेकिन गुणवत्ता पर शक
मध्य प्रदेश हेल्थ कॉरपोरेशन लिमिटेड (MPHCL) ने प्रदेशभर के उप-स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए करीब 900 रेडिएंट वॉर्मर खरीदे। इनकी अनुमानित लागत 6.5 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इन वॉर्मर का उपयोग नवजात शिशुओं के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए किया जाता है, जहां सुरक्षा मानकों में किसी भी तरह की चूक गंभीर परिणाम ला सकती है।

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हमीदिया अस्पताल से आई शिकायत 
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में सप्लाई किए गए 15 रेडिएंट वॉर्मर में से दो में खामियां पाई गईं। एक वॉर्मर की एक्रेलिक प्लेट का कोना टूटा मिला और दूसरे वॉर्मर की प्लेट चटकी हुई पाई गई। हमीदिया अस्पताल के शिशु रोग विभाग ने इसे नवजातों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला बताते हुए उपकरणों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए और इसकी सूचना हेल्थ कॉरपोरेशन को दी। शिकायत मिलने के बाद एमडी ने 18 दिसंबर को हेल्थ कॉरपोरेशन की टीम हमीदिया अस्पताल भेजी और उपकरणों का निरीक्षण किया। इसके अलावा रायसेन समेत अन्य जिलों से भी शिकायत आने की बात कही जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, मामले में सप्लायर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, सप्लायर किसी प्रकार के नोटिस जारी करने से इंकार कर रहा है। 

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सभी जिलों में सप्लाई किए गए वॉर्मर की मांगी रिपोर्ट
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश हेल्थ कॉरपोरेशन लिमिटेड ने प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थाओं में सप्लाई होने वाले उपकरणों की जांच के लिए थर्ड पार्टी से अनुबंध के लिए टेंडर किया है। इसमें राइट्स नाम की एजेंसी को इसका काम सौपा है। जानकारी के अनुसार कॉरपोरेशन के एमडी ने मामले को गंभीरता से लिया है और एजेंसी से पूरे प्रदेश में सप्लाई वॉर्मर का इंस्पेक्शन करके रिपोर्ट मांगी गई हैं। 

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शिकायत का सत्यापन कर रहे : एमडी
मध्य प्रदेश हेल्थ कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक मयंक अग्रवाल का कहना है कि मामले को गंभीरता से देखा जा रहा है। हमें शिकायतें मिली हैं। उस शिकायत को सत्यापित किया जा रहा है। 

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एल्कोहोलिक रिएक्शन से टूटी प्लेट, कोई नोटिस नहीं मिला 
वॉर्मर सप्लाई करने वाली फर्म यश इंटरप्राइजेज के संचालक मनोज कुकरेजा ने गुणवत्ता में खामी से इनकार किया है। उनका कहना है कि वॉर्मर में एक्रेलिक प्लेट लगी है। जिसको अल्कोहल या सैनिटाइजर से साफ करने पर नुकसान हो सकता है। इसका स्टीकर भी वॉर्मर पर चिपका हुआ है। इसे सिर्फ पानी या डिटर्जेंट से सफाई करना है। सैनिटाइजर से साफ करने के कारण एक-दो वॉर्मर की प्लेट चटक गई थी। हमने उसे बदल भी दिया। हमने साढ़े तीन साल की वारंटी भी दी है। मुझे अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला हैं। 

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बच्चों को चुभने का खतरा : डॉक्टर भार्गव
भोपाल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश भार्गव का कहना है कि वाॅर्मर नवजात बच्चों के लिए उपयोग किए जाते हैं। एक्रेलिक प्लेट ट्रॉली में बच्चों के सपोर्ट के लिए होती हैं। यदि प्लेट टूटी या क्रेक है तो उसके बच्चों की स्किन में चुभने का खतरा हो सकता है। इसका ध्यान रखना जरूरी है।
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