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अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर विशेष: पेंच टाइगर रिजर्व को सर्वोच्च रैंकिंग मिली, प्रदेश में बढ़ें विदेशी पर्यटक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Mon, 28 Jul 2025 09:59 PM IST
सार
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) के मौके पर मध्यप्रदेश एक बार फिर "टाइगर स्टेट" कहलाने पर गर्व महसूस कर रहा है। साल 2022 की बाघ गणना के अनुसार, पूरे देश के 3682 बाघों में से सबसे ज्यादा 785 बाघ मध्यप्रदेश में हैं। यह सफलता राज्य सरकार के बाघ संरक्षण के लिए किए गए योजनाबद्ध प्रयासों का नतीजा है। आधुनिक तकनीक, बेहतर निगरानी, वन्यजीव अपराध नियंत्रण और स्थानीय लोगों की भागीदारी से प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही राज्य में विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, जिससे पर्यटन और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ हो रहा है।
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बाघ
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) पर मध्यप्रदेश एक बार फिर टाइगर स्टेट के रूप में गर्व महसूस कर रहा है। वर्ष 2022 की बाघ गणना के अनुसार देशभर में पाए गए कुल 3682 बाघों में से सबसे अधिक 785 बाघ मध्यप्रदेश में हैं। यह राज्य को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष पहचान दिलाता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुआई में बाघों के संरक्षण को लेकर किए गए योजनाबद्ध प्रयासों का असर साफ दिखाई दे रहा है। वन रहवास क्षेत्रों के विस्थापन, सक्रिय निगरानी, जैविक दबाव मुक्त क्षेत्र और तकनीकी नवाचारों की मदद से बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। प्रदेश के पेंच, बांधवगढ़, सतपुड़ा, कान्हा और संजय टाइगर रिजर्व को देश में श्रेष्ठ प्रबंधन वाले रिजर्व घोषित किया गया है। पेंच टाइगर रिजर्व को प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट में सर्वोच्च रैंकिंग मिली है, जबकि सतपुड़ा रिजर्व को यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
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विदेशी पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की रिपोर्ट में कान्हा टाइगर रिजर्व को देश का सबसे उपयुक्त बाघ आवास क्षेत्र बताया गया है। यहां बाघों के लिए समुचित भोजन, घास के मैदान और जलस्रोत उपलब्ध हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में 85 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक प्रदेश के टाइगर रिजर्व में पहुंचे, जिससे राज्य को पर्यटन से 61 करोड़ रुपये की आय हुई।
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ड्रोन स्क्वाड से निगरानी, जीन टेस्टिंग की तैयारी
प्रदेश में संरक्षण को तकनीकी रूप देते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व में ‘ड्रोन स्क्वाड’ की शुरुआत की गई है। इससे वन्यजीवों की निगरानी और जंगल की आग जैसी आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई संभव हो रही है। साथ ही, उज्जैन और जबलपुर में रेस्क्यू सेंटर और बाघों की जीन टेस्टिंग जैसी योजनाएं भी शुरू की गई हैं।
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200 गांव विस्थापित, चीतलों का स्थानांतरण हुआ सफल
सरकार द्वारा 200 गांवों का विस्थापन कर संरक्षित क्षेत्रों को जैविक दबाव से मुक्त किया गया है। इसके अलावा, सक्रिय प्रबंधन से चीतलों को चीतल विहीन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया, जिससे बाघों के प्रमुख आहार की उपलब्धता बनी रही।
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वन्यजीव अपराध नियंत्रण और जागरूकता बढ़ी
मध्यप्रदेश में वन्यजीव अपराध रोकने के लिए संयुक्त इकाइयों, ड्रोन, कैमरा ट्रैप और निगरानी सूची जैसे उपाय अपनाए गए हैं। ग्राम वन समितियों को संरक्षण में शामिल किया गया है, जिससे शिकार की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
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अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: कैसे हुई शुरुआत
29 जुलाई 2010 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए सम्मेलन में 13 देशों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया था। मध्यप्रदेश ने इस लक्ष्य को न केवल हासिल किया, बल्कि बाघ प्रबंधन में देशभर में मिसाल कायम की है।
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विदेशी पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की रिपोर्ट में कान्हा टाइगर रिजर्व को देश का सबसे उपयुक्त बाघ आवास क्षेत्र बताया गया है। यहां बाघों के लिए समुचित भोजन, घास के मैदान और जलस्रोत उपलब्ध हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में 85 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक प्रदेश के टाइगर रिजर्व में पहुंचे, जिससे राज्य को पर्यटन से 61 करोड़ रुपये की आय हुई।
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ड्रोन स्क्वाड से निगरानी, जीन टेस्टिंग की तैयारी
प्रदेश में संरक्षण को तकनीकी रूप देते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व में ‘ड्रोन स्क्वाड’ की शुरुआत की गई है। इससे वन्यजीवों की निगरानी और जंगल की आग जैसी आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई संभव हो रही है। साथ ही, उज्जैन और जबलपुर में रेस्क्यू सेंटर और बाघों की जीन टेस्टिंग जैसी योजनाएं भी शुरू की गई हैं।
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200 गांव विस्थापित, चीतलों का स्थानांतरण हुआ सफल
सरकार द्वारा 200 गांवों का विस्थापन कर संरक्षित क्षेत्रों को जैविक दबाव से मुक्त किया गया है। इसके अलावा, सक्रिय प्रबंधन से चीतलों को चीतल विहीन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया, जिससे बाघों के प्रमुख आहार की उपलब्धता बनी रही।
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वन्यजीव अपराध नियंत्रण और जागरूकता बढ़ी
मध्यप्रदेश में वन्यजीव अपराध रोकने के लिए संयुक्त इकाइयों, ड्रोन, कैमरा ट्रैप और निगरानी सूची जैसे उपाय अपनाए गए हैं। ग्राम वन समितियों को संरक्षण में शामिल किया गया है, जिससे शिकार की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
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29 जुलाई 2010 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए सम्मेलन में 13 देशों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया था। मध्यप्रदेश ने इस लक्ष्य को न केवल हासिल किया, बल्कि बाघ प्रबंधन में देशभर में मिसाल कायम की है।

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