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Surya Grahan: इंदौर, भोपाल और उज्जैन में ऐसे दिखा सूर्यग्रहण, चंद्रमा ने सूरज के 32 फीसदी हिस्से को कवर किया

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 25 Oct 2022 07:41 PM IST
सार

मध्यप्रदेश में मंगलवार को सूर्यग्रहण के दौरान कई शहरों में जनजीवन थम सा गया। उज्जैन के महाकाल मंदिर को छोड़कर बाकी सभी मंदिरों के पट बंद रहे। शाम 4.42 बजे से 5.38 बजे तक इस खगोलीय घटना के दौरान चांद ने सूरज के करीब 32 फीसदी हिस्से को ढंक लिया। भोपाल के रीजनल साइंस सेंटर में बड़ी संख्या में लोग सूर्य ग्रहण की घटना को देखने पहुंचे।
 

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Surya Grahan 2022 Solar eclipse seen in Indore Bhopal and Ujjain
सूर्यग्रहण 2022 - फोटो : अमर उजाला
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उज्जैन की वेधशाला में भी भीड़ रही। सूर्यग्रहण के दौरान उज्जैन महाकाल मंदिर में दर्शन जारी रहे। महाकाल मंदिर पट कभी बंद नहीं होते हैं। ग्रहण के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। ग्रहण का सूतक लगने से गोवर्धन पूजा भी नहीं हुई। बता दें, 27 साल बाद दिवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण हुआ। यह इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। इससे पहले यह खगोलीय घटना 24 अक्टूबर 1995 को दिवाली के दूसरे दिन हुई थी।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय भी इस खगोलिय घटना को देखने रीजनल साइंस सेंटर पहुंचे। वैज्ञानिक ने उन्हें बिस्किट देते हुए कहा, आप साइंटिफिक खगोलीय घटना को मानें और बिस्किट खाकर मिथक तोड़ें। लेकिन कार्तिकेय ने बिस्किट नहीं खाया। जब उनसे इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा- हर व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था होती है। हमारे देश में इस आस्था को लोग अलग-अग ढंग से मनाते हैं। उसका भी सम्मान होना चाहिए। विज्ञान अपनी जगह हैं। इसमें मैं कोई मैसेज नहीं देना चाहता।

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Surya Grahan 2022 Solar eclipse seen in Indore Bhopal and Ujjain
उज्जैन में भी खगोलीय घटना को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे - फोटो : अमर उजाला
महाकाल में भस्म आरती के बाद प्रवेश बंद
श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंगलवार तड़के हरिओम का जल चढ़ाने के बाद भस्म आरती की गई। आरती के बाद गर्भगृह में प्रवेश बंद कर दिए गए। इस दौरान बाहर से ही दर्शन व्यवस्था की गई। ग्रहण के बाद शाम साढ़े 6 बजे मंदिर के शुद्धिकरण के बाद संध्या आरती हुई। श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा संचालित श्री महाकालेश्वर निशुल्क अन्नक्षेत्र भी सूतक होने के कारण बंद रहा।

गोपाल मंदिर में शाम 4 बजे पट बंद हुए
श्री गोपाल मंदिर में ग्रहण के दौरान शाम 4 बजे से मंदिर के पट बंद हुए। मंदिर के व्यवस्थापक अजय धाकने ने बताया कि ग्रहण के कारण भगवान का स्पर्श वर्जित है। मंदिर के पट अब बुधवार सुबह खुलेंगे।

सांदीपनि आश्रम में ग्रहण समाप्ति पर पूजन
श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली श्री सांदीपनि आश्रम में मंगलवार को गर्भगृह में प्रवेश बंद रहा। पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि दर्शनार्थियों को दूर से ही दर्शन की अनुमति रही। शाम साढ़े 6 बजे के बाद ग्रहण के मोक्ष होने पर मंदिर का शुद्धिकरण कर भगवान के वस्त्र बदलने के बाद पूजन-आरती की गई।

हरसिद्धि मंदिर में संध्या आरती देर से होगी
शक्तिपीठ हरसिद्धि माता मंदिर में भी गर्भगृह में प्रवेश बंद रखा गया। मंदिर के रामचंद्र गिरी ने बताया कि ग्रहण के मोक्ष होने के बाद संध्या को मंदिर का शुद्धिकरण कर माता हरसिद्धि के वस्त्र बदलने के साथ ही नया श्रृंगार करने के बाद शाम 7 बजे होने वाली आरती देरी से होगी।
 
भोपाल में शाम 4.42 बजे ग्रहण शुरू हुआ और शाम 5.38 बजे तक नजर आया। ग्रहण का अंत प्रदेश भर में कहीं भी दिखाई नहीं देगा, क्योंकि वह सूर्यास्त के उपरांत भी जारी रहेगा। भारत में उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा लगभग सूर्य के 40 से 50 फीसदी के बीच होगा।
 

Surya Grahan 2022 Solar eclipse seen in Indore Bhopal and Ujjain
सारिका घारू - फोटो : अमर उजाला

सारिका ने सूर्यग्रहण अवलोकन कैंप में बताया राहु का राज
सारिका घारू के सोलर इकलिप्स कैंप में बच्चों ने राहु का राज जाना। आंखों से सुरक्षित अवलोकन के लिए सारिका ने निशुल्क कैंप लगाया था। आकाश में आज सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ गए। इससे भारत के अधिकांश स्थानों पर सूर्य गोलाकार न दिखता हुआ 60 से 70 प्रतिशत भाग ही दिखा। सूर्यास्त के पहले हुई आंशिक सूर्यग्रहण की इस खगोलीय घटना को आम लोगों को सुरक्षित रूप से दिखाने भारत सरकार की ओर से नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बीएलईएल मैदान में अवलोकन शिविर का आयोजन किया।

इस शिविर में वैज्ञानिक रूप से परीक्षित सोलर व्यूअर, सोलर फिल्टर की मदद से बच्चों और आम लोगों ने सूर्य के सामने चांद के आ जाने को देखा। सारिका ने बताया, जिस स्थान पर ग्रहण होता दिख रहा है। उस काल्पनिक बिंदु को ही राहु नाम दिया गया है। पृथ्वी से देखने पर जिस मार्ग से सूर्य पूर्व से पश्चिम जाता दिखता है और जिस मार्ग से चंद्रमा पूर्व से पश्चिम जाता दिखता है, वो दोनो मार्ग कोण पर झुके हैं। वो दो स्थानो पर कटते हैं। इनमें से एक कटन बिंदु राहु और दूसरे को केतु नाम दिया गया है। जब इसी बिंदु पर सूर्य और चंद्रमा दोनों आ जाते हैं तो पृथ्वी के किसी भू भाग से सूर्यग्रहण दिखता है।

सारिका ने बताया, भोपाल में शाम 4 बजकर 42 मिनिट पर जब सूर्य का एल्टयूड 13.5 डिग्री था तब ग्रहण दिखना आरंभ हुआ। शाम 5 बजकर 38 मिनिट पर सूर्य का एल्टीट्यूड 1.4 डिग्री था, तब अधिकतम ग्रहण की स्थिति थी। इसके बाद ग्रहण की ही स्थिति में 5 बजकर 47 मिनिट पर सूर्य अस्त हो गया। इसके साथ ही ग्रहण दिखना समाप्त हो गया। कुल 1 घंटे 5 मिनट ग्रहण दिखा। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित शिविर में युवा कम्यूनिकेटर आशी चौहान तथा नरेद्र कुमार ने वैज्ञानिक जानकारी दी। शिविर में अनेक बच्चे अपने पालकों के साथ उपस्थित हुए।

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