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भोपाल: महिलाओं ने आरटीआई को बनाया हथियार, पति की नौकरी-जॉब की मांग रहीं जानकारी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: प्रियंका तिवारी
Updated Fri, 15 Jan 2021 08:12 PM IST
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आरटीआई
- फोटो : सोशल मीडिया
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सरकारी विभागों के काम में पारदर्शी बनाए रखने व भ्रष्टाचार कम करने के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून साल 2005 में आया था। इस कानून के तहत देश का कोई भी व्यक्ति सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है। हालांकि, अब इस कानून के उपयोग का दायरा बढ़ रहा है। दरअसल, इस कानून का उपयोग अब गृहणियां भी करने लगी हैं। वे अपने पति की सैलरी की जानकारी आरटीआई के तहत मांग रही हैं। घर के छोटे-मोटे झगड़े हों या फिर दंपति में विवाद होने पर अब आरटीआई लगा दी जा रही है। इतना ही नहीं शादी से पहले भी लड़के का स्टेटस जानने के लिए इस कानून के तहत जानकारी मांगी जा रही है।
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आरटीआई से पत्नियों ने मांगीं विभिन्न जानकारियां
भोपाल के राज्य सूचना आयोग में पत्नियों द्वारा लगाई गई ऐसी लगभग 500 अपीलें लंबित चल रही हैं। इन पत्नियों ने आरटीआई के तहत तरह-तरह की जानकारियां मांगीं। इनमें पति की नौकरी, उसकी सैलरी, सर्विस बुक, यहां तक की पति का किसी अन्य महिला से संबंध तो नहीं, पति ने किसी सरकारी दस्तावेज में किसी अन्य महिला काे नॉमिनी तो नहीं बना दिया जैसी जानकारियां मांगी गई हैं। भोपाल में महिलाओं ने ये याचिकाएं पहले अपने पतियों के कार्यालय में लगाईं थीं, जिनमें से कुछ राज्य सूचना आयोग के पास भेज दी गईं। ऐसे में जब विभागों के लोक सूचना अधिकारी ने पति की नौकरी के अलावा अन्य जानकारी देने से मना कर दिया तब महिलाओं ने सूचना आयोग में अपील किया था। हालांकि, ऐसी अपीलें खारिज हो रही हैं।
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केवल पति के वेतन की ही मिल सकती है जानकारी
आवेदिका सोमना शर्मा ने पति से तलाक के बाद आरटीआई के तहत जानकारी मांगी कि पति को कितना वेतन और बोनस मिलता है। उन्होंने अपने ससुर और देवर की संपत्ति की जानकारी भी मांगी, लेकिन यह जानकारी उनके पति नहीं देना चाहते थे। ऐसे में सहमति न होने पर सूचना अधिकारी और लोक अपीलीय अधिकारी ने सोमना को जानकारी देने से मना कर दिया। इस पर आवेदिका ने सूचना आयोग में अपील की। आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद लोक सूचना और अपीलीय अधिकारी को सिर्फ पति के वेतन की ही जानकारी देने के आदेश दिए। आयोग ने इसके पीछे तर्क दिया कि पत्नी को कानूनी लड़ाई लड़ने के दौरान पति के वेतन संबंधी दस्तावेज की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन उसे परिवार के अन्य लोगों की संपत्ति की जानकारी नहीं दी सकती।
कानून का दुरुपयोग न हो, इसलिए कई अपील हुईं खारिज
वहीं, राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) जे के तहत चाहे वह पति हो या पत्नी, तीसरे पक्ष को जानकारी नहीं दी जा सकती। इसके अलावा विवाद की स्थिति होने पर महिला का हक है कि वह विधिक सहायता लेने के लिए पति की वेतन संबंधी जानकारी मांग सकती है। हालांकि, किसी के व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव डालने वाली जानकारी नहीं दी जा सकती है। राज्य सूचना आयुक्त ने यह भी बताया कि पति की वेतन की जानकारी के अलावा परिवार के अन्य किसी भी सदस्य की जानकारी नहीं दी जा सकती है। बता दें, आरटीआई कानून का बड़े स्तर पर दुरुपयोग भी होने लगा है। पति और ससुराल वालों को प्रताड़ित करने की मंशा से भी महिलाएं उनकी जानकारियां मांग रही हैं। कई मामलों में इन मंशाओं के सामने आ जाने के बाद ऐसी कई अपील खारिज की गई हैं।

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