मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'हर घर तिरंगा अभियान' के तहत बड़े तालाब में क्रूज पर तिरंगा फहराया। सीएम बोट क्लब से राजाभोज की प्रतिमा तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह आजादी का अमृत काल है।
आजादी के 75वर्ष पूर्ण होने पर देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके तहत हर घर तिरंगा अभियान आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को बड़े तालाब में क्रूज पर तिरंगा फहराया। मुख्यमंत्री बोट क्लब से क्रूज में तिरंगा झंडा फहरा कर राजा भोज की प्रतिमा तक गए। क्रूज के साथ ही 12 बोटे चल रही थीं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने देशभक्ति के गाने भी गाए। वीआईपी रोड पर लोगों ने भी तिरंगा फहराया।
मुख्यमंत्री ने भी गाया गीत
मुख्यमंत्री ने देश भक्ति का गीत गाया "अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं, सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं। "पुलिस बैंड द्वारा इस गीत पर संगीत प्रस्तुत किया गया। मुख्यमंत्री ने “मेरा रंग दे बसंती चोला...” गीत भी गया। उन्होंने अपने इस पसंदीदा राष्ट्रभक्ति गीत को भीगते हुए बारिश में तिरंगा लहराते हुए गाया। इस गीत पर भी पुलिस बैंड के सदस्यों द्वारा सुमधुर संगीत दिया गया।
यह आजादी का अमृत काल हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान सिर्फ तिरंगा फहराने का कार्य नहीं है, बल्कि एक संकल्प है कि हम राष्ट्र के विकास में अधिक से अधिक योगदान दें। हम अपने कर्तव्यपालन में कोई कसर नहीं छोड़ें। उन्होंने कहा कि यह आजादी का अमृतकाल है। भारत मां का जय घोष करते हुए स्वयं तिरंगा फहराएं और बाकि लोगों को भी इसकी प्रेरणा दें। मुख्यमंत्री ने हर घर तिरंगा फहराने के अभियान से जुड़ने की अपील के समय वीआईपी रोड पर बच्चों ने तेज बारिश में भी उपस्थिति बनाए रखी। बच्चों के हाथ में तिरंगे थे। हजारों बच्चों ने वीआईपी रोड पर राष्ट्रभक्ति गीतों के साथ गाते गुनगुनाते हुए तिरंगा लहराया। सीएम ने कहा कि 13 से 15 अगस्त को हर घर पर तिरंगा लहराएगा।
भोपाल की बड़ी झील
•रामसर साइट में शामिल भोपाल ताल जिसे बड़ी झील के नाम से जाना जाता है। इसका सतही क्षेत्रफल 31 स्क्वायर किलोमीटर का है।
•स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, भोजताल को परमार राजा भोज ने मालवा के राजा (1005-1055) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बनवाया था।
•राजा भोज ने अपने राज्य की पूर्वी सीमा को सुरक्षित करने के लिए भोपाल शहर (उसके नाम पर, फिर भोजपाल के नाम से भी) की स्थापना की थी।
•मार्च 2011 तक झील को ऊपरी झील या बड़ा तालाब ("बड़ा तालाब") के रूप में जाना जाता था, इसे महान राजा राजा भोज के सम्मान में इसका नाम बदलकर भोजताल कर दिया गया था।
•भोपाल को झीलों की नगरी के रूप में स्थापित करने के लिए झील के एक कोने पर एक स्तंभ पर तलवार के साथ खड़ी राजा भोज की एक विशाल मूर्ति भी स्थापित की गई है।
राजा भोज की प्रतिमा
भोजताल में परमार वंशी राजा भोज के सम्मान में, राजा भोज की धातु से बनी लगभग 32 फीट ऊंची और 27 टन वजनी प्रतिमा को बड़े तालाब में स्थित बुर्ज पर स्थापित की गई है। मध्यप्रदेश पर्यटन निगम द्वारा सन 15 दिसंबर 2010 में स्थापित किया गया है। यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
छोटी झील
छोटी झील भोपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है, जो बड़ी झील के साथ जुडी हुई है। इन दोनों का विभाजन भोज सेतु कमला पार्क से होता है। कहा जाता है की 1794 में इसका निर्माण कराया गया था।
मंदिर शीतल दास की बगिया
मंदिर शीतल दास की बगिया सन 1844 ईस्वी में आप के किनारे एक मंदिर का निर्माण हुआ जहां एक वृद्ध शीतल दास रहते थे। जिनके नाम से यह जगह शीतल दास की बगिया के नाम से मशहूर हुई और यहां का मंदिर शीतल दास मंदिर कहलाया।
रानी कमलापति
गोंड वंश की महान रानी कमलापति जिनके नाम से हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति रखा गया। बड़ी झील और छोटी झील के बीच में स्थित रानी कमलापति का महल है। जिस स्थल को कमला पार्क के नाम से जाना जाता है। कमलापति सीहोर के सल्कनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया की बेटी और गोंड शासक निजाम शाह की धर्मपत्नी थीं। वह अपनी बुद्धिमत्ता और साहस के लिए जानी जाती थी। राजा निजाम शाह ने 1700 ई. में रानी कमलापति के प्रेम के प्रतीक के रूप में भोपाल में सात मंजिला महल कमला महल बनवाया था।