Indore: आरएसएस के सरकार्यवाह होसबोले बोले-हिन्दुत्व और हिन्दू राष्ट्र भारत की पहचान
दूसरे सत्र में हिन्दुत्व विषय पर अपने उद्बोधन में होसबोले ने कहा कि आचरण की एकता, वचनों की दृढ़ता और संबंधों की संस्कृति की एकात्मकता पूरे देश में एक समान है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि हिंदू कनवर्जन नहीं करता। वह इंक्लूजन मे विश्वास रखता है।
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आरएसएस की स्थापना के शताब्दी वर्ष पर इंदौर के रवींद्र नाट्यगृह में नागरिक संगोेष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें आरएसएस के सरकार्यवाह दतात्रेय होसबोले ने कहा कि हमारा भारत मानव धर्म का देश है, जो सृष्टि में एकत्व के भाव के दर्शन करता है। मानव धर्म को विश्व में बताने वाले हिन्दू है। उनके जीवन में यह नजर भी आता है। इस कारण हिन्दू एक भू-सांस्कृतिक अवधारणा है। हिन्दू धर्म संवेदना, कर्तव्य, गुण और जीवन शैली के साथ उपासन पद्धति से संबंधित है और हिन्दुत्व भारत की आत्मा है हिन्दुत्व, हिन्दू और हिन्दू राष्ट्र भारत की पहचान है।
होसबोले ने कहा कि आचरण में धर्म को छोड़ने से, गुलामी के काल में सांस्कृतिक आत्महीनता और स्वार्थ केन्द्रित लालसा के कारण समाज का पतन हुआ। राष्ट्रीय चारित्र्य से युक्त समाज के निर्माण के लिये डॉ हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। संगठन को संगठित करने के लिए शाखा पद्धति विकसित की। प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के द्वारा समाज जीवन में भारत केन्द्रित विचार पर चलने वाले संगठन खड़े किए गए।
उन्होंने कहा कि आपदाओं में संघ कार्यकर्ता हमेशा आगे रहे है।आपातकाल में कष्ट सहते हुए लोकतंत्र की पुनर्स्थापना का कार्य संघ ने किया। रामजन्मभूमि आंदोलन और स्वदेशी भाव के जागरण में संघ का काम सबको बता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस की अब तक की यात्रा संकल्प से सिद्वी वाली रही है। जिसमें संघ का विरोध करने वाले भी आए, लेकिन संघ ने कभी किसी का विरोध नहीं किया। हम पर गांधी जी के हत्या के बाद मिथ्या आरोप भी लगे जो आज भी सिद्व नहीं हो पाए, प्रतिबंध भी लगा। 100 साल की यात्रा में शूल भी आए और फूल भी आए।
दूसरे सत्र में हिन्दुत्व विषय पर अपने उद्बोधन में होसबोले ने कहा कि आचरण की एकता, वचनों की दृढ़ता और संबंधों की संस्कृति की एकात्मकता पूरे देश में एक समान है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि हिंदू कनवर्जन नहीं करता। वह इंक्लूजन मे विश्वास रखता है। स्वामी विवेकानंद ने भी अमेरिका में धर्म संस्कृति का प्रचार किया, लेकिन किसी को बदलने के लिये नहीं कहा।
पश्चिमीकरण और आधुनिकता से संबंधित प्रश्न उन्होंने कहा कि जीवन के हित और विकास के लिये जो ग्रहण करने योग्य है, वो स्वीकार करना चाहिए।युवा और नशे से संबंधित प्रश्नों के जवाब में होसबोले ने कहा कि परिवारों में संस्कार के प्रयास,जीवन के उदाहरण और कठोर कानून से इस समस्या का समाधान संभव है। स्वनियंत्रण और मोबाइल के दुष्प्रभावों के बारे में जनजागरण से मोबाइल की लत से बचाव संभव है।