{"_id":"6922ed5938afea084c0d27c9","slug":"high-court-appoints-ias-officer-as-mentor-and-guide-jabalpur-news-c-1-1-noi1229-3660373-2025-11-23","type":"story","status":"publish","title_hn":"MP News: हाईकोर्ट की नसीहत का असर, सिविल सर्विस अभ्यर्थी फिर से परिवार संग, जानें पूरा मामला","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
MP News: हाईकोर्ट की नसीहत का असर, सिविल सर्विस अभ्यर्थी फिर से परिवार संग, जानें पूरा मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Sun, 23 Nov 2025 09:18 PM IST
सार
जबलपुर में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान मप्र हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ की सलाह के बाद 18 वर्षीय युवती अपने माता-पिता के साथ वापस घर में रहने को तैयार हो गई।
विज्ञापन
हाईकोर्ट की पहल से लौटी बेटी की मुस्कान
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की नसीहत के बाद घर से अलग रहकर नौकरी और सिविल सर्विस की तैयारी कर रही 18 वर्षीय युवती आखिरकार अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए तैयार हो गई है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने वाले पिता ने भी अदालत को भरोसा दिलाया कि वह बेटी का पूरा ध्यान रखेंगे, उसकी पढ़ाई जारी रहने देंगे और सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी में हर संभव सहयोग देंगे। कोर्ट ने युवती की तैयारी को देखते हुए बिहार में पदस्थ महिला IAS अधिकारी को उसका मेंटर और गाइड नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र के निवासी पिता ने पुलिस द्वारा लापता बेटी की खोज न कर पाने पर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुए महीनों बीत गए, लेकिन पुलिस उसे नहीं खोज पाई। हाईकोर्ट ने पुलिस को युवती को तलाशकर अदालत में पेश करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने इंदौर से युवती को 10 महीने बाद बरामद कर न्यायालय में प्रस्तुत किया।
6 नवंबर को हुई सुनवाई में युवती ने अदालत को बताया कि वह इंदौर में किराए के कमरे में रहकर एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही है। उसने बताया कि पिता उस पर शादी का दबाव बना रहे थे और पढ़ाई नहीं करने दे रहे थे। उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर वह घर से निकल गई थी। युवती ने कहा कि वह नौकरी करते हुए कोचिंग ले रही है और सिविल सर्विसेज में जाने का सपना पूरा करने के लिए मेहनत कर रही है। इस दौरान उसने पिता के साथ वापस न भेजने की गुहार लगाई।
सुनवाई में पिता ने हाईकोर्ट को विश्वास दिलाया कि वे बेटी को पढ़ाई जारी रखने में पूरी मदद करेंगे और उसकी सिविल सर्विस की तैयारी में कोई बाधा नहीं आने देंगे। उन्होंने बेटी को घर भेजने का अनुरोध किया। जिसके बाद अदालत ने युवती से कहा कि वह पहले चार से पांच दिन अभिभावक के साथ रहकर देखे। यदि माहौल अनुकूल न लगे तो कलेक्टर को उसके बाहर रहने और पढ़ाई की उचित व्यवस्था करने का आदेश दिया जाएगा।
Trending Videos
गौरतलब है कि भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र के निवासी पिता ने पुलिस द्वारा लापता बेटी की खोज न कर पाने पर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुए महीनों बीत गए, लेकिन पुलिस उसे नहीं खोज पाई। हाईकोर्ट ने पुलिस को युवती को तलाशकर अदालत में पेश करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने इंदौर से युवती को 10 महीने बाद बरामद कर न्यायालय में प्रस्तुत किया।
विज्ञापन
विज्ञापन
6 नवंबर को हुई सुनवाई में युवती ने अदालत को बताया कि वह इंदौर में किराए के कमरे में रहकर एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही है। उसने बताया कि पिता उस पर शादी का दबाव बना रहे थे और पढ़ाई नहीं करने दे रहे थे। उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर वह घर से निकल गई थी। युवती ने कहा कि वह नौकरी करते हुए कोचिंग ले रही है और सिविल सर्विसेज में जाने का सपना पूरा करने के लिए मेहनत कर रही है। इस दौरान उसने पिता के साथ वापस न भेजने की गुहार लगाई।
सुनवाई में पिता ने हाईकोर्ट को विश्वास दिलाया कि वे बेटी को पढ़ाई जारी रखने में पूरी मदद करेंगे और उसकी सिविल सर्विस की तैयारी में कोई बाधा नहीं आने देंगे। उन्होंने बेटी को घर भेजने का अनुरोध किया। जिसके बाद अदालत ने युवती से कहा कि वह पहले चार से पांच दिन अभिभावक के साथ रहकर देखे। यदि माहौल अनुकूल न लगे तो कलेक्टर को उसके बाहर रहने और पढ़ाई की उचित व्यवस्था करने का आदेश दिया जाएगा।
ये भी पढ़ें- MP में ठंड से थोड़ी राहत, अब घने कोहरे की मार, कई शहरों में विजिबिलिटी 100 मीटर तक घटी
12 नवंबर को हुई अगली सुनवाई में युवती ने पिता के साथ रहने की स्वीकृति दे दी। युगलपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए अपने आदेश में कहा कि युवती की उम्र अभी 18 वर्ष से थोड़ा अधिक है और वह होशियार बच्ची है। वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है और सिविल सर्विसेज परीक्षा में शामिल होना चाहती है। अदालत ने सुश्री बंदना प्रेयसी, IAS (सेक्रेटरी, सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट, पटना) से अनुरोध किया कि वे युवती की मेंटर और गाइड बनकर उसकी तैयारी में मदद करें। युगलपीठ ने विवेचना के दौरान जब्त की गई युवती की सभी सामग्री उसे लौटाने के निर्देश भी विवेचना अधिकारी को दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार रघुवंशी ने पैरवी की।